दलित किसान की आपबीती
राजकुमार अहिरवार का कहना है कि पुलिस ने उस दिन सारी हदें पार कर दी थीं. उनका कहना है कि पुलिस ने उनकी पत्नी, मां और भाई के साथ उनके छोटे-छोटे बच्चों की भी निशाना बनाया.राजकुमार और उनकी पत्नी सावित्री इस वक़्त गुना के सरकारी अस्पताल में साथ भर्ती हैं.उन्होंने बताया, “हमने खेत पर आए अधिकारियों से बहुत मिन्नतें की लेकिन वो हमारी बात सुनने को तैयार ही नहीं हुए. उन्होंने हमें गाली दी और कहा कि तू हटेगा या नहीं. इसके बाद वो हमारे परिवार पर टूट पड़े.”
राजकुमार ने अस्पताल से फ़ोन पर बताया कि उनकी पत्नी, मां और भाई अलावा उनका सात माह का बच्चा भी पुलिस के उत्पीड़न का शिकार हुआ. उनकी पत्नी सावित्री इस वक़्त अस्पताल में बेसुध हैं और बात करने की स्थिति में नहीं हैं.राजकुमार की मां गीता बाई ने कहा कि उन्होंने प्रशासन ने सिर्फ़ दो महीने की मोहलत मांगी थी ताकि तैयार हो चुकी फसल का नुक़सान न हो. गीता बाई का कहना है कि गब्बू पारदी, जिससे उन्होंने यह ज़मीन बटाई में ली है, वो इस ज़मीन पर 35 साल से खेती कर रहे थे.वो कहती हैं, “जब वो इतने सालों से उस ज़मीन पर खेती कर रहे थे तो हम कैसे मान लेते कि वो इसके मालिक नहीं हैं? दो साल से हम इस ज़मीन पर खेती कर रहे हैं.”
गीता बाई ने बताया कि ये ज़मीन तक़रीबन 50 बीघा है जिस पर वो खेती कर रहे हैं. अहिरवार परिवार का कहना है कि उन्होंने कभी ये दावा नही किया ज़मीन उनकी है.इस ज़मीन पर राजकुमार अहिरवार अपनी पत्नी और छह बच्चों के साथ रहते हैं. उनके अलावा उनके माता-पिता और एक भाई शिशुपाल भी यहां रहते हैं जो शादीशुदा नही हैं. राजकुमार के चार बेटे और दो बेटियां हैं.अहिरवार परिवार इस बात से इनकार कर रहा है कि उन्होंने किसी भी अधिकारी या पुलिसकर्मी के साथ बदतमीज़ी की है.गीता बाई का दावा है कि पूरे परिवार गुज़ारा इसी ज़मीन से होता है इसलिए सबने पुलिस कारर्वाई का विरोध किया. यही वजह है कि उनके बड़े बेटे और बहू ने कीटनाशक पीकर जान देने की भी कोशिश की.
इस मामले का वीडियो के वायरल होने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को गुना ज़िले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को हटाना पड़ा. वहीं, इसके दूसरे दिन ही छह पुलिसकर्मियों को भी निलंबित कर दिया गया.वीडियो वायरल होने के बाद पता चला की पुलिस ने परिवार के साथ बेरहमी से मारपीट की है. राजकुमार के छह बच्चे भी घटना के दौरान रोते और चिल्लाते रहे, जिनकी आवाज़ वीडियो में सुनी जा सकती है.यह घटना शहर के कैंट थाना क्षेत्र की है. शहर के सब डिवीज़नल मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में एक टीम वहां अतिक्रमण हटाने के लिये पहुंची थी और जिस पर राजकुमार खेती की थी. पुलिस के दस्ते ने जेसीबी मशीन के ज़रिये इसे हटाना शुरू कर दिया.राजकुमार और उनकी पत्नी ने इसका विरोध किया लेकिन पुलिस ने उन्हें पीटा और फसल हटाते रहे. इसके बाद पति-पत्नी ने कीटनाशक पीकर अपनी जान देने की कोशिश की.
यह ज़मीन आदर्श महाविद्यालय के लिये आवंटित की जा चुकी थी. सरकारी अधिकारियों का दावा है कि इस ज़मीन पूर्व पार्षद गप्पू पारदी का कब्ज़ा रहा है और उन्होंने यह ज़मीन राजकुमार अहिरवार को पैसे के लेकर खेती के लिये दी थी.इस पर फसल लगाने के लिये राजकुमार ने उधार लिया था. परिवार के गुजारे के लिये इस ज़मीन पर होने वाली फसल ही एक सहारा थी. लेकिन प्रशासन ने इस परिवार की एक न सुनी और उनके साथ बेरहमी से मारपीट की.मारपीट के बाद भी जब उनकी नहीं सुनी गई तो उन्होंने कीटनाशक पी लिया. कीटनाशक पीने के बाद दोनों ज़मीन पर गिर गए लेकिन अधिकारियों ने उसके बाद भी उन्हें अस्पताल नहीं भेजा. उनके बच्चे ही उन्हें उठाते रहे. बाद में प्रशासन के अधिकारी उन्हें लेकर अस्पताल गये.
वहां मौजूद दस्ते का कहना था कि राजकुमार का परिवार मामले को बढ़ा-चढ़ाकर बता रहा है लेकिन जब राजकुमार के भाई वहां आए तो पुलिस ने उनके साथ भी मारपीट की.कांग्रेस नेता राहुल गांधी और बसपा सुप्रीमो मायावती समेत कई नेताओं ने इस मुद्दे को उठाया. प्रदेश में भी विपक्षी कांग्रेस के साथ ही भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी पुलिस को निशाने पर लिया. इसके अलावा कई संगठनों ने भी परिवार की पिटाई का विरोध किया.
शुरैह नियाज़ी
बीबीसी हिंदी से साभार