प्रशासन द्वारा कराया समझौता लागू करो! इंटरार्क मज़दूरों ने कंपनी मुख्यालय नोयडा भेजा ज्ञापन

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इंटरार्क के सीईओ व प्लांट हेड को 450 मजदूरों के हस्ताक्षर से भेजे ज्ञापन में समझौते के अनुपालन में ओडी से लौटे 28 मजदूरों की सवैतनिक कार्यबहाली एवं वेतन वृद्धि करने की माँग हुई।

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। इंटरार्क मजदूर संगठन ने जिला प्रशासन की मध्यस्थता में हुए समझौते को इंटरार्क प्रबंधन द्वारा लागू न करने के कृत्य को शर्मनाक घोषित कर इसे कंपनी की साख को समाज में गिराने की वाली शर्मनाक कार्यवाही घोषित की।

इसी के साथ आज इंटरार्क के किच्छा एवं पन्तनगर प्लांट के करीब 450 मजदूरों ने अपने हस्ताक्षर कर एक सामुहिक ज्ञापन कंपनी के नोयडा मुख्यालय के सीईओ और प्लांट हेड को प्रेषित किया और मांग की कि तत्काल उक्त समझौते को लागू कर ओड़ी से लौटे 28 मजदूरों की सवैतनिक कार्यबहाली; समझौते के अनुसार मजदूरों की 1700 रुपये वेतन वृद्धि और उसी अनुरूप एरियर दिया जाए।

यूनियन ने शीर्ष प्रबंधन को चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसा न होने पर गम्भीर औद्योगिक अशान्ति उत्पन्न हो सकती है जिसके लिए कंपनी प्रबंधन की हठधर्मिता ही पूरी तरह जिम्मेदार होगी।

यूनियन ने यह भी बताया कि कल 25 अप्रैल को इंटरार्क कंपनी के A शिफ्ट के मजदूर विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ अपर जिलाधिकारी से मिलकर समझौता लागू कराने की मांग करेंगे।

16 माह का संघर्ष, प्रशासन ने कराया था समझौता

इंटरार्क मजदूर संगठन ऊधमसिंह नगर के अध्यक्ष दलजीत सिंह की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि करीब 16 माह चले लंबे संघर्ष के पश्चात अपरजिलाधिकारी ऊधमसिंह नगर, पुलिस अधीक्षक एवं सहायक श्रमायुक्त समेत ऊधमसिंह नगर जिले के उच्च अधिकारियों की मध्यस्थता में इंटरार्क कंपनी प्रबंधन एवं मजदूर यूनियन प्रतिनिधियों के मध्य 15 दिसंबर 2022 को लिखित समझौता संपन्न हुआ था।

इंटरार्क प्रबंधन द्वारा प्रस्तुत समझौता मसविदा को सभी पक्षों ने पूर्ण सहमति से स्वीकार किया था। उस दौरान भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तराई क्षेत्र के प्रभारी बलजिंदर सिंह मान एवं उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष कर्मसिंह पड्डा समेत कई अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।

समझौते के तहत आंदोलन के दौरान निलंबित 51 मजदूरों एवं बर्खास्त 13 मजदूरों सहित सभी 64 मजदूरों की कार्यबहाली करने और मजदूरों के वेतन में 1700 रुपये की वृद्धि आदि शामिल थे।

जिला प्रशासन द्वारा कराए गए उक्त समझौते के तहत 64 निलंबित एवं निष्कासित मजदूरों में से 34 मजदूरों को 3 माह की अवधि के लिए ओडी हेतु उत्तराखंड राज्य से बाहर जाना था और शेष 30 मजदूरों की किच्छा एवं पन्तनगर प्लांट में कार्यबहाली होनी थी।

https://mehnatkash.in/2022/12/18/agreement-concluded-in-interarc-after-a-long-struggle-64-suspended-workers-reinstated/

समझौते से मुकरा प्रबंधन

उक्त 34 मजदूरों में से 28 मजदूर जब ओडी अवधि पूरी करके 31 मार्च 2023 को वापस आये और 3 अप्रैल को किच्छा एवं पन्तनगर प्लांट में ड्यूटी के लिए उपस्थित हुए तो कंपनी प्रबंधन उनकी कार्यबहाली कराने से मना कर दिया और छल कपट की नीति पर चलकर उक्त समझौते से मुकर गए।

पीड़ित श्रमिक अपरजिलाधिकारी से मिले तो उन्होंने वचन दिया कि समझौते को लागू करा सभी श्रमिकों की हर हाल में कार्यबहाली कराई जायेगी। किन्तु अब तक भी श्रमिकों की कार्यबहाली नहीं हुई है। इसके उलट श्रम विभाग में वार्ताओं के दौरान प्रबंधन मजदूरों की कार्यबहाली करने से साफ इंकार कर रहा है।

यूनियन ने कहा कि इससे स्पष्ट है कि प्रबंधन को जिला प्रशासन एवं श्रम विभाग की तनिक भी चिंता नहीं है। वह बेखौफ होकर मनमानी कर रहा है। जिससे प्रशासन की साख पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग रहे हैं। एक प्राइवेट कंपनी का प्रबंधन जिला प्रशासन की मध्यस्थता में हुए समझौते की धज्जियां उड़ा रहा है और श्रम विभाग में एलान कर कह रहा कि वह 28 मजदूरों की कार्यबहाली नहीं करेगा, जो कि बहुत ही शर्मनाक है।

यूनियन ने बताया कि प्रबंधन द्वारा श्रमिकों की वेतन वृद्धि भी महज 700 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक ही की गई है और इसी हिसाब से श्रमिकों को 3 माह का एरियर भेजा गया है। जबकि समझौते में 1700 रुपये वेतन वृद्धि की बात तय हुई थी। स्पष्ट है कि प्रबंधन बेखौफ होकर प्रशासन की मध्यस्थता में सम्पन्न समझौते का घोर उल्लंघन कर मनमानी कर रहा है।

यूनियन ने गंभीर सवाल खड़ा किया है कि जिला प्रशासन की मध्यस्थता में हुआ समझौता तक लागू न हो तो भारतीय राज्य, उत्तराखंड सरकार एवं जिला प्रशासन की साख और उस पर जनता की विश्वसनीयता का क्या होगा?

https://mehnatkash.in/2023/03/26/painful-death-of-interarc-worker-rohitas/

मज़दूरों ने इंटरार्क मुख्यालय भेजा पत्र

इन्ही सवालों को उठाते हुए आज कंपनी के किच्छा एवं पन्तनगर प्लांट के करीब 450 मजदूरों ने अपने हस्ताक्षर से एक सामुहिक ज्ञापन कंपनी के नोयडा मुख्यालय के सीईओ और प्लांट हेड को प्रेषित किया।

भेजे पत्र द्वारा मांग की कि तत्काल उक्त समझौते को लागू कर ओड़ी से लौटे उक्त 28 मजदूरों की सवैतनिक कार्यबहाली की जाए; समझौते के अनुसार मजदूरों की 1700 रुपये वेतन वृद्धि की जाए और उसी अनुरूप एरियर दिया जाए। अन्यथा गम्भीर औद्योगिक अशान्ति उत्पन्न हो सकती है जिसके लिए कंपनी प्रबंधन की हठधर्मिता ही पूरी तरह जिम्मेदार होगी।

कल 25 अप्रैल को इंटरार्क कंपनी के A शिफ्ट के मजदूर विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ अपर जिलाधिकारी से मिलेंगे और ज्ञापन देकर समझौते को लागू कराने की मांग करेंगे।

पुरानी कार्यकारिणी पुनः जीती, आंदोलन तेज करने का संकल्प

ज्ञात हो कि 23 अप्रैल को इन्टरार्क मजदूर संगठन ऊधमसिंह नगर की चुनाव संपन्न हुआ और मज़दूरों ने पुरानी कार्यकारिणी को ही सर्वसम्मति से चुना। इसमें पुनः दलजीत सिंह अध्यक्ष, सौरभ कुमार महामंत्री, वीरेंद्र कुमार कोषाध्यक्ष एवं शिवनारायण मिश्रा को उपाध्यक्षचुना गया।

चुनाव पश्चात हुई आम सभा ने समझौता दिनाँक-15/12/2022 को लागू कराने हेतु आंदोलन तेज करने का संकल्प लिया और चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा की।