मारुति प्रबंधन के मुख्य निशाने पर रहे मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन के प्रधान और महासचिव को जमानत मिलने से मज़दूरों में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी। अब 13 में 7 साथियों की जमानत हो चुकी है।
चंडीगढ़। पौने 10 साल से जेल में बंद मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन मानेसर के पूर्व प्रधान राममेहर, पूर्व महासचिव सर्वजीत और प्रदीप गुज्जर की आज 21 फरवरी को पंजाब हरियाणा उच्च न्यायलय, चंडीगढ़ से कास्टडी आधार पर ज़मानत मिल गई।
अन्यायपूर्ण सजा झेलते 4 मज़दूर साथी अभी भी जेल में हैं। जिनकी भी जमानत की कार्रवाई जारी है।
ज्ञात हो कि अन्यायपूर्ण उम्रक़ैद झेलते 13 मज़दूरों में से चार साथियों- रामबिलास, संदीप ढिल्लों और सुरेश को बीते नवंबर व जनवरी में तथा योगेश यादव को 8 फरवरी को जमानत मिली थी। जबकि दो साथियों पवन दहिया व जिया लाल की बीते साल दुर्भाग्यपूर्ण दुखद मौत हो गई थी।
अभी शेष 4 साथियों की जमानत की कोशिशें जारी हैं। साथ ही उन सभी साथियों की बेगुनाही के लिए भी क़ानूनी लड़ाई जारी है।
प्रोविजनल कमेटी के साथी राम निवास ने लिखा–
18 जुलाई 2012 के तुरन्त बाद ही यूनियन नेतृत्व के साथ 148 मजदूरों को जेल में डाल दिया गया था। पुलिसिया दमन के खिलाफ संघर्ष जारी रखने के लिए प्रोविजनल कमेटी का गठन किया गया जिसकी अगुवाई में संपूर्ण आंदोलन चला जिसमें मैं भी एक हूं।
बिना समझ के ही, हमने यह ठान लिया था कि जब तक हमारे साथी जेल से बाहर नहीं आते तब तक हम मैदान में डटे रहेंगे । हमें यह अहसास नहीं था कि यह लड़ाई इतनी लंबी चल सकती है। जब गुड़गांव कोर्ट के एक अधिवक्ता ने बताया कि 6 महीने से पहले इन साथियों की जमानत नहीं होगी तब उन पर गुस्सा भी आया और कहा कि कैसा हो सकता है? क्योंकि हमने बड़े बड़े आंदोलन कुछ दिनों में महीनों में जीते थे तो 6 महीने हमारे लिए बहुत लंबा समय था।
लेकिन धीरे-धीरे जिस तरीके से लड़ाई आगे बढ़ती गई दिन महीनों में, महीने साल में और साल सालों में बदलते गए। देखते ही देखते 10 साल गुजर गए। साढे 3 साल तक किसी को भी जमानत नहीं मिली। फिर धीरे-धीरे जमानत मिलना शुरू हुई।
सेशन कोर्ट गुड़गांव द्वारा चल रहे केस पर अपना अंतिम निर्णय10 मार्च 2017 को सुनाया गया जिसमें 117 श्रमिकों को बाइज्जत बरी करार दिया गया, 31 को सजा सुनाई गई जिनमें 5 मजदूरों को 5 साल की सजा, जियालाल व यूनियन नेतृत्व सहित 13 श्रमिकों को आजीवन कारावास की सजा व अन्य को जितनी सजा वो काट चुके थे उसी में रिहा किया गया।
प्रोविजनल कमेटी के कई साथी भी अपने निजी जीवन की समस्याओं के चलते घर चले गए और आर्थिक परिस्थितियों के आगे संघर्ष छोड़ना पड़ा। लेकिन खुद से ही किया गया वादा कि जब तक हमारे सभी साथी नहीं आते हैं तब तक हम मैदान छोड़कर नहीं जाएंगे, मुझे आज भी याद है और संघर्ष के मैदान में डटे हुए हैं ।
2021 में 2 श्रमिक जियालाल और पवन दहिया हमारे बीच नहीं रहे। रामबिलास, सुरेश, संदीप और योगेश को उच्च न्यायालय से जमानत मिली।
आज राममेहर (प्रधान), सर्वजीत (सेक्रेट्री) और प्रदीप की ज़मानत याचिका पर सुनवाई थी। कुछ दिन से ही घबराहट हो रही थी और मन में हलचल थी कि क्या होगा? सबसे ज्यादा चैलेंज इस बार था। क्योंकि ये दोनों मुख्य पदाधिकारी थे और प्रशासन व प्रबन्धन की नज़र लगी हुई थी।

लेकिन आज तीनों साथियों की जमानत पर अपार खुशी है और खुद पर गर्व भी। आज भी जो साथी किसी न किसी तरीके से मारुति आंदोलन से जुड़े हुए हैं, हम सभी को बधाई देते हैं । लाल सलाम।