वादाखिलाफी पर 21 को किसानों का देशव्यापी रोष प्रदर्शन, 28-29 की मज़दूर हड़ताल का समर्थन

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किसानों ने की चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा। लिखित वायदों पर तीन महीने बाद भी अमल नहीं करना केंद्र सरकार की किसान विरोधी मंशा को उजागर करता है। -संयुक्त किसान मोर्चा

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने किसानों से किए गए वादों पर केंद्र द्वारा अब तक की गई प्रगति की समीक्षा की, जिसमें एमएसपी पर एक समिति गठित करने का वादा भी शामिल है। यह स्पष्ट रूप से सामने आया कि मोदी सरकार अब अपने सारे वायदों से मुकर रही है।

सोमवार को दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में दिन भर चली बैठक में इसपर रोष प्रकट किया गया और आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया गया।

इस बीच गोदी मीडिया एकबार फिर एसकेएम और किसान आंदोलन को बदनाम करने पर उतार गई है। वह मोर्चा टूटने, और बिखराव की बात फैलाकर किसान विरोधी माहौल बनाने में जुटी है। हालांकि इनके कुकर्मों से आंदोलन पहले भी नहीं टूटा और आगे भी मजबूती से आगे बढ़ेगा।

हर स्तर पर केंद्र सरकार कर रही है वायदाखिलाफ़ी

एसकेएम नेताओं ने कहा कि भारत सरकार द्वारा 9 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा को दिए लिखित आश्वासनों की समीक्षा की और यह पाया कि 3 महीने बीत जाने के बाद भी सरकार ने अपने प्रमुख वायदों पर कुछ भी नहीं किया है। एमएसपी पर जो कमेटी बनाने का आश्वासन था उसका नामोनिशान भी नहीं है।

हरियाणा को छोड़कर अन्य राज्यों में किसानों के खिलाफ आंदोलन के दौरान दर्ज केस वापस नहीं लिए गए हैं। दिल्ली पुलिस ने कुछ केसों को आंशिक रूप से वापस लेने की बात कही है. लेकिन उसका भी कोई ठोस सूचना नहीं है। देशभर में रेल रोको की केसों के बारे में भी कुछ नही हुआ है।

दरअसल केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक आंदोलन के दबाव में तीन कृषि कानून वापस ले लिए पर अन्य सभी वादों से सरकार पीछे हटती नजर आ रही है। मामला एमएसपी का हो या फिर किसानों की कर्जमाफी का, सरकार सभी वादों से मुकरती नजर आ रही है। किसानों पर दर्ज मुकदमे भी वापस नहीं लिए जा रहे।

लखीमपुर खीरी में किसानों को कार से कुचलने के मामले में सरकारी गवाहों को जान से मारने की धमकी दी जा रही है। मुख्य आरोपी आशीष मिश्र को जमानत मिलने के बाद पीड़ित परिवारों और गवाहों की जान को खतरा बढ़ गया है लेकिन सरकार दरअसल अभयुक्तों को बचाने में लगी है।

संयुक्त किसान मोर्चे में दरार? एक ही जगह पर नेताओं ने की अलग-अलग मीटिंग

विरोध कार्यक्रमों की घोषणा

संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सभी संगठनों की बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि लखीमपुर खीरी हत्याकांड पर सरकार की भूमिका और किसान आंदोलन को दिए आश्वासनों पर वादाखिलाफी के मुद्दे को लेकर 21 मार्च को देशभर में रोष प्रदर्शन आयोजित होगा। इसके बाद 25 मार्च को चंडीगढ़ से ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा।

28 और 29 मार्च को ट्रेड यूनियन के देशव्यापी भारत बंद के आह्वान को संयुक्त किसान मोर्चा ने समर्थन दिया। मोर्चा नेताओं ने कहा कि देश भर में किसान उसमें बढ़-चढ़कर भागीदारी करेंगे।

अगले महीने 11 से 17 अप्रैल के बीच एमएसपी की कानूनी गारंटी सप्ताह मना कर राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत की जाएगी। इस सप्ताह के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े संगठन सभी किसानों को अपने कृषि उत्पाद पर स्वामीनाथन कमीशन द्वारा निर्धारित (C2+50%) न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग उठाते हुए धरना, प्रदर्शन, गोष्ठी का आयोजन करेंगे।

किसान विरोधी चेहरा उजागर

एसकेएम नेताओं ने कहा, ”केंद्र ने किसानों से एमएसपी पर कानून बनाने, किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिमंडल से निकालने के मुद्दे पर किए गए वादों को पूरा करने में कोई प्रगति नहीं की है।”

कहा, ”इसलिए एसकेएम ने वादों को पूरा नहीं करने को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ 21 मार्च को जिला और ब्लॉक स्तर पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है।”

एसकेएम 40 किसान यूनियनों का एक संगठन है, जिसने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक समय तक चले आंदोलन का नेतृत्व किया था। एसकेएम ने बाद में एक बयान में कहा कि किसानों को दिये आश्वासनों पर तीन महीने बाद भी अमल नहीं करना केंद्र सरकार की किसान विरोधी मंशा को उजागर करता है।