श्रमिक संघों और कुछ राजनीतिक दलों के 24 अप्रैल के व्यापक विरोध प्रदर्शन के बाद राज्य सरकार ने मई दिवस पर घोषणा की कि वह कारखाना अधिनियम संशोधन के अमल पर रोक लगा रही है।
मज़दूर एकता के सामने आख़िरकार तमिलनाडु सरकार को झुकना पड़ा और उसने मई दिवस के दिन कारखाना अधिनियम में संशोधन संबंधी काले क़ानून को वापस लेने का ऐलान किया है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार ने श्रमिकों के हित में कारखाना (संशोधन) अधिनियम 2023 को वापस ले लिया है, जिसमें श्रमिकों के लिए काम के घंटे बढ़ाकर 12 घंटे कर दिए गए थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कई मजदूर संगठनों द्वारा व्यक्त की गई आशंकाओं के बाद विवादास्पद अधिनियम को वापस ले लिया गया है। बिल की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी जल्द ही सभी विधायकों को दी जाएगी।
मई दिवस समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कारखाना (संशोधन) अधिनियम 2023, जिसमें उद्योगों के लिए काम की अवधि को 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे करने का प्रावधान था, को श्रमिकों के हित में वापस ले लिया गया है।
गौरतलब है कि 21 अप्रैल को तमिलनाडु विधानसभा ने कुछ दलों के विरोध के बीच कारखाना (संशोधन) विधेयक 2023 पारित किया था।
कई राजनीतिक दलों और श्रमिक संघों के 24 अप्रैल के विरोध प्रदर्शन के बाद राज्य सरकार ने घोषणा की कि वह उक्त अधिनियम के अमल पर रोक लगा रही है।
ज्ञात हो कि बीजेपी शासित कर्नाटक सरकार ने 24 फ़रवरी को फ़ैक्ट्रियों में 12 घंटे की शिफ़्ट का क़ानून पास किया था और रात की पाली में महिलाओं से काम कराने के लिए अनुमति दी थी।