इलेक्ट्रिसिटी (अमेण्डमेंड) एक्ट 2020 का देशव्यापी विरोध

0
0

दमन की धमकियों के बावजूद विद्युत अधिकारियों/कर्मचारियों ने काला फीता बांध किया प्रदर्शन

केन्द्र सरकार द्वारा लाये जा रहे इलेक्ट्रिसिटी (अमेण्डमेंड) एक्ट 2020 और निजीकरण के विरोध में 1 जून को देशभर के 15 लाख विद्युत अधिकारियों/कर्मचारियों ने दिन भर काला फीता बांधकर कार्य किया, शारीरिक दूरी के साथ धरना-प्रदर्शन किया तथा प्रधानमंत्री, ऊर्जा मंत्री भारत सरकार व अपने राज्यों के मुख्यमंत्रियों को संबोधित ज्ञापन प्रेषित किया।

विद्युत अधिकारी/कर्मचारी नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एंप्लाइज एवं इंजीनियर्स ने काला दिवस मनाने का आह्वान किया था। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश सहित कई राज्य सरकारों द्वारा एस्मा लगाने की धमकी सहित दमनकारी क़दमों के बावजूद एकजुट प्रदर्शन सफल रहा। बिजली महक़मे को अडानियों-अम्बानियों जैसे मुनाफाखोरों को सौंपने की मोदी सरकार के क़दम की देश के विभिन्न हिस्सों में जमकर मुखालफत हुई।

कोविड के बहाने निजीकरण नहीं चलेगा

नेताओं ने कहा कि जिस समय विश्व एवं देश भयंकर महामारी कोविड-19 के साथ जूझ रहा है, इसी समय देश का ऊर्जा मंत्रालय सामान्य दिनों से भी आगे जाकर कार्य करते हुए, विद्युत अधिनियम सुधार 2020 लाया है, जिसमें मुख्यतः निजीकरण को बढ़ावा देना, किसानो एवं अन्य गरीब वर्गो की सब्सिडी का अप्रायोगिक कार्य डीबीटी लाना, निजी घरानों को फायदा देने हेतु, विद्युत कॉन्ट्रैक्ट एनफोर्समेंट अथॉरिटी बनाने, राज्य सरकारों के अधिकार कम करने, बिजली वितरण में सब लाइसेंसी लाने जैसे सुधार प्रस्तावित हैं।

Electricians Celebrated Black Day

जिसका देश में सभी बिजली कर्मी विरोध कर रहे हैं, क्योंकि यह प्रस्ताव निजीकरण को बढ़ावा देकर एवं आम उपभोक्ताओं की बिजली महंगी करना है।

ज्ञात हो कि भारत सरकार द्वारा कोविड-19 के दौरान देश की आर्थिक व्यवस्था सुदृढ़ रखने के बहाने 90000 करोड़ का पैकेज विद्युत क्षेत्र को दिया गया है। उसे वितरण कंपनियों को केवल निजी विद्युत उत्पादकों के बिलों की राशि देने के लिए लोन दिया जा रहा है, जिससे वितरण कंपनियों को कोई फायदा ना होकर उसके ऊपर लोन चुकाने की जिम्मेदारी भी आएगी एवं निजी उत्पादक फायदा उठाएंगे।

बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति, भादरा, हनुमानगढ़ (राजस्थान) द्वारा प्रेषित ज्ञापन

साथ ही इस पैकेज में यह भी घोषणा की गई है कि सभी केंद्र शासित राज्यों की बिजली वितरण को निजी हाथों में सौंपना है जबकि सभी केंद्र शासित राज्य में ए एटी एंड सी हानियां 15% के नीचे है एवं कहीं-कहीं तो केवल 4.0 – 5.0 % ही है। इसका मतलब यह हुआ कि घाट के कारण निजीकरण नहीं किया जाना है। सभी का निजीकरण कर के औद्योगिक घरानों को फायदा देने का भारत सरकार का निर्णय है, जिसे भविष्य में किया जाएगा।

Black workers celebrated black day to protest against ...

इलेक्ट्रिसिटी (अमेण्डमेंड) एक्ट 2020 खतरनाक है

  1. केंद्र सरकार द्वारा बिजली बिलों में सब्सिडी एवं क्रॉस सब्सिडी समाप्त करने से किसानों,गरीबों तथा समस्त घरेलू उपभोक्ताओं के बिलों में बेतहाशा वृद्धि 2 गुणों से 5 गुने तक होना निश्चित है तथा यह प्रावधान कि राज्यों द्वारा निजी उत्पादन इकाइयों का भुगतान नहीं होने पर ग्रिड्स/केंद्रीय उत्पादन इकाइयों से राज्यों की सप्लाई रोकना राज्य के उपभोक्ताओं और निवासियों के हितों के विरुद्ध है।
  2. बिजली जिसमें कि राज्य तथा केंद्र दोनों के अधिकार समान हैं उसमें केंद्र द्वारा एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (राज्यों के नियामक आयोग के महत्त्व को समाप्त करते हुए) के गठन के माध्यम से राज्यों के अधिकार का हनन करते हुए अपना एकाधिकार चाहता है जिससे राज्य सरकारें चाह कर भी उपभोक्ताओं को कोई राहत/नियंत्रण नहीं दे सकेंगे।
  3. ऊर्जा/वितरण क्षेत्र में फ्रेंचाइजी सिस्टम जोकि उड़ीसा, बिहार, महाराष्ट्र जैसे राज्यों के कई शहरों में पूर्णता विफल हो जाने के कारण पुनः सरकारों को फ्रेंचाइजी करार निरस्त करने पड़े और बिजली वितरण स्वयं अपने नियंत्रण में लेना पड़ा परंतु एक बार फिर से पूरे देश के स्तर पर फ्रेंचाइजी सिस्टम का प्रयोग केवल कुछ करीबी औद्योगिक घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए ही करने का प्रयास किया जा रहा है।
  4. इस बिल के माध्यम से सरकार घाटे का राष्ट्रीयकरण और मुनाफे का निजीकरण करने के रास्ते की और आगे बढ़ रही है।
  5. भारत जैसे विकासशील देश में जहां प्रति व्यक्ति आय दुनिया के सबसे पिछड़े देशों में है वहां बिजली जैसी मूलभूत सुविधा वाले संसाधनों का लाभ कमाने के उद्देश्य बाजारीकरण और व्यवसायीकरण करना किसी भी प्रकार से देश हित/जनहित में नहीं है।

हर जगह विरोध प्रदर्शन

नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाईज एण्ड इंजीनियर एवं विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, के संयुक्त आह्वान पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान सहित देश के समस्त राज्यों की जिला इकाई के सदस्यों ने काला दिवस मनाया।

Effort of privatization in energy corporations will not be ...

विद्युत कर्मचारी, जूनियर इंजिनियर और अभियंता अपने-अपने कार्यों पर उपस्थित रहकर अपने दाएं हाथ में काला फीता बांध कर भोजनावकाश के समय फिसिकल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए हाथों में मांगों के समर्थन में निजीकरण विरोधी तख्तियां लेकर शांतिपूर्वक विरोध व्यक्त किए।

ऊर्जा निगम कर्मियों ने काला फीता ...

विरोध प्रदर्शन के माध्यम से केंद्र एवं राज्य सरकार से मांग हुई कि व्यापक जन-हित में इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल-2020 क़ो वापस लिया जाए तथा ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण की समस्त प्रकिया को बंद किया जाए, श्रम कानूनों को तीन वर्ष के लिये निलंबित किये जाने के आदेश को वापस लिया जाए।