तेल कुँए में विष्फोट से 5 दिन से पूरा इलाका त्रस्त
सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल इंडिया लिमिटेड के असम स्थित गैस के कुंए में बुधवार को विस्फोट हुआ था. इसके बाद से ही तिनसुकिया जिले में संयंत्र के आसपास के इलाके को खाली कराया जा रहा है. बीते पांच दिनों में अब तक करीब 2 हजार लोगों को विस्थापति किया जा चुका है.
तिनसुकिया जिला प्रशासन के अनुसार गैस रिसाव वाले दिन से बाघजान गांव के करीब दो हजार लोगों को स्कूल में बने शिविरों में रखा जा रहा है.

27 मई को हुआ था विस्फोट
बुधवार 27 मई को सुबह साढ़े दस बजे के करीब तिनसुकिया जिले में बागजान तेलक्षेत्र के तहत आने वाले बागजान-5 कुंऐ में अचानक से बहुत हलचल देखने को मिली. उस समय वहां गैस उत्पादन का काम चल रहा था.
कंपनी का कहना है कि कुंए में विस्फोट को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी का छिड़काव किया गया है. साथ ही ब्लोआउट को रोकने वाली प्रणाली को लगाया गया है.
क्या है ब्लोआउट यानी विस्फोट से अनियंत्रित रिसाव
तेल और गैस क्षेत्र में जब कभी कुंए के अंदर दबाव अधिक हो जाता है तो उसमें अचानक से विस्फोट होता है और कच्चा तेल या प्राकृतिक गैस अनियंत्रित तरीके से बाहर आने लगती है. इसे ही ब्लोआउट कहा जाता है.
जानकार बताते हैं कि यह स्थिति कुंए के अंदर दबाव बनाए रखने वाली प्रणाली के सही तरीके से काम नहीं करने के चलते बनती है.

अभी भी रिसाव बेकाबू
पांच दिन बीत जाने के बाद भी इस रिसाव को नियंत्रण करने में जुटी संकट प्रबंधन टीम और बाहर से आए विशेषज्ञ अबतक सफल नहीं हो पाए हैं.
ऑयल इंडिया लिमिटेड के प्रवक्ता त्रिदीप हज़ारिका ने बीबीसी से कहा, “हमारी टीम और बाहर से आए विशेषज्ञ गैस रिसाव को नियंत्रण करने से जुड़े काम में लगे हुए हैं और आने वाले बुधवार को हम एक अंतिम प्रयास करेंगे. हमारी ऑयल इंडिया की टीम के अलावा ओएनजीसी से आठ विशेषज्ञ आए हैं जो बीते तीन-चार दिनों से इस काम में लगे हैं. अगर ख़ुदा न खास्ता हमें ज़रूरत पड़ी तो तीन अमरीकी विशेषज्ञों से भी संपर्क किया जा रहा है. इस काम में सरकार पूरी मदद कर रही है.”
जवाबदेही किसकी?
आखिर किन कारणों से इतने बड़े स्तर पर ऑयलफील्ड में गैस रिसाव हुआ और इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
इस सवाल का जवाब देते हुए त्रिदीप हज़ारिका ने कहा, “इस पूरी घटना की जांच करवाने के लिए जांच कमेटी बनाई गई है लेकिन इस समय दिक्कत यह है कि जहां गैस रिसाव हो रहा है वहां जांच दल के लोग नहीं जा सकते. फिलहाल गैस रिसाव वाली जगह तक पहुंचना आसान नहीं है. इस गैस रिसाव को लेकर हमारे हाथ जो तथ्य लगे हैं उनकी जांच की जा रही है. इस बीच जो प्राइवेट पार्टी जॉन एनर्जी लिमिटेड हमारे लिए इस ऑयलफील्ड में काम कर रही थी उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया गया है.”
गैस से ख़तरा चौतरफा
ऑयल इंडिया लिमिटेड पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. गांव के लोगों को हुई क्षति की भरपाई कैसे होगी? जिस इलाके में गैस रिसाव की यह घटना हुई है उसके बिल्कुल पास मौजूद डिब्रू सैखोवा नेशनल पार्क समेत संवेदनशील वेटलैंड है जहां लुप्तप्राय प्रजातियों के पक्षी आते हैं.
बाघजान गांव के पास से गुजरने वाली डिब्रू नदी के पानी पर भी गैस रिसाव के कारण काफी असर पड़ा है. सोशल मीडिया पर जो वीडियो शेयर किए जा रहे हैं उसमें देखा जा रहा है कि गैस रिसाव के प्रभाव से नदियों में मछलियां मर गई हैं. साथ ही लुप्तप्राय एक डॉल्फिन भी पानी में मरी पड़ी है.
राज्य सरकार की भूमिका सवालों के घेरे में
इस बीच स्थिति का जायजा लेने के बाद असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और ऑयल इंडिया लिमिटेड के सीएमडी से स्थिति पर चर्चा की है. हालांकि गैस रिसाव से पर्यावरण को हो रही क्षति को लेकर राज्य सरकार की भूमिका पर कई लोग सवाल खड़े कर रहे हैं.
असम के वन एवं पर्यावरण मंत्री परिमल शुक्लवैद मानते है कि गैस रिसाव की इस घटना से पर्यावरण पर काफी असर पड़ा है.

इलाके में तबाही का आलम
स्थानीय लोगों का कहना है कि गैस रिसाव की इस घटना के बाद हमारा इलाका अब रहने लायक नहीं बचा. इससे न केवल आसपास के पर्यावरण को क्षति पहुंची है बल्कि हमारे गांव के लोग बेघर हो गए हैं. बाघजान गांव में छह सौ से अधिक परिवार बसे हैं और गैस लीक होने के बाद उन सबको अपना घर-बार छोड़कर भागना पड़ा.
यहां ज़्यादातर लोग किसान हैं और कई लोग पास की नदियों में मछलियां पकड़ कर अपना गुजारा करते हैं. लेकिन गैस रिसाव के कारण यहां से गुज़रने वाली डिब्रू नदी, लोहित नदी का पानी पूरी तरह प्रदूषित हो गया है.
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार कई लोगों के मवेशी मर गए हैं. पेड़ पौधे बर्बाद हो गए हैं. ऑयल फील्ड वाली जगह से दो किलोमीटर दूर तक गैस की दुर्गंध इतनी ज़्यादा है कि वहां कोई जा नहीं सकता. गैस लीकेज को तो देर सबेर बंद कर दिया जाएगा लेकिन हम लोगों को सामान्य वातावरण में फिर से बसाने में फिलहाल कितना समय लगेगा, कोई नहीं जानता.