नोटिस पीरियड पूरा किए बिना नौकरी छोड़ने वाले कर्मचारियों को देना होगा 18% जीएसटी

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मालिकों को तो मनमर्जी रखने-निकालने की खुली छूट होगी, लेकिन कर्मचारी को अपनी मर्जी नौकरी छोड़ने पर अवरोध लग रहा है और तरह-तरह की वसूली के नियम बन रहे हैं।

मोदी सरकार द्वारा मालिकों के हित में क़ानूनों को बदलने की गति तेज है। सरकार का पूरा ध्यान मालिकों को मनमर्जी काम पर रखने और निकालने की खुली छूट देने के साथ श्रमिकों के पॉकेट से तरह-तरह की वसूली भी शामिल है। इन्हीं में से नौकरी छोड़ने वालों या कहीं दूसरी जगह नौकरी की चाह रखने वालों से जीएसटी वसूलने का यह नया क़ानून भी है।

अगर कोई कर्मचारी/श्रमिक कंपनी छोड़ते वक्त अनुबंध में दिए गए नोटिस पीरियड से पहले निकलना चाहते हैं तो उन्हें आने वाले समय में जीएसटी का भुगतान करना पड़ेगा। अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (एएआर) ने एक फैसले में कहा कि ऐसे कर्मचारियों से नियोक्ता वेतन व अन्य सुविधाओं की क्षतिपूर्ति वसूली पर 18% जीएसटी ले सकता है।

हाल ही में एएआर ने अपने हालिया फैसले में कहा कि नोटिस की समय सीमा ना पूरी करने वाले कर्मचारियों से विभिन्न भुगतानों पर जीएसटी लगाया जा सकता है। ये भुगतान वेतन, समूह बीमा, टेलिफोन बिल है। सरल भाषा में कहे तो जो पैसा आपको नोटिस पीरियड के दौरान मिलता है उस पर जीएसटी लगाई जा सकती है।

वेतन, बीमा, टेलीफोन बिल पर भी जीएसटी

नोटिस पीरियड में कर्मचारी को मिलने वाले वेतन पर भी जीएसटी देना होगा। इसके अलावा नियोक्ता को सामूहिक बीमा और टेलीफोन बिल जैसे शुल्क वसूलने का भी अधिकार होगा और इस पर जीएसटी भी देना पड़ेगा।

नियोक्ता बिना नोटिस पीरियड में काम करे संस्थान को छोड़ रहे कर्मचारी पर होने वाली कुल रिकवरी पर 18 फीसदी जीएसटी चार्ज कर सकता है।

यह गौरतलब है कि मालिकों को तो मनमर्जी रखने-निकालने की खुली छूट मिल गई है, लेकिन श्रमिक/कर्मचारी को अपनी मर्जी नौकरी छोड़ने पर तरह-तरह के अवरोध लगाए जा रहे हैं।

मालिक/नियोक्ता ही वसूलकर सरकारी खाते में डालेगा

कर विशेषज्ञों के अनुसार, यह नियोक्ता/मालिक की जिम्मेदारी होगी कि वह बिना तय नोटिस पीरियड पूरा किए नौकरी छोड़कर जाने वाले कर्मचारी से जीएसटी वसूलकर उसे सरकार के खाते में जमा कराए। यह कर कर्मचारी को उस अवधि में मिलने वाले वेतन सहित अन्य सभी तरह के भुगतान पर लागू होगा।

कर अधिकारियों का कहना है कि कर्मचारी से वेतन पर जीएसटी तभी वसूली जा सकती है, जब उसने नोटिस पीरियड पूरा न किया होगा। अन्यथा की स्थिति में नियोक्ता को ही कर्मचारी के वेतन पर जीएसटी देना होगा। नोटिस पीरियड का उल्लेख कर्मचारी को मिलने वाले ऑफर लेटर में रहता है, जो एक से तीन महीने तक हो सकता है।

जीएसटी से सरकार की बम्पर कमाई

उगयत हो कि इस साल नवंबर महीने में सरकार को वस्तु एवं सेवाकर (GST) से बंपर कमाई हुई है। सरकार के मुताबिक नवंबर में जीएसटी से 1,31,526 करोड़ रुपये की आय हुई है। जीएसटी की यह राशि दूसरी सबसे बड़ी राशि है।

इससे पहले रिकॉर्ड स्तर पर अप्रैल महीने में सरकार को जीएसटी से 1.41 लाख करोड़ की कमाई हुई थी। अप्रैल के बाद नवंबर में दूसरे रिकॉर्ड स्तर पर 1.31 करोड़ से भी ज्यादा की आय प्राप्त हुई है।