अधिकतर मामलों में फैक्ट्रियों के अंदर नियमों की अनदेखी और दूसरी लापरवाही हादसों की वजह बनती रही हैं, इसकी कीमत मज़दूरों को जान देकर चुकानी पड़ रही है। शासन-प्रशासन मौन है।
बहादुरगढ़: दिल्ली से सटे बहादुरगढ़ में फैक्ट्रियों के अंदर आग लगने की घटनाएं निरंतर हो रही हैं। पिछले दो साल में यहां पर कई जानलेवा हादसे हो चुके हैं। इनमें कई कामगारों की जान गई है, लेकिन घटनाएं थम नहीं रही हैं। अधिकतर मामलों में फैक्ट्रियों के अंदर नियमों की अनदेखी और दूसरी लापरवाही भी आग लगने की वजह बनती रही हैं, लेकिन इन पर शासन-प्रशासन की ओर से कोई प्रभावी कदम नहीं बताया जा रहा है। इसकी कीमत कामगारों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है।
शनिवार को भी यहां पर एक फैक्ट्री के आग की बड़ी घटना हुई। आग लगने के बाद मची भगदड़ में एक महिला समेत दो कामगारों ने छत के रास्ते कूदकर जान बचाने की कोशिश की तो दोनों जख्मी हो गए। पुरुष कर्मचारी की हालत तो गंभीर है। फैक्ट्री के अंदर सैकड़ों कर्मचारी काम करते थे। आग पूरी तरह बुझने के बाद आज रविवार को फैक्ट्री को सर्च किया जाएगा। उसके बाद ही यह साफ होगा कि फैक्ट्री के अंदर कोई और तो कामगार फंसा नहीं रह गया था।
उम्मीद ही की जा रही है कि ऐसा कुछ न मिले, लेकिन इस हादसे से अब सैकड़ों कर्मचारी बेरोजगार भी हो गए हैं। वैसे तो आग की कई घटनाओं पर सवालिया निशान भी लगते रहे हैं लेकिन अहम बात यह भी है कि फैक्ट्री के भवनों के निर्माण से जुड़े नियमों की अनदेखी के अलावा उनके अंदर आग से निपटने के पर्याप्त इंतजाम और फिर निकलने के रास्ते तक की जो कमियां होती हैं, आखिर उनके लिए कौन जिम्मेदार है। नियमों का पालन क्यों नहीं हो रहा है, इसकी जवाबदेही किसकी ही। फायर एनओसी की अगर बात करें तो वह अनेक फैक्ट्रियों में नहीं मिलती।
इसकी वजह यही है कि फायर एनओसी तभी जारी होती है जब भवन का निर्माण और उसके अंदर तमाम व्यवस्थाएं नियमों के दायरे में हो, लेकिन जब नियमों का पालन ही नहीं होगा तो वहां एनओसी भी कैसे मिलेगी। हालांकि सरकार ने हाल ही में फायर एनओसी से जुड़े कुछ नियमों में बदलाव भी किया है। एनओसी के नवीनीकरण के लिए देरी से आवेदन को भी वाजिब आधार पर स्वीकार करने की व्यवस्था बनाई गई है, लेकिन फिर भी लापरवाही और अनदेखी जारी है।
पिछले दो साल में अगर बहादुरगढ़ के अंदर हुए हादसों का जिक्र करें तो कई कामगारों की जान गई है। कुछ माह पहले आधुनिक औद्योगिक क्षेत्र के पार्ट बी में एक फैक्ट्री के अंदर लगी आग में दो कामगारों की मौत हो गई थी। इससे पहले एक केमिकल फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट में आठ से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। वहीं एक कूलर फैक्ट्री में आग की घटना के दौरान दो कर्मचारियों ने दम घुटने से दम तोड़ दिया था। इस तरह की घटनाएं निरंतर जारी है लेकिन कोई सबक नहीं लिया जा रहा है।
जागरण से साभार