यूनियनों ने दिल्ली सरकार को दिया संयुक्त ज्ञापन
दिल्ली। विभिन्न ट्रेड यूनियनों और मज़दूर संगठनों द्वारा 23 जून को दिल्ली में रहने वाले मजदूर वर्ग को कोरोना महामारी से उत्पन्न समस्याओं के संबंध में दिल्ली सरकार को ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन द्वारा मजदूरों के वेतन, नौकरी, राशन व बीमारी आदि समस्याओं के निराकरण की माँग की गई। समाधान ना होने पर संयुक्त प्रदर्शन की चेतावनी दी गई है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री या उप मुख्यमंत्री के नाम संबोधित यह ज्ञापन मुख्यमंत्री या उप मुख्यमंत्री न मिलने पर, उनके ऑफिस में दिया गया।
यूनियनों द्वार इससे पहले भी दो बार इन माँगो को लेकर सरकार को अवगत कराया गया है, लेकिन सरकार ने उसकी कोई सुध नहीं ली है। ट्रेड यूनियनों ने इसपर अविलंब कार्यवाही ना होने पर संयुक्त रूप से आंदोलन करने और एक बड़े विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भेजे ज्ञापन में सभी मजदूरों के परिवार, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, उन्हें तुरंत पूरा मुफ़्त राशन, तेल व एक रसोई गैस सिलेंडर देने; 18 साल से उपर नागरिकों को फ्री में वैक्सीन व सभी सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में तुरंत सभी ओ॰पी॰डी॰ सेवा शुरू करने; सभी मजदूरों को काम, लॉक डाउन अवधि का वेतन व श्रम कार्यालयों में मजदूरों की शिकायतों का तत्काल निपटारा करने तथा ऑटो चालकों को मिलने वाले 5000 रुपये साइकिल रिक्शा व ठेलेवालों को भी देने की माँग की गई है।

ज्ञापन में लिखा है कि हम आपको दिल्ली में रहनेवाले मजदूर वर्ग को कोरोना महामारी से उत्पन्न समस्याओं के बारे में कई बार अवगत करा चुके हैं। लॉक डाउन के दूसरे चरण में बीमारी के साथ साथ दिल्ली में रहनेवाले मजदूर रोजी रोटी के भयानक संकट का सामना कर रहे हैं। राशन कार्ड-धारियों को सूखा राशन तो मिल रहा है परंतु रसोई गैस व खाने के तेल की कीमत इतनी ज्यादा है जिसकी वजह से पकाने में काफी परेशानी हो रही है। यह राशन भी सभी को तुरंत नहीं मिल रहा है।
बिना राशनकार्ड धारियों को जो राशन दिया जा रहा है वह सिर्फ 2 लाख लोगों को ही दिया गया है जो कि पिछले साल के 19 लाख के आंकड़े के हिसाब से बहुत ही कम है। यह न सिर्फ अपर्याप्त है और जरूरत मंद परिवारों के साथ आर्थिक तंगी में मजाक है। इसमें केवल गेहुं व चावल दिया जा रहा है। क्या केवल गेहू व चावल ख़ाना बनाने के लिए पर्याप्त है? इसमें दाल, तेल, नमक, मसाले आदि भी होने चाहियें।

कोरोना बीमारी से सुरक्षा के लिए फ्री वैक्सीन की बात लगातार बताया जा रहा है परंतु यह लग नहीं रहे हैं। मजदूर बस्ती व कच्ची कॉलोनियों में वैक्सीन लगाने के सेन्टर या तो काफी कम है और जहां है वहां टीका नहीं है। प्राइवेट अस्पतालों में या नर्सिंग होम में 1000 से 1500 रुपये में खूब लग रहे हैं। यह दोहरी नीति टीकाकरण व महामारी के नियमों के खिलाफ है। दिल्ली सरकार यह दोहरी नीति तुरंत खत्म करे।
लॉक डाउन धीरे धीरे खुल रहा है व फैक्टरियों को खोलने का आदेश जारी किया है। परंतु प्रबंधक गण मजदूरों को काम नहीं दे रहे हैं। कहते हैं कि टीका लगाकर काम पर आए, कम वेतन पर काम करें व कम मजदूरों से काम कराना, आदि जारी है। लॉक डाउन के पहले व उसी समय का वेतन भी नहीं दिया गया है। श्रम कार्यालयों में शिकायतें भी दर्ज नहीं हो रही हैं।
ट्रेड यूनियनों-संगठनों द्वारा की गई माँग-
- सभी मजदूरों के परिवार, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, उन्हें तुरंत पूरा राशन (पर्याप्त गेहुं, चावल, दाल, नमक, तेल मसाले आदि) फ्री दिया जाये। राशन मिलने वालों को 1 लीटर तेल व एक रसोई गैस सिलेंडर भी फ्री में दिया जाए। साथ ही अनेक जगह राशन खत्म हो गया है, अविलंब इसकी व्यवस्था की जाए व यह व्यवस्था अर्थात पूरा राशन देने की कम से कम 6 माह तक जारी रखी जाए।
- सभी 18 साल से उपर नागरिकों को फ्री में वैक्सीन लगवाया जाये जो जल्दी से जल्दी हो। सभी सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में तुरंत सभी ओ॰पी॰डी॰ सेवा तुरंत शुरू की जाएं।
- सभी मजदूरों को काम मिले, लॉक डाउन अवधि का वेतन मिले व 8 घंटे में न्यूनतम वेतन मिले। श्रम कार्यालयों को तुरंत मजदूरों के शिकायतों को लेकर निपटाया जाय।
- ऑटो चालकों को मिलने वाले 5000 रुपये साइकल रिक्शा व ठेलेवालों को भी दिया जाए।
यूनियनों ने दी चेतावनी
ज्ञापन द्वारा कहा गया है कि इन मांगों के बारे में हम सभी ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त ज्ञापन द्वारा पहले भी आपको अवगत कराया था। न तो हमें जवाब मिला और न ही कोई कार्यवाही होते हुए देखा गया। अतः आपसे फिर से निवेदन करते हैं कि इन ज्वलंत मुद्दों पर जरूर ध्यान दें व जल्दी से कदम उठाएं।
ज्ञापन देने वालों में ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस (न्यू) [AIFTU (New)], ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर [AIUTUC], बिगुल मज़दूर दस्ता, इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस [IFTU], इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस (सर्वहारा) [IFTU (S)], इंक़लाबी मज़दूर केंद्र, मज़दूर सहयोग केंद्र, मज़दूर एकता केंद्र, इन्कलाबी मज़दूर संगठन, न्यू ट्रेड यूनियन इनिश्यटिव [NTUI] के प्रतिनिधि शामिल थे।