बिजली पंचायत में बोले कर्मचारी, निजीकरण का निर्णय मुख्यमंत्री वापस लें

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प्रयागराज में रविवार को बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ बिजली पंचायत आयोजित की गई। कर्मचारियों ने एकजुटता दिखाई और निजीकरण का विरोध करते हुए कहा कि इससे उनकी नौकरियाँ खतरे में पड़ जाएँगी।

प्रयागराज, वरिष्ठ संवाददाता। बिजली विभाग के निजीकरण के फैसले के खिलाफ रविवार को आयोजित बिजली पंचायत में उत्तर प्रदेश के कई जिलों के कर्मचारी जुटे। कटेंगे तो बटेंगे के स्लोगन के साथ बिजलीकर्मियों ने पंचायत में अपनी एकजुटता दिखाई। निजीकरण का विरोध करते हुए वक्ताओं ने कहा कि यह निर्णय आम उपभोक्ताओं और किसानों के हित में नहीं है। निजीकरण से बड़े पैमाने पर बिजलीकर्मियों की छंटनी हो जाएगी।

अभियंता, अवर अभियंता, टेक्निशियन, लिपिक और संविदाकर्मियों की नौकरी खतरे में पड़ जाएगी। मेडिकल कॉलेज के सामने मुख्य अभियंता कार्यालय परिसर में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले आयोजित बिजली पंचायत में वक्ताओं ने पावर कॉर्पोरेशन पर कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान न करने का आरोप लगाया। यह भी कहा कि पावर कॉर्पोरेशन हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहा है। कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ करो या मरो की भावना के साथ संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की गई कि पावर कॉर्पोरेशन का निजीकरण प्रस्ताव वापस लिया जाए।

वक्ताओं ने कहा कि निजीकरण का प्रयोग उड़ीसा, औरंगाबाद, नागपुर, जलगांव, समस्तीपुर, गया, भागलपुर, उज्जैन, सागर, ग्वालियर, आगरा और ग्रेटर नोएडा में विफल रहा है। इसलिए इसे उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में लागू करना गलत होगा। बिजली पंचायत को संयुक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय किसान सभा समेत अन्य संगठनों का समर्थन मिला। इस दौरान एटक, इंटक, सीटू, एक्टू और ऑल इंडिया ट्रेड यूनियनों के पदाधिकारियों ने भी भाग लिया। सभा में शैलेन्द्र दुबे, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, महेंद्र राय, पीके दीक्षित, सुहेल आबिद, श्रीचंद्र, वीसी उपाध्याय, जवाहर लाल विश्वकर्मा, छोटे लाल दीक्षित, राम कुमार झा, माया शंकर तिवारी, प्रेमनाथ राय, आर एस मिश्र, माया शंकर तिवारी, प्रेमनाथ राय, डॉ. आशीष मित्तल सहित कई नेताओं ने अपने विचार रखे।