कंपनी अपनी मर्जी से रेट कार्ड बदलती रहती है। आईडी बदलकर नए गिग रेटकार्ड से डिलीवरी दर घटाना, प्रति किलोमीटर दर में धोखाधड़ी, तेल के पैसे में डकैती आदि के साथ ऑर्डर कैंसल होने पर कई बार उसकी भरपायी भी राइडर से होती है…
धनबाद में गिग वर्कर्स की सबसे बड़ी संख्या ज़ोमाटो कंपनी के तहत फूड डिलीवर करने वालों की है। जहाँ 1000 से भी ज्यादा राइडर्स हैं। ज़ोमाटो के वर्तमान रेट कार्ड को गिग रेट कार्ड बोला जाता है। इस रेट कार्ड को कंपनी अपनी मर्जी से बदलती रहती है। इस प्रक्रिया में वर्कर्स के कुछ कहने की जगह नहीं रहती है।
पुरानी आईडी वाले मज़दूर अगर इस नए ‘गिग आईडी’ पर नहीं क्लिक करें तो ऐप चालू भी नहीं होता है। प्रति किलोमीटर भुगतान दर भी निर्धारित नहीं है। माँग के अनुसार यह कभी 7 रुपए तो कभी 10 रुपए हो जाता है। ‘पीक आवर’ मतलब अत्यधिक माँग के समय प्रति किलोमीटर 10 रुपए तक मिल जाते हैं। लेकिन जब माँग कम रहता है तो प्रति किलोमीटर पैसा कम कर दिया जाता है।
अपनी जेब से भी देने पड़ते हैं तेल के पैसे
धनबाद में आईइसएम से गोबिंदपुर (9.5 किमी की दूरी) और बैंक मोड़ से धनसार/झरिया (7.5 किमी की दूरी) दो सबसे बड़े डिलीवरी क्षेत्र या ‘ज़ोन’ हैं। ऐसे बड़े इलाक़े में फैले डिलीवरी क्षेत्र के कारण मज़दूरों को ज़्यादा सफ़र करना पड़ता है।
मान लीजिए किसी वर्कर को आईइसएम से गोबिंदपुर तक का कोई एक ऑर्डर मिल गया तो उसे गोबिंदपुर से लौटते वक्त रिलायंस ट्रेंड, सुगिया डीह (6.2 किमी तक) कोई भी दूसरा ऑर्डर नही मिलता है। बैंक मोड़ से झरिया तक अगर कोई ऑर्डर मिले तो धनसार (4.7 किमी दूर) तक नए ऑर्डर के बिना ही लौटना पड़ता है। बिना ऑर्डर के इतना लंबा सफ़र तय करने पर बाइक के तेल का पैसा भी खुदकी जेब से ही भरना पढ़ता है।
समस्याओं से भरा है डिलीवरी वर्कर का सफ़र
बर्गर किंग जैसे कुछ रेस्टोरेंट राइडर को बहुत लंबे समय इंतज़ार करवाते हैं। इसपर राइडर कुछ बोलें तो उल्टा उसके ख़िलाफ़ कंपनी में शिकायत कर देते हैं। कई बार ग्राहक डिलीवर पाने के बाद भी ज़ोमाटो का ऑर्डर कैंसल कर देता है। इसकी भरपायी भी राइडर को करनी पड़ती है।
कई बार ऑर्डर अपने आप ही कैंसल हो जाते हैं, सपोर्ट सेंटर में कॉल करने से वो लोग मामले को दबा देते हैं और बिना किसी कार्यवाही कैंसल होने की ज़िम्मेदारी राइडर पर ही थोप देते हैं। इस आधार पर राइडर का पैसा भी काटा जाता है और कई बार आईडी भी ब्लॉक कर दी जाती है।
एक और आम समस्या किलोमीटर चोरी की है। किलोमीटर चोरी मतलब राइडर जहां खड़ा हैं वहाँ से रेस्टोरेंट तक और रेस्टोरेंट से कस्टमर तक की दूरी को ऐप अक्सर गलत दिखाता है। मान लीजिए की राइडर को उसकी लोकेशन से रेस्टोरेंट तक 11 किमी जाना पड़ा, अक्सर ऐप में ये दूरी 8 किमी तक ही दिखेगी। राइडर अगर गूगल मैप या फिर उसकी अपनी बाइक का मीटर चेक करे तो उसको ये बात समझ आती है। नहीं तो यह चोरी पकड़ पाना मुश्किल हैं।

समाधान ढूँढने में लगे हुए हैं मज़दूर
जनवरी 2023 में ज़ोमाटो वर्कर्स ने 10 दिन की हड़ताल की थी। कंपनी ने जवाब में 5 वर्कर की आईडी ब्लॉक कर दी और मज़दूरों की कोई भी माँगें नहीं स्वीकारीं। हड़ताल की शुरुआत प्रति किमी 15 रुपए की मांग पर हुई थी। मुश्किल है कि यह सारी समस्याएं ना तो टीम लीडर आके सुनता है और ना ही धनबाद में ज़ोमाटो का कोई ऑफिस हैं जहाँ जाके बात की जा सकती है।
ऐसे में देश के पैमाने पर आज गिग वर्करों में भी कंपनी की एकतरफा नियम नीतियों से जूझने के रास्तों की खोज जारी है। रोज़गार के इस क्षेत्र में विस्तार के साथ इस खोज में नीत दिन नये युवा मज़दूर जुड़ रहे हैं और नये समाधान भी निकाल रहे हैं।
‘संघर्षरत मेहनतकश’ पत्रिका अंक-51 में प्रकाशित