कर्मचारी चलाएंगे वोट फॉर ओपीएस मुहिम। कर्मचारियों ने कहा कि सत्ता जब जब कर्मचारियों के हकों पर ढाका डालती है, कर्मचारियों से टकराने का काम करती है तब तब उसे सत्ता गंवानी पड़ी है।
जींद (हरियाणा)। पुरानी पेंशन बहाली संघर्ष समिति की ओर से ओपीएस की मांग को लेकर रविवार को जींद के एकलव्य स्टेडियम में संकल्प महारैली का आयोजन किया गया। इसमें प्रदेशभर से कर्मचारियों, अधिकारियों व पेंशनर्स ने भाग लिया। इस महारैली में प्रदेश के सभी विभागों के लाखों कर्मचारियों ने पहुंचकर पेंशन बहाली की आवाज को बुलंद किया।
रैली में वक्ताओं ने कहा कि यदि 20 फरवरी को बजट सत्र में ओपीएस लागू करने की घोषणा नहीं की तो प्रदेश के तीन लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी, दो लाख पेंशनर्स और एक लाख केंद्रीय कर्मचारी वोट फॉर ओपीएस मुहिम चलाएंगे और सत्ता पलटने का काम करेंगे।

पेंशन बहाली संघर्ष समिति हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष विजेंदर धारीवाल ने कहा कि सरकार दमनकारी और तानाशाही नीति अपनाकर कर्मचारियों को उनके संवैधानिक हक से वंचित रख रही है। हरियाणा का कर्मचारी ये शोषण कभी सहन नहीं करेगा। सरकार 20 फरवरी से चलने वाले बजट सत्र में कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल नहीं करती है तो कर्मचारी अपने वोट का प्रयोग सत्ता पलटने के लिए करेंगे।
उन्होंने कहा कि इससे पहले भी कर्मचारी पेंशन बहाली संघर्ष समिति के बैनर तले लगातार धरने प्रदर्शन, भूख हड़ताल विरोध प्रदर्शन आदि कर चुके है। बीते वर्ष भी 19 फरवरी को मुख्यमंत्री आवास के घेराव में पंचकूला पहुंचे थे तब मुख्यमंत्री के साथ हुई वार्ता में 20 फरवरी को तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था।
उसके बाद 3 मार्च 2023 को कमेटी के साथ हुई वार्ता में संघर्ष समिति ने समस्त आंकड़े कमेटी के सम्मुख पेश किए जिसमे कमेटी ने तथ्यों को सही माना और जल्द ही आगामी मीटिंग का आश्वासन दिया था परंतु एक वर्ष बीत जाने के बाद भी कमेटी की तरफ से अगली वार्ता की कोई सूचना पेंशन बहाली संघर्ष समिति को नही मिली जिससे हरियाणा प्रदेश के सभी विभागों व कर्मचारियों में बहुत गहरा रोष है।
संघर्ष समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनूप लाठर ने कहा कि प्रदेश के 5200 से अधिक गांवों में और शहरों में वार्ड स्तर पर कमेटियां गठित कर दी गई हैं, जो हर घर जाकर ओपीएस की नीति से जनता को अवगत करवाएंगी।
नेताओं ने कहा कि पुरानी पेंशन उनका हक है और इसे वह लेकर रहेंगे। राजनेता, मंत्री खुद कई-कई पेंशन लेते हैं जबकि कर्मचारियों की पेंशन को सरकारी खजाने पर बोझ बताते हैं। 2019-20 में पूर्व विधायकों के लिए पेंशन की राशि 33 प्रतिशत बढ़ा दी गई। 2018-19 के सरकारी आंकड़े के अनुसार, सैंकड़ों पूर्व विधायकों की पेंशन पर सालाना 213 करोड़ रुपये खर्च किए गए। वहीं सेवाकाल के दौरान या रिटायर होने के बाद मृत कर्मचारियों के लगभग एक लाख आश्रित परिवारों को मिलने वाली फैमिली पेंशन पर सालाना 661 करोड़ रुपये खर्च हुए।
वक्ताओं ने कहा कि जब हरियाणा से आर्थिक रूप से कमजोर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और सिक्किम में पेंशन हुई बहाल हुई, बंगाल में पुरानी पेंशन मिल रही है तो हरियाणा में भी इसका लाभ क्यों नहीं मिलना चाहिए।