बढ़ सकती है महिला हिंसा के 31 मिलियन मामले
दरअसल, जैसे-जैसे देश-दुनिया में लॉकडाउन बढ़ रहा है. महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाओं (women health services) के लिए खासा संघर्ष करना पड़ रहा है. अभी तक सामने आए मामलों से यही पता चला है कि पूरे लॉकडाउन के दौरान यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं को नजरअंदाज किया गया है. यही नहीं महिलाओं पर होने वाले घरेलू हिंसा में भी काफी बढ़ोत्तरी हुई है.
हाल ही में यूएनएफपीए द्वारा किए गए शोध से पता चला है कि अगर आगे भी 6 महीने तक लॉकडाउन जारी रहता है, तो निम्न और मध्यम आय वाले देशों की 47 मिलियन महिलाएं आधुनिक गर्भ निरोधकों से वंचित रह जायेंगी. जिसके परिणामस्वरूप 7 मिलियन अनपेक्षित गर्भधारण हो सकता है. जिससे भविष्य में महिला हिंसा संबंधी 31 मिलियन अतिरिक्त मामले भी बढ़ सकते है.यूएनएफपीए के अनुसार संगठन द्वारा ग्राउंड लेवल पर चलाए जाने वाले जागरूकता कार्यक्रमों में भी भारी गिरावट दर्ज की जा सकती है. जिससे वर्ष 2020-2030 तक के बीच 13 मिलियन बाल विवाह भी होने की संभावना है.
शोध के अनुसार कोविड-19 के कारण एक बार फिर समाज में महिलाओं के प्रति असमानता बढ़ने की संभावना है. जैसा कि ज्ञात हो पिछले कुछ दशकों में भारत समेत दुनियाभर में महिलाओं को पुरूषों के समान अधिकार दिलवाने के लिए कई अभियान चले हैं. जिसके परिणामस्वरूप देशभर में करीब हर सेक्टर में महिलाएं कंधे-से-कंधा मिलाकर काम कर रही है. शोध के अनुसार इसपर खासा असर पड़ सकता है.
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (United Nations Population Fund) के रिर्पोट के अनुसार, आमतौर पर कई गरीब महिलाएं असुरक्षित रूप से मजदूरी करके अपना भरण-पोषण करती हैं. कोरोना काल से बढ़ने वाली बेरोजगारी और आर्थिक संकट से इन्हें बहुत कठिनाई होने वाली है. वृद्ध लोगों की बढ़ती जरूरतों के कारण भी हिंसा में वृद्धि हो सकती है.इसके अलावा इस महामारी ने शिक्षा व्यवस्था को भी ध्वस्त कर दिया है. ऐसे में स्कूल नहीं खुलने से बच्चियों की शिक्षा पर भी काफी असर पड़ सकता है.
सुमीत कुमार वर्मा