गुजरात अंबुजा मज़दूरों को कोर्ट से मिली एक और जीत

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धरना-प्रदर्शन पर स्टे खारिज, अवमानना बेबुनियाद

सितारगंज (उत्तराखंड)। उधम सिंह नगर के औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल क्षेत्र स्थित गुजरात अंबुजा के मज़दूरों को एक और कानूनी जीत मिली है। अदालत ने कंपनी परिक्षेत्र में धरना-प्रदर्शन पर रोक संबंधी स्थगनदेश निरस्त कर दिया। इससे पूर्व कोर्ट के आदेश पर इपीएफ व ईएसआई में गबन मामले में कंपनी प्रबंधकों पर एफआईआर दर्ज हो चुका है।

ज्ञात हो कि गुजरात अंबुजा के मज़दूर प्रबंधन के ज़ुल्म के ख़िलाफ़ जनवरी 2020 से लगातार संघर्षरत हैं। आज भी 115 मज़दूर गैरकानूनी रूप से बाहर हैं तथा प्रबंधन के दमन-उत्पीड़न के शिकार बने हुए हैं।

https://mehnatkash.in/2020/01/31/heavy-suppression-of-gujarat-ambuja-workers/

आंदोलन के दमन के लिए स्टे था हथियार

आंदोलन दबाने के लिए प्रबंधन ने कंपनी गेट से 200 मीटर की दूरी तक धरना प्रदर्शन पर रोक का स्थगनदेश (स्टे) ले लिया था। इसी का सहारा लेकर आंदोलन के दौरान मजदूरों व महिलाओं पर कोर्ट की कथित अवमानना के दो मुक़दमें दर्ज करे थे। प्रबंधन ने कोर्ट से यह भी अपील की थी कि मजदूरों व महिलाओं को जेल भेजा जाये, इसका पूरा खर्चा कंपनी उठाने को तैयार है।

लेकिन मज़दूर पक्ष के वकीलों की कुशल पैरवी के बाद अदालत ने प्रबंधन की याचिका को खारिज कर दिया। इस तरह कंपनी प्रबंधन की कोर्ट में एक बार फिर हार हुई और मजदूर जीत गये हैं।

https://mehnatkash.in/2021/01/21/gujarat-ambuja-management-filed-a-case-of-fraud/

इपीएफ व ईएसआई में गबन पर मालिकों पर एफआईआर

इससे पूर्व गुजरात अंबुजा मज़दूरों द्वारा अदालत में गुहार लगाने के बाद पुलिस ने ईपीएफ व ईएसआई में धनराशि जमा ना करने के मामले में गुजरात अंबुजा फैक्ट्री के सीईओ मनीष गुप्ता, एमडी संदीप अग्रवाल, वाइस प्रेसिडेंट आरके गुप्ता, एचआरओ के के राय व सुमित शर्मा पर आईपीसी की धारा 406 के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

https://mehnatkash.in/2020/08/26/gujarat-ambuja-workers-accused-of-collusion/

प्रबंधकों की गिरफ़्तारी क्यों नहीं?

पुलिस ने इस मामले में अभी तक कोई गिरफ़्तारी नहीं की है। जाहीर है कि मज़दूरों पर झूठे मुकदमे दर्ज होने पर पुलिस पूरी सक्रियता से गिरफ़्तारी करती है। यहाँ तक कि महज मालिकों के इसरे पर मज़दूरों का दमन आम बात है।

लेकिन मामला मालिकों का है तो पहले पुलिस घोटाले के बावजूद एफआईआर ही दर्ज नहीं की। अब कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज भी किया तो ढाई माह से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद प्रबंधकों की गिरफ़्तारी नहीं हो रही है।

https://mehnatkash.in/2020/08/31/gujarat-ambuja-workers-protest-at-shram-bhavan/

मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए हाई कोर्ट का निर्देश

इससे पहले यूनियन द्वारा हाईकोर्ट नैनीताल में यूनियन के संरक्षित श्रमिकों की गैरकानूनी बर्खास्तगी पर श्रम अधिकारियों द्वारा कार्यवाही न करने और मांगपत्र पर सुनवाई करने को लेकर याचिका का तत्काल संज्ञान लेकर श्रामयुक्त व श्रम न्यायालय को 4 सप्ताह में कार्यवाही कर कोर्ट को अवगत कराने का आदेश दिया है।

यूनियन ने दी बधाई, अंत तक लड़ने व जीतने का संकल्प

एक के बाद एक क़ानूनी लड़ाइयों में सफलता मिलने पर गुजरात अंबुजा कर्मकार यूनियन के अध्यक्ष कैलाश चन्द्र पांडे रुद्रपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेन्द्र गोस्वामी, खटीमा कोर्ट के एडवोकेट विनोद गहतोड़ी व नैनीताल हाईकोर्ट के एडवोकेट डीएस मेहता को धन्यवाद देते हुए बताया कि उनकी अथक मेहनत व बेहतरीन पैरवी की बेहद अहम भूमिका रही।

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उन्होंने कहा कि इस संघर्ष में इंक़लाबी मजदूर केंद्र के निर्देशन व श्रमिक संयुक्त मोर्चा ऊधमसिंह नगर व इससे जुड़ी हुई यूनियनों के साथियों के भाईचारे व एकजुटता की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही है। साथ ही यह सम्मानित मज़दूर साथियों के भाईचारे व एकजुटता  की जीत है।

कैलाश पांडे ने कहा कि हमारा वादा है हम अंतिम क्षण तक तक लड़ेंगे और जीतेंगे।