यूपी में बिजली निजीकरण की कवायद तेज; गाजियाबाद-नॉयड में अदाणी ग्रुप को मिलेगा लाइसेंस

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अदाणी इलेक्ट्रिसिटी जेवर और अदाणी ट्रांसमिशन ने गाजियाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन एवं गौतमबुद्ध नगर में बिजली आपूर्ति के संबंध में समानांतर वितरण लाइसेंस मांगा है।

प्रदेश में बिजली के निजीकरण की कवायद शुरू हो गई है। गाजियाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन और गौतमबुद्ध नगर से इसकी शुरुआत हो सकती है। इसके लिए अदाणी ग्रुप ने समानांतरण वितरण लाइसेंस मांगा है। लाइसेंस दिया जाए या नहीं, इस पर 24 अप्रैल को विद्युत नियामक आयोग सुनवाई करेगा। अभी गाजियाबाद में करीब 10 लाख और गौतमबुद्ध नगर में करीब चार लाख से अधिक उपभोक्ता हैं।

प्रदेश में अभी तक पश्चिमांचल, पूर्वांचल, दक्षिणांचल, मध्यांचल और केस्को के जरिए बिजली वितरण चल रहा है। अब अदाणी इलेक्ट्रिसिटी जेवर और अदाणी ट्रांसमिशन लिमिटेड ने गाजियाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन एवं गौतमबुद्ध नगर में बिजली आपूर्ति के संबंध में समानांतर वितरण लाइसेंस मांगा है। इस इलाके में अभी तक पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के जरिए बिजली आपूर्ति की जाती है। लाइसेंस मिलने के बाद अदाणी समूह की कंपनियां दोनों जगह बिजली आपूर्ति कर सकेंगी। नए उपभोक्ता बना सकेंगी। उन्हें बिजली कनेक्शन देंगी और इसके बदले बिजली बिल वसूलेंगी।

लाइसेंस के लिए कंपनी ने विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 14 व 15 के तहत विद्युत नियामक आयोग में याचिका दाखिल की है। इस याचिका पर 24 अप्रैल को आयोग सुनवाई करेगा। इसके बाद उन्हें लाइसेंस देने के संबंध में आगे की कार्यवाही शुरू होगी। अभी तक इस पूरे क्षेत्र में पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम आपूर्ति करती है। नोएडा के कुछ इलाके में निजी क्षेत्र की एनपीसीएल भी वितरण करती है।

इसके पहले अदाणी समूह की कंपनी ने दिसंबर 2022 में भी लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। विद्युत नियामक आयोग ने जनवरी 2023 में यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि यह सुनवाई योग्य नहीं है। ऐसे में अब अदाणी समूह की कंपनियों ने नए संशोधन के साथ याचिका लगाई है।

सूत्रों का कहना है कि वर्ष 1993 में एनपीसीएल कंपनी को ग्रेटर नोएडा में लाइसेंस दिया गया। यह करीब पांच लाख से अधिक उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति कर रही है। सूत्रों का कहना है कि कंपनी को 30 साल के लिए लाइसेंस दिया गया। उसे 100 मेगावाट का पावर हाउस भी बनाना था। लेकिन अभी तक नहीं बनाया है। इस कंपनी ने समूचे पश्चिमांचल में आपूर्ति का लाइसेंस मांगा। कुछ विवादों की वजह से यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है। दूसरी तरफ एनपीसीएल का दावा है कि उसे उत्तर प्रदेश में छह डिस्काम में ए रेटिंग मिली है। उपभोक्ता सेवा रेटिंग में तीसरा रैंक हासिल हुआ है।

जनवरी में महाराष्ट्र में बिजली कंपनियों के निजीकरण को लेकर हड़ताल की घोषणा की गई थी। बाद में सरकार ने यह फैसला वापस लिया। महाराष्ट्र सरकार ने भरोसा दिया कि निजीकरण नहीं किया जाएगा। साथ ही सरकार 50 हजार करोड़ का निवेश करेगी। इसके बाद हड़ताल स्थगित हुई।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि यह निजीकरण की साजिश है। इसे कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। मामले की जानकारी मिलते ही शनिवार को नियामक आयोग के अध्यक्ष आरपी सिंह से बात की गई है। आयोग ने भरोसा दिया है कि परिषद को भी अपना पक्ष रखने के लिए सुनवाई में मौका दिया जाएगा। अध्यक्ष ने बताया है कि अभी याचिका स्वीकार नहीं की गई है। 24 अप्रैल को अदाणी समूह की कंपनियों की याचिका पर सुनवाई होगी। परिषद अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि पूरे मामले में हस्तक्षेप करें। उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए निजीकरण होने से रोकें।

निजी क्षेत्र की कंपनियों ने ऐसे वक्त लाइसेंस की मांग की है, जब नियामक आयोग की ओर से नए बिजली दर बढ़ोतरी के मामले में सुनवाई शुरू हो चुकी है। वाराणसी में सुनवाई हो चुकी है और अब 28 अप्रैल को पश्चिमांचल में बिजली दर की सुनवाई होनी है। उपभोक्ता परिषद का आरोप है कि विभागीय अफसरों की मिलीभगत से वर्ष 2022 में बिजली दर की सुनवाई के समय अदाणी समूह वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुआ था, जिस पर उपभोक्ता परिषद ने विरोध किया था। अंदेशा व्यक्त किया था कि समूह गलत तरीके से इस सुनवाई में शामिल हो रहा है। सवाल उठाया था कि क्या यह समूह भविष्य में वितरण लाइसेंस लेगा। तब अधिकारियों ने इनकार किया था, लेकिन सालभर बाद यह आशंका सच साबित होती दिखाई पड़ रही है।

अमर उजाला से साभार