राष्ट्रीय जांच एजेंसी(NIA) की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को किसान मुक्ति संग्राम समिति के एक्टिविस्ट और असम के शिवसागर विधानसभा क्षेत्र से विधायक अखिल गोगोई और उनके चार अन्य साथियों को उनके खिलाफ 2019 में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम(UAPA) के तहत दर्ज दो मामलों में से दूसरे प्रमुख मामले में बरी कर दिया है।
गोगोई पर 2019 में असम में नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध प्रदर्शन के दौरान दो अलग-अलग मामलों में इस दमनकारी कानून के तहत झूठे आरोप लगाए गए थे। पिछले महीने गोगोई और उनके दो सहयोगियों को एक मामले में बरी कर दिया गया था।
अखिल गोगोई दिसम्बर 2019 से जेल में बंद हैं और इस फैसले के बाद आज संभवतः उनकी रिहाई हो सकती है। कुछ महीनों से अस्वस्थ होने के कारण उन्हें फिलहाल गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (जीएमसीएच) में भर्ती कराया गया है।
गोगोई और उनके सहयोगियों के खिलाफ यूएपीए के तहत दो मामलों में एनआईए की जांच चल रही थी। 2019 में पहला मामला असम के डिब्रूगढ़ जिले के चबुआ पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था, जबकि दूसरा गुवाहाटी के चांदमारी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था। चबुआ मामले में 23 जून को गोगोई को बरी कर दिया गया था।
एनआईए की विशेष अदालत ने गुरुवार को गोगोई और उनके तीन सहयोगियों धीरज कोंवर, मानस कोंवर और बिटू सोनोवाल को चांदमारी मामले में बरी कर दिया, जिसमें उन पर माओवादियों से संबंध होने का आरोप था। गोगोई के अलावा अन्य सभी पहले से ही जमानत पर थे।
नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के विरोध प्रदर्शन के दौरान अमित शाह के इशारे पर दिल्ली, असम, गुजरात, यूपी की भाजपा सरकार और पुलिस द्वारा दमनकारी यूएपीए कानून के तहत दर्ज ज्यादातर मामले झूठे तथा फर्जी साबित हो रहे हैं।