माँगें : विद्युत विभाग में ठेका प्रथा बंद कर विभाग में समायोजन हो, न्यूनतम वेतन 18000 रुपए हो, दुर्घटना बीमा 15 लाख किया जाए, सेवानिवृत्त 62 वर्ष किया जाए आदि।
जिले के विद्युत विभाग में कार्यरत ठेका कर्मचारी 23 मार्च को छग विद्युत विभाग ठेका कर्मचारी कल्याण संघ के तत्वावधान में ठेका प्रथा बंद करने समेत अन्य मांगों एवं समस्याओं को लेकर विधानसभा का घेराव करेंगे। जिलाध्यक्ष प्रदीप जायसवाल ने कहा कि विगत कई वर्षों से ठेका कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करते आ रहे हैं। बीजेपी सरकार और वर्तमान कांग्रेस सरकार ने ठेका कर्मचारियों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया। बिजली विभाग और ठेका कर्मचारियों के बीच एक ठेकेदार को माध्यम रखा गया है, जिनका काम सिर्फ अपने फायदे के लिए कर्मचारियों का शोषण करना है। रविवार को ब्राह्मण समाज के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान ठेका कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री को मांगों के संबंध में ज्ञापन भी सौंपा।
चुनावी जनघोषणा पत्र के अनुसार ठेका प्रथा बंद कर विभाग में समायोजन किया जाए। केंद्रीय न्यूनतम वेतनमान 18000 रुपए किया जाए, दुर्घटना बीमा 15 लाख किया जाए, सेवानिवृत्त 62 वर्ष किया जाए, विद्युत विभाग में ठेका कर्मचारियों का नियमितीकरण किया जाए।
ठेका कर्मचारी कल्याण संघ के जिलाध्यक्ष प्रदीप जायसवाल ने कहा कि कांग्रेस सरकार चुनाव से पहले घोषणा पत्र में ठेका प्रथा बंद करने की बात कही थी लेकिन बिजली विभाग द्वारा नए टेंडर प्रक्रिया जारी कर हजारों ठेका कर्मचारियों को भर्ती किया जा रहा है जो वर्तमान सरकार की वादाखिलाफी है। ठेका कर्मचारी कई वर्षों से ठेकेदारों द्वारा शोषण का शिकार होते आ रहे हैं। समय पर वेतन नहीं दिया जाता, कलेक्टर दर पर पेमेंट नहीं दिया जाता, ईपीएफ की राशि जमा नहीं की जाती। बिजली विभाग और ठेका कर्मचारियों के बीच एक ठेकेदार को माध्यम रखा गया है, जिनका काम सिर्फ अपने फायदे के लिए कर्मचारियों का शोषण करना है।
ठेका कर्मचारी कल्याण संघ के जिलाध्यक्ष प्रदीप जायसवाल ने कहा कि राहत देने हल है कि डायरेक्ट विभाग में समायोजित कर विभाग से वेतन का भुगतान किया जाए। इस दौरान राजेश मरकाम, विनीत पात्रे, रघु गोयल, आनंद साहू, संतोष वर्मा आदि मौजूद रहे।
दैनिक भास्कर से साभार