कर्मचारी मंडी के ऐतिहासिक सेरी मंच से पैदल निकल पड़े हैं। तीन मार्च को शिमला पहुंचकर विशाल प्रदर्शन करेंगे। कई महिला कर्मचारियों ने हाथों में दुधमुंहे बच्चे भी संभाले थे।
पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर विधानसभा के घेराव के लिए हिमाचल प्रदेश के विभिन्न विभागों में तैनात कर्मचारी बुधवार को मंडी के ऐतिहासिक सेरी मंच से पैदल शिमला की ओर निकल पड़े हैं। तीन मार्च को शिमला पहुंचकर कर्मचारी विशाल प्रदर्शन करेंगे। सेरी मंच पर कर्मचारियों का जुनून देखते ही बना। काफी संख्या में कर्मचारी खाने-पीने के सामान के साथ शिमला निकले। कई महिला कर्मचारियों ने हाथों में दुधमुंहे बच्चे भी संभाले थे। बुधवार सुबह करीब 11 बजे नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के बैनर तले सैकड़ों कर्मचारी मंडी शहर के ऐतिहासिक सेरी मंच पर इकट्ठा हुए और यहां से कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली के लिए पदयात्रा की शुरुआत की।
इस पदयात्रा को वल्लभ कॉलेज मंडी से सेवानिवृत्त प्रिंसिपल अशोक अवस्थी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस मौके पर कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली को लेकर नारेबाजी भी की। नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर ने बताया कि पुरानी पेंशन की बहाली पर प्रदेश सरकार के ढुलमुल रवैये से परेशान सरकारी कर्मचारी भारी रोष के चलते राजधानी शिमला के लिए पैदल मार्च करने को मजबूर हैं। कर्मचारी बिलासपुर जिला मुख्यालय होते हुए 3 मार्च को शिमला पहुंचेंगे और वहां पर विधानसभा का घेराव कर पुरानी पेंशन बहाली के लिए धरना प्रदर्शन किया जाएगा। कर्मचारियों की पदयात्रा नेशनल हाईवे होकर ही जाएगी। इस दौरान उनके साथ कर्मचारी संगठन व अन्य संगठन भी जुड़ते जाएंगे। यह एक ऐतिहासिक धरना प्रदर्शन रहेगा।
वहीं, पूर्व सांसद डॉ. राजन सुशांत ने बुधवार को शिमला जाते समय रंगस में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से हिमाचल के कर्मचारियों के लिए भी पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में 1 जनवरी 2004 से बंद पड़ी कर्मचारियों की ओपीएस को लागू करने की घोषणा की है। इसका वे स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की ओर से विधानसभा के बाहर प्रेसवार्ता के दौरान कर्मचारियों के बारे में दिया गया बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। जिसमें उन्होंने कहा कि यदि सहजता और सरलता से मांग करेंगे तो उनकी सुनवाई होगी और यदि आंदोलन के दबाव में सरकार से कुछ मनवाना चाहेंगे, तब उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। राजन सुशांत ने पूछा है कि बीते कई सालों से प्रदेश के एनपीएस कर्मचारी लगातार सभी विधायकों और मंत्रियों तथा विशेष तौर पर मुख्यमंत्री से अनेक बार मिलकर ओपीएस के लिए बार-बार प्रार्थना कर रहे थे, क्या यह सहज तरीका नहीं था। डॉ. सुशांत ने कहा कि मैं सहर्ष मुख्यमंत्री की चेतावनी स्वीकार करता हूं और डेढ़ लाख के करीब एनपीएस कर्मचारियों के आंदोलन को समर्थन करने स्वयं शिमला आ रहा हूं। मैंने स्वयं भी कर्मचारियों के समर्थन में 5 अगस्त 2020 से अपनी विधायक और सांसद की पेंशन छोड़ रखी है।
अमर उजाला से साभार