दिल्ली दंगा: हाईकोर्ट ने स्पेशल पुलिस कमिश्नर को फटकारा

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पांच पत्रो की अदालत में हो पेशी

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर प्रवीर रंजन से पूछा कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों की जांच कर रहे अधिकारियों को ‘पत्र’ जारी करने की क्या जरुरत थी? इन पत्रों में लिखा गया था कि दंगा प्रभावित इलाकों में कुछ ‘हिंदू युवाओं’ की गिरफ्तारी पर ‘हिंदू समुदाय में आक्रोश है’। जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने सुनवाई के दौरान ये भी निर्देश दिए कि दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त द्वारा अपने अधीनस्थ अधिकारियों को जो पांच पत्र भेजे गए थे, उन्हें अदालत में पेश किया जाए।

जस्टिस कैत ने कहा कि ‘सीआरपीसी के तहत पत्र भेजकर अधिकारियों को निर्देश देने की बात नहीं है। हालांकि इस पर कोई विवाद नहीं है कि वरिष्ठ अधिकारी अपने अधीनस्थ अधिकारियों को गाइड कर सकते हैं।’ कोर्ट ने अगले दो दिन में ये पांच पत्र सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए हैं।द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रवीर रंजन ने 8 जुलाई को आदेश जारी कर कहा था कि गिरफ्तारियां करते वक्त सावधानी बरती जाए। यह आदेश दंगों की जांच कर रहे वरिष्ठ अधिकारियों को दिए गए थे और इस मुद्दे पर जांच टीम को गाइड करने की भी बात कही गई थी।

फरवरी में हुए दिल्ली दंगे में मारे गए दो लोगों के परिजनों ने हाईकोर्ट ने याचिका दाखिल की थी, जिसमें विशेष पुलिस आयुक्त के आदेश को चुनौती दी गई थी। जिन लोगों ने याचिका दाखिल की है, उनमें एक है साहिल परवेज, जिसके पिता की उनके घर के पास ही गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वहीं दूसरा है सईद सलमानी, जिसकी मां को उनके ही घर में पीट-पीटकर मार डाला गया था। याचिकाकर्ताओं ने द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट को आधार बनाया है, जिसमें ‘विशेष पुलिस आयुक्त द्वारा जांच टीम के अधिकारियों को हिंदुओं के आक्रोश को देखते हुए गिरफ्तारियों में ध्यान रखने की बात कही गई थी।’ यह रिपोर्ट 15 जुलाई को प्रकाशित की गई थी।

अब कोर्ट इस मामले पर 7 अगस्त को सुनवाई करेगा। याचिकाकर्ताओं के वकील महमूद पारचा का कहना है कि विशेष पुलिस आयुक्त का आदेश गैरकानूनी और अवैध है और यह जांच में दखल देने की कोशिश है। वहीं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुए सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त प्रवीर रंजन भी मौजूद रहे और उन्हें अपनी सफाई में कहा कि यह एक खूफिया जानकारी थी, जो कि कुछ एजेंसियों द्वारा हमें मिली थी। यही वजह है कि संबंधित लोगों को यह सलाह दी गई थी।.

जनसत्ता से साभार