फासीवाद का मुकाबला करने के लिए संयुक्त मोर्चा बनाने का आह्वान
कुरुक्षेत्र, 15 मार्च। जन संघर्ष मंच हरियाणा, क्रांतिकारी नौजवान सभा, इंकलाबी मजदूर केंद्र के संयुक्त तत्वाधान में ‘भारतीय राज्य का चरित्र व वर्तमान जन प्रतिरोध’ विषय पर एक सेमिनार स्थानीय जाट धर्मशाला कुरुक्षेत्र में आयोजित हुआ। सेमिनार में देश में आसन्न फासीवादी खतरे के मद्देनजर भारतीय राज्य के चरित्र में बदलाव के विविध पहलुओं पर चर्चा हुई और धार्मिक आधार पर बांटने की मुखालफ़त के साथ संयुक्त मोर्चा बनाने की ज़रुरत पर जोर दिया गया।
सेमिनार में जन संघर्ष मंच हरियाणा के सलाहकार कामरेड श्याम सुंदर ने भारतीय राज्य के पूंजीवादी चरित्र को स्पष्ट करते हुए कहा कि 1947 में सत्ता हस्तांतरण के बाद यहां पूंजीवादी जनतंत्र की स्थापना के साथ पूंजीवादी संविधान लागू हुआ। उन्होंने कहा कि पूंजीवादी जनतंत्र के तहत बनने वाली सरकारें पूंजीपति वर्ग के औसत हितों का प्रबंध करने वाली कमेटी के अलावा और कुछ नहीं होती। वर्तमान भाजपा सरकार अपने हिंदुत्ववादी एजेंडे के तहत सीएए, एनआरसी, एनपीआर जैसे काले कानून लेकर आ रही है जिससे कि भारत की गैर-हिंदू आबादी दोयम दर्जे का नागरिक बनकर रह जाए। भाजपा व संघ अपने आदर्श सावरकर के विचारों पर चलते हुए आज कह रहे हैं कि रामत्व ही राष्ट्रीयत्व है। देश के गृह मंत्री अमित शाह सावरकर के विचारों को ही प्रदर्शित करते हुए दिल्ली चुनावों में जनता से पूछते हैं कि आप शाहीन बाग के साथ हैं या भारत माता के सपूतों के साथ, जैसे कि किसी कानून का विरोध करना कोई राष्ट्र विरोधी काम हो।

उन्होंने कहा कि देश के गृह मंत्री भ्रम फैला रहे हैं कि किसी भी नागरिक की नागरिकता पर संदेह नहीं किया जाएगा और कोई डाउटफुल नहीं लिखा जाएगा जबकि एनपीआर कानून में इसका प्रावधान ज्यों का त्यों मौजूद है। उन्होंने कहा कि सरकारों में भाग लेकर फासीवाद को नहीं रोका जा सकता। फासीवाद का मुकाबला तमाम मजदूरों मेहनतकश का संयुक्त मोर्चा बनाकर ही किया जा सकता है।
इंकलाबी मजदूर केंद्र के नेता नगेंद्र ने कहा कि भारत के संविधान में धर्मनिरपेक्षता, संघीय ढांचा, समाजवाद का जिक्र है परंतु मौजूदा सरकार का प्रयत्न यह है कि इसका चरित्र हिंदुत्ववादी बने। मौजूदा भाजपा सरकार हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए प्रयासरत है। सरकार संघीय ढांचे और धर्मनिरपेक्षता पर कुठाराघात कर रही है।
उन्होंने कहा कि सीएए ,एनआरसी ,एनपीआर जैसे काले कानून मजदूरों मेहनतकश, दलितों, आदिवासियों के खिलाफ हैं इससे सभी गरीब मजदूर मेहनतकश प्रभावित होंगे। असल में वर्तमान जन प्रतिरोध बेरोजगारी, भुखमरी, महंगाई, आर्थिक संकट और असुरक्षा की ही अभिव्यक्ति है। आज हमारे सामने चुनौती है कि वर्तमान जन प्रतिरोध को मजदूरों के संघर्ष के साथ जोड़ा जाए।

क्रांतिकारी नौजवान सभा के नेता नयन ज्योति ने कहा कि आज देश में आसन्न फासीवादी खतरे के मद्देनजर भारतीय राज्य के चरित्र में कई बदलाव के पहलू व लक्षण नज़र आ रहे है। धर्म निरपेक्षता के बदले एक खास किस्म के हिंसक बहुसंख्यकवादी राजनीति का उदय इसका एक लक्षण हैं, जिसके आधार पर नागरिकता की परिभाषा भी बदलने की कोशिश है। इसके ख़िलाफ़ जन प्रतिरोध, उत्तरपूर्व में एक किस्म से रहा, तो भारत के बाकी हिस्सों में दूसरे किस्म से। पिछले तीन महीने में खासकर ये जन प्रतिरोध अपने उतार चढ़ाव से गुजर रहा है। इसके साथ ही, भारतीय राज्य के चरित्र में संघीय ढांचा के मुकाबले केंद्रीकरण की कई प्रवृतियां देखी जा रही है, जिसमे राष्ट्रवाद के साथ राष्ट्रीयता का सवाल भी पुनः हमारे सामने मौजूद हुई है।
उन्होंने कहा कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाकर कश्मीरी लोगों को और अधिक अलगाव की तरफ धकेल दिया गया है और फौज के बल पर कश्मीरी जनता का दमन किया जा रहा है। उन्होंने उत्तर पूर्व में जन प्रतिरोध का जिक्र करते हुए कहा कि वहां अफस्पा जैसे काले कानून लागू करके जनता का इतना दमन किया जा रहा है कि वह अपने वजूद पर ही खतरा महसूस कर रहे हैं।
जन संघर्ष मंच हरियाणा के सलाहकार डॉ सी डी शर्मा ,प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की रजनी, समतामूलक महिला संगठन की संयोजिका डॉक्टर सुनीता त्यागी, छात्र संगठन एसओएसडी की संयोजिका कविता विद्रोही, परिवर्तनकामी छात्र संगठन के दीपक, रोहित, अशित, प्रवेश, जन कल्याण मंच पानीपत के सतपाल आदि ने भी अपने विचार रखे।
सेमिनार का समापन करते हुए जन संघर्ष मंच हरियाणा के प्रधान कामरेड फूल सिंह ने हिंदुत्ववादी फासीवाद का मुकाबला करने के लिए संयुक्त मोर्चा बनाने का आह्वान किया। सेमिनार में क्रांतिकारी गीतों को प्रस्तुत किया गया।