सभी संगठन मुखर विरोध में उतारने को विवश हो रहे हैं
नैनीताल। आज नैनीताल स्थित होटल पवेलियन में उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और उनकी टीम ने प्रेस वार्ता की और राज्य में उपनल, रोडवेज, भगवती (माइक्रोमैक्स), सेंचुरी, वोल्टास, टीवीएस लुकास, एलजीबी आदि के कर्मचारियों और श्रमिकों की गंभीर समस्याओं को उठाया। साथ ही श्रम कानूनों के बदलाव पर रोक लगाने की भी माँग की।
प्रेस वार्ता में नैनीताल उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी पंत ने कहा कि देश की केंद्र तथा प्रांत की सरकारों ने जिस प्रकार से श्रम नियमों में परिवर्तन कर उद्योगपतियों को सशक्त करते हुए कर्मचारी वर्ग व श्रमिकों के अधिकारों को प्रभावित करने का प्रयास किया है, उसके कारण श्रमिकों के उत्पीड़न के विरोध में सभी संगठन मुखर होकर सरकार के विरोध में उतरने को विवश हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार की लचर श्रम विरोधी गतिविधियों के कारण आज प्रदेश में उपनल कर्मियों के अधिकारों का हनन हो रहा है, रोडवेज में आज इतने लंबे समय के पश्चात भी परिसंपत्तियों का बंटवारा ना होने के कारण तथा रोडवेज कर्मियों का लंबे समय तक वेतन ना मिलना, भगवती प्रोडक्ट्स (माइक्रोमैक्स) के मज़दूरों के भविष्य के साथ खिलवाड़, सेंचुरी पल्प एंड पेपर के प्रबंधन की मनमानी नीतियों और निरंकुशता, वोल्टास लिमिटेड में श्रम नियमों का मनमाने तरीके से प्रयोग, टीवीएस लुकास में श्रम संगठन को तोड़ने की कोशिश, एलजीबी में अनुचित श्रम व्यवहार, विद्युत विभाग के कर्मचारियों का उत्पीड़न आदि लगातार जारी है।

अधिवक्ताओं ने श्रम विभाग के मनमानेपन पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि श्रम अधिकारी मौन होकर उद्योगपतियों का समर्थन करते हुए दिख रहे हैं।
कहा कि आज श्रमिकों के सामने स्थितियां बेहद कठिन हो गई हैं। जो श्रम कानूनी सुरक्षा के अधिकार हासिल थे, उसे केंद्र सरकार द्वारा खत्म कर दिया गया और 44 श्रम कानूनों की जगह पर चार श्रम संहिताएँ (लेबर कोड) लाई जा चुकी हैं और उनकी नियमावली भी बन चुकी है। इधर उत्तराखंड में राज्य सरकार ने नए उद्योगों के नाम पर समस्त श्रम कानूनी अधिकारों को 1000 दिनों के लिए निलंबित कर दिया है, नियत अवधि रोजगार (फिक्स्ड टर्म) को कानूनी मान्यता दे दी है।
इससे नियोक्ताओं को किसी भी श्रमिक को मनमर्जी रखने और निकालने की खुली छूट मिल जाएगी। सुरक्षा के प्रावधान कम हुए हैं, स्थाई रोजगार की जगह पर फिक्सड टर्म को कानूनी मान्यता दी गई है, ट्रेड यूनियन अधिकारों को बेहद संकुचित कर दिया गया है। हड़ताल करना भी बेहद कठिन बना दिया गया है, यहां तक कि सामूहिक (कलेक्टिव) बारगेनिंग की जगह पर एक श्रमिक से भी समझौता करने का रास्ता खोल दिया गया है। श्रम विभाग के अधिकार और ज्यादा संकुचित कर दिए गए हैं। श्रम न्यायालय और औद्योगिक न्यायाधिकरण को कमजोर बनाया गया है। ऐसे में किसी भी पीड़ित श्रमिक को न्याय पाने के लिए रास्ते बेहद संकुचित हो गए हैं और नियोक्ताओं की मनमानीपन को बढ़ने की खुली छूट मिल गई है।
बताया कि अभी मौजूदा कानून के दौर में ही यह स्थिति है कि कानूनी तौर पर जिनको जीत मिल भी जाती है, उनको भी न्याय नहीं मिलता है। इसका सबसे ताजा और अहम उदाहरण है भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड माइक्रोमैक्स पंतनगर का, जहां पर 303 श्रमिकों की छँटनी को औद्योगिक न्यायाधिकरण, हल्द्वानी ने अवैध घोषित कर दिया था और समस्त देयकों के साथ कार्यबहाली के निर्देश दिए हैं। लेकिन इस आदेश के बावजूद पिछले 11 महीने से श्रम विभाग और श्रम अधिकारी मामले को लटकाए हुए हैं और आज भी उनकी कार्यबहाली नहीं हो सकी है।
उत्तराखंड सरकार द्वारा वर्ष 2004 में उत्तराखंड पूर्व सैनिक लिमिटेड का गठन किया उसके उपरांत उपसुल को उपनल बना दिया और राज्य के विभिन्न विभागों में संविदा पर कर्मचारियों की नियुक्ति शुरू हुई। वर्तमान में लगभग 21000 कर्मचारी कार्यरत हैं जो नाम मात्र के मानदेय में पिछले 16 वर्षों से कार्यरत हैं। सरकार द्वारा उन्हें नियमित नहीं किया जा रहा है। माननीय उच्च न्यायालय ने उपनल संविदा कर्मचारियों के पक्ष में फैसला दिया लेकिन उत्तराखंड सरकार लागू नहीं कर रही है। उल्टे सरकार ने 27/04/2018 को कर्मचारी विरोधी काला कानून पास किया।
इसी तरह से वोल्टास लिमिटेड पंतनगर के 8 श्रमिकों का लेऑफ उप श्रम आयुक्त ने गैरकानूनी घोषित की, लेआफ जारी रहते उनकी सेवा समाप्ति हुई जिसे भी उप श्रम आयुक्त ने गैरकानूनी बताया, इसके बावजूद उनकी कार्यबहाली नहीं हो पा रही है। एलजीबी पंतनगर में यूनियन बनने के समय 2012 से ही अनुचित श्रम व्यवहार जारी है, इसके बावजूद श्रम विभाग कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। टीवीएस लुकाच, सेन्चुरी पल्प एंड पेपर लालकुआं, रोड़वेज, बिजली विभाग आदि में उत्पीड़न जारी है।
यह सारी परिस्थितियां श्रमिकों में रोष पैदा कर रहा है, जो यदि किसी विस्फोट का रूप ले तो इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।
आज की प्रेस वार्ता में वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी पंत, अधिवक्ता एमसी कांडपाल, अधिवक्ता बीएस मेहता, अधिवक्ता मनोज पंत, पीसी भट्ट, के अलावा श्रमिक स्वाभिमान महापरिषद के पीयूष चतुर्वेदी, भगवती श्रमिक संगठन के दीपक सनवाल, उत्तराखंड उपनल संविदा कर्मचारी संघ इंटक के रमेश चंद्र शर्मा, उत्तराखंड विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन इंटके के प्रेम भट्ट, उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन, वोल्टास इंप्लाइज यूनियन के दिनेश पंत, सेंचुरी पल्प एंड पेपर स्टाफ एसोसिएशन लाल कुआं आदि शामिल रहे।