एफएसएनएल इस्पात मंत्रालय के अधीनस्थ एक सरकारी उपक्रम है जिसका मुख्यालय भिलाई में ही है। यह इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के साथ अनेक परियोजनाओं में भागीदार है।
Bhilai भिलाई. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से फेरो सक्रैप निगम लिमिटेड (FSNL) के अधिकारी संघ के प्रतिनिधियों ने मुलाकात की। संघ ने मुख्यमंत्री को बताया कि एफएसएनएल इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के साथ अनेक परियोजनाओं में भागीदार है। पूर्व में शासन ने इस कंपनी का विलय सेल अथवा आरआईएनएल में किए जाने का प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन वर्तमान केन्द्र शासन ने एफएसएनएल के निजीकरण का निर्णय लिया है। अधिकारियों ने बघेल से इस उपक्रम को निजी हाथों में जाने से बचाने आवश्यक कदम उठाने की मांग की।
अधिकारी संघ ने मुख्यमंत्री को बताया कि एफ.एसएनएल इस्पात मंत्रालय के अधीनस्थ एक सरकारी उपक्रम है जिसका मुख्यालय भिलाई में ही है। यह संस्था मुख्यत: सरकारी स्टील उपक्रमों जैसे सेल, आरआईएनएल एवं एनएमडीसी जैसे उपक्रमों में स्क्रैप प्रोसेसिंग का कार्य करती है। यह अपने स्थापना वर्ष सन् 1979 से ही लगातार कर्मचारियों की मेहनत और लगन के बदौलत आज तक कभी भी घाटे में नहीं रही है। विगत् तीन वर्षों में क्रमश: 41.09 करोड़ 46.02 करोड़ और 32.06 करोड़ का लाभ दिया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में सिर्फ 9 महीने में ही 42.67 करोड़ का लाभ अर्जित कर चुका है। प्रतिनिधिमंडल में सेफी अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार बंछोर, ओए-बीएसपी महासचिव परविन्दर सिंह, एफ.एसएनएल अधिकारी संघ से अध्यक्ष सत्येन्द्र कुमार झा, महासचिव दीपक तोमर, उपाध्यक्ष के. गिरीश शामिल थे।
वर्तमान में एफएसएनएल को छत्तीसगढ़ के एनएमडीसी नगरनार स्टील प्लांट में 240 करोड़ रुपए का कार्य मिला है जिसका प्रारंभ मई 2022 से होना है। इसमे सैकड़ों स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार का मौका मिलेगा। वर्तमान में एफएएसएनएल की विभिन्न इकाईयों मे लगभग 600 स्थाई एवं 3000 अस्थायी कर्मचारी कार्यरत हैं।
जेपी शुक्ला समिति ने एफएसएनएल की विभिन्न इकाइयों का साइट निरीक्षण और सुक्ष्म एवं गहन अध्ययन के उपरांत 14 मई 2008 को अपनी अनुशंसा रिपोर्ट पेश की थी। समिति का साफ कहना है कि सेल का सब्सिडरी कंपनी बनाई जाय या फिर सेल, आरआईएनएल एवं एमएसटीसी लिमिटेड के साथ संयुक्त उद्यम बनाया जाए जिसमें सेल मेजोरिटी शेयरधारक हो।
एफएसएनएल म लागत में अधिक लाभ देने वाली संस्था है। प्रतिवर्ष औसतन 25-35करोड़ रुपए लाभांश के तौर पर दिया जा रहा है जबकि भारत सरकार ने मात्र 32 करोड़ निवेश किया था। वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान भी सरकार एवं समाज को हर संभव सुविधाएं प्रदान की है। एफएसएनएल के निजीकरण के पश्चात स्क्रैप माफिया एवं बिचौलियों के लिए सरकारी इस्पात संयंत्रों में घुसपैठ के अवसर उपलब्ध हो जाएंगे जिससे राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान होना तय है।
पत्रिका से साभार