दिल्ली: पुरानी पेंशन बहाली हेतु कर्मचारियों की रामलीला मैदान में जोरदार ‘चेतावनी रैली’

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ओपीएस बहाली, नियमितीकरण, निजीकरण व नई शिक्षा नीति पर रोक आदि माँगें हों पूरी वर्ना देशव्यापी हड़ताल होगी और लोकसभा चुनाव में भाजपा को खामियाजा भुगतान पड़ेगा।

दिल्ली। देशभर के हज़ारों केन्द्रीय व राज्य कर्मचारी आज 3 नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में जुटे। इस चेतावनी रैली का मुख्य मुद्दा पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली है। इसके आलावा निजीकरण और सरकारी रिक्त पदों पर भर्ती जैसे मुद्दे नही इस रैली में उठाए गए।

कर्मचारियों ने इस रैली को चेतावनी रैली का नाम दिया था। उनका कहना है कि वो केन्द्र सरकार को चेतावनी देने आए हैं कि वो लाखों सरकारी कर्मचारियों की मांगों को पूरा करे नहीं तो उनका आंदोलन और तीव्र होगा।

रैली में सरकार को चेतावनी दी गई कि अगर 15 दिन के अंदर मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो देशव्यापी हड़ताल करेंगे। लोकसभा चुनाव में करीब 80 करोड़ कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों के वोट से मौजूदा सरकार को हाथ धोना पड़ेगा।

वक्ताओं ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली को लेकर कर्मचारियों का आंदोलन अब राजनीतिक मुद्दा बन गया है। संसद में पीएफआरडीए एक्ट को पारित करने वाले दल भी अब पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं।

रैली में देश के सभी राज्यों के हजारों की तादाद में कर्मचारी मौजूद रहे। सुबह से ही कर्मचारी जुलूस की शक्ल में रैली में पहुंचने लगे। दोपहर तक यह सिलसिला जारी रहा।

इस दौरान पुरानी पेंशन बहाली, ठेका कर्मियों को नियमित करने, निजीकरण पर रोक, खाली पदों को भरने, आठवें वेतन आयोग का गठन, 18 महीने के बकाया डीए का भुगतान, नई शिक्षा नीति पर रोक जैसी माँगें उठीं।

उल्लेखनीय है कि सं 2004 में बाजपेयी सरकार ने पुरानी पेंशन योजना खत्म कर दिया था। विगत वर्षों से पुरानी पेंशन बहाली के लिए देशभर के केन्द्रीय व राज्य कर्मचारी काफी मुखर हैं और लगातार आन्दोलनरत हैं। पिछले माह 1 अक्टूबर को दिल्ली के रामलीला मैदान पुरानी पेंशन स्कीम बहाली की मांग को लेकर 20 से अधिक राज्यों के सरकारी कर्मचारी लाखों की संख्या में एकत्रित हुए थे।

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केन्द्रीय व राज्य कर्मचारी संगठन शामिल

आज की रैली में अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ, कंफेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज एंड वर्कर्स, स्कूल टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया और अखिल भारतीय राज्य सरकारी पेंशनर्स फेडरेशन के बैनर तले रैली आयोजित हुई। इसमें राज्य व केंद्र सरकार के कर्मचारी, शिक्षक, पेंशन भोगी शामिल थे। रैली की अध्यक्षता सुभाष लांबा ने की, साथ में रूपक सरकार, सीएन भारती, अशोक थूल और राजेन्द्रन जैसे फेडरेशन के नेताओं ने संयुक्त रूप से मोर्चा संभाला।

पूंजीपतियों को लूटने के लिए धन लेकिन कर्मचारियों के लिए नहीं

अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि सरकार के पास पूंजीपतियों के लाखों करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने, कार्पोरेट टैक्स को 30 से घटाकर 22 फीसदी करने के लिए पर्याप्त धन है, लेकिन पुरानी पेंशन बहाली, ठेका कर्मियों को पक्का करने, खाली पदों को भरने के लिए धन नहीं।

फेडरेशन के महासचिव ए श्री कुमार ने कहा कि सरकार जनसेवाओं और पीएसयू को निजी हाथों में सौंपकर अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों से छुटकारा पाना चाहती है।

सरकार कर्मचारियों को कर रही है गुमराह

कंफेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज एंड वर्कर्स फेडरेशन के सचिव एसबी यादव ने कहा कि सरकार पुरानी पेंशन बहाली करने के बजाय एनपीएस में संशोधन कर कर्मचारियों के आक्रोश को कम करना चाहती है। जीएसटी की रिकॉर्ड कलेक्शन के बावजूद सरकार कोरोना में रोके गए कर्मचारियों व पेंशनर्स के 18 महीने का डीए/डीआर का भुगतान नहीं कर रही।

एनएफपीई के सेक्रेटरी जरनल जनार्दन मंजूमदार ने कहा कि निजीकरण के खिलाफ हड़ताल के कारण एनएफपीई और क्लास थ्री यूनियन की मान्यता रद्द कर दी गई है।

नई शिक्षा नीति देश विरोधी

एसटीएफआई के महासचिव सीएन भारती ने नई शिक्षा नीति को देश विरोधी बताया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार संसद में पारित किए बिना ही देश में नई शिक्षा नीति लागू कर रही है। एनईपी से शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा और शिक्षा पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

पेंशनर्स फेडरेशन के अध्यक्ष अशोक थूल ने कहा कि केंद्र सरकार पेंशन भोगियों की बेसिक पेंशन को 80 साल में पांच फीसदी बढ़ोतरी करने से भाग रही है।

ठेका प्रथा बंद हो, नियमितीकरण की नीति बने

अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के कोषाध्यक्ष शशीकांत राय ने कहा कि सरकार को ठेके पर कर्मचारियों से काम कराना बंद करना पड़ेगा। पचास लाख से ज्यादा ठेका संविदा कर्मचारी केन्द्र एवं राज्य सरकारों एवं पीएसयू में कार्यरत हैं। सरकार इनसे काम ज्यादा तेजी है और वेतन कम देती है। न इन्हें सेवा सुरक्षा मिल रही और न ही नियमित करने की नीति बना रही है।

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सरकार को चुनाव में खामियाजा भुगतने की चेतावनी

रैली में सरकार से पुरानी पेंशन बहाली के साथ ठेका कर्मचारियों को नियमित करने, निजीकरण पर रोक लगाने, खाली पदों पर भर्ती करने, आठवें वेतन आयोग का गठन करने, 18 महीने के बकाया डीए/डीआर का भुगतान करने, नई शिक्षा नीति पर रोक लगाने आदि माँगें पुरी करने की माँग हुई।

वक्ताओं ने सरकार को चेतावनी 15 दिन के अंदर मांगों पर ठोस कार्रवाई की माँग करते हुए देशव्यापी हड़ताल की चेतावनी दी। यह भी चेतावनी दी कि लोकसभा चुनाव में करीब 80 करोड़ कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों के वोट से मौजूदा भाजपा सरकार को हाथ धोना पड़ेगा।