‘आर्थिक संकट फासीवादी विस्तार और मजदूर आंदोलन की चुनौतियां’ पर हुई महत्वपूर्ण चर्चा

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इंकलाबी मजदूर केंद्र के उपाध्यक्ष रहे कॉमरेड नगेन्द्र की स्मृति में ही सेमिनार में उभरकर आया कि मौजूदा आर्थिक संकट पूंजीवाद का संकट है। बुल्डोजर राज फासीवाद का नया हथियार है…

दिल्ली। इंकलाबी मजदूर केंद्र ने गांधी पीस फाउंडेशन में ‘आर्थिक संकट फासीवादी विस्तार और मजदूर आंदोलन की चुनौतियां’ विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया। सेमिनार में इंकलाबी मजदूर केंद्र द्वारा एक सेमिनार पत्र भी प्रस्तुत किया गया।

इंकलाबी मजदूर केंद्र के उपाध्यक्ष व ‘नागरिक’ अखबार के संपादक रहे कॉमरेड नगेन्द्र की स्मृति में आयोजित सेमीनार में 21 संगठनों के अतिरिक्त सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं प्रोफेसर्स आदि ने भागीदारी किया। भागीदार संगठनों के प्रतिनिधियों ने विषय पर अलग-अलग कोणों से अपनी बात रखी।

वक्ताओं ने बताया कि मौजूदा आर्थिक संकट पूंजीवाद का अपना संकट है। लेकिन इसका दंश बेरोजगारी, महंगाई, भुखमरी, गरीबी, महिला हिंसा, भांति भांति के अपराध के रूप में मजदूरों-किसानों सहित गरीब महिलाओं को झेलना पड़ता है।

मौजूदा आर्थिक संकट पूंजी निवेश की कमी के कारण नहीं है, बल्कि उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में आयी भारी गिरावट के कारण पैदा हुआ है। यह दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। आर्थिक संकट निजीकरण, उदारीकरण एवं वैश्वीकरण की नीतियों के द्वारा पूंजीपति वर्ग को मिली ‘लूट की छूट’ का परिणाम है।

2007-2008 से गहरे संकट में फंसी देश दुनिया की अर्थव्यवस्था को 2020-21 में आयी कोरोना महामारी ने रसातल में पहुंचा दिया है। अर्थव्यवस्था में आए संकट से पूंजीपति को मुनाफा कमाने का संकट भी आया है। लेकिन अपने देश की मोदी सरकार सहित दूसरे देशों की सरकारों ने पूंजीपति वर्ग के साथ एकजुटता दिखाते हुए अरबों खरबों के आर्थिक पैकेज दिए हैं।

इन सरकारों ने पूंजीपति वर्ग को ऋण माफी, कारपोरेट टैक्स में भारी छूट के साथ भांति भांति की अन्य दूसरी रियायतों से मदद की हैं। लेकिन समाज में बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई, भुखमरी, महिला हिंसा आदि को दूर करने के लिए किसी तरह के कदम उठाने के बजाय मजदूरों-किसानों और अन्य मेहनतकशों के अधिकारों को खत्म करने का ही कानून बनाया है।

जिससे समाज में सरकारों एवं पूजीपति वर्ग के खिलाफ असंतोष लगातार बढ़ रहा है। बढ़ते असंतोष के कारण छिटपुट आंदोलन भी खड़े हो रहे हैं। इनमें मारुति कम्पनी, प्रीकाल कम्पनी, पीएफ कानून के खिलाफ बेंगलुरू में महिला मजदूरों के संघर्ष चर्चित संघर्ष रहे हैं।

देश में कृषि कानूनों के खिलाफ 13 महीने चले किसानों के संघर्ष ने मोदी सरकार को किसानों के खिलाफ बने तीनों कृषि कानूनों को वापस करने के लिए मजबूर कर दिया था। देश दुनिया में बढ़ते असंतोष एवं संघर्षों को कुचलने के लिए पूंजीपति वर्ग फासीवादी राज्य कायम करने के लिए लगातार फासीवादी संगठनों को सह दे रहा है।

IMK seminar

प्रतिनिधियों ने मोदी सरकार को फासीवादी सरकार बताते हुए आरोप लगाया है कि यह सरकार अपने सहयोगी संगठनों जैसे बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद, हिन्दू सेना, एबीवीपी से मिलकर समाज में धार्मिक उन्माद फैलाकर हिंसा को बढ़ावा दे रही है। सरकार सरकारी उद्यमों को पूंजीपतियों को सौंप रही है तथा उन्हें लूटने के लिए रास्ते बना रही है।

मोदी सरकार मजदूरों-किसानों-महिलाओं के अधिकारों पर हमला कर उनके खिलाफ कानून बना रही है। मोदी सरकार के साथ भाजपा की राज्य सरकारों ने बुल्डोजर को इंसाफ का पर्याय बता कर इंसाफ के बहाने अल्पसंख्यकों, दलितों, मजदूरों-मेहनतकशों के घर-मकान-रोजीरोटी पर बुल्डोजर चला रही है। बुल्डोजर राज फासीवाद का नया हथियार है।

सभी प्रतिनिधियों ने पूंजीवादी-साम्राज्यवादी लूट एवं देश में बढ़ते फासीवादी खतरा पर चिंता व्यक्त किया। केंद्रीय मजदूर संगठनों की समझौतापरस्ती एवं उनकी दूसरी गम्भीर किस्म की कमजोरियों पर बात की। सभी वक्ताओं ने छोटे संगठनों की सीमाओं को रेखांकित करते हुए एक नया अखिल भारतीय क्रांतिकारी मजदूर संगठन बनाने पर जोर दिया ।

उल्लेखनीय है कि मज़दूर आंदोलन के जुझारू साथी रहे कॉमरेड नगेन्द्र कि कैंसर की असाध्य बीमारी से ठीक एक साल पूर्व 10 जून, 2021 को महज 47 साल की उम्र में निधन हो गया था। उन्हीं को याद करते हुए मौजूद गंभीर संकट और चुनौतियों पर गंभीर चर्चा हुई।

सेमिनार में दिल्ली पीपुल्स फोरम के अर्जुन प्रसाद, एफ्टू (न्यू) के पीके शाही, परिवर्तनकामी छात्र संगठन से महेंद्र, श्रमिक संग्राम कमेटी से चंचल, सर्वोदय मंडल से सतीश कुमार, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र से हेमलता, इंकलाबी मजदूर केंद्र के संजय मौर्या, श्यामवीर, भारत भविष्य मीडिया के भागीरथ, इफ्टू के अनिमेष दास, जन संघर्ष मंच हरियाणा के पाल सिंह, डीयू के प्रोफेसर सरोज गिरी, मजदूर सहयोग केंद्र की पारोमा, मजदूर अधिकार संगठन के शिवकुमार, भगत सिंह छात्र एकता मंच के राजवीर, समयांतर पत्रिका के संपादक पंकज बिष्ट, भारतीय किसान यूनियन (असली अराजनैतिक) के प्रबल प्रताप शाही, मजदूर पत्रिका की निशा आदि अपने वक्तव्य रखे।

इफ्टू (सर्वहारा) के साथी किसी इमरजेंसी के कारण सेमिनार में शामिल नहीं हो सके किन्तु संगठन की केन्द्रीय कमेटी की ओर से सेमिनार हेतु संदेश भेजा गया था जिसे संचालक ने पढ़ कर सुनाया। मजदूर एकता कमेटी एवं लोकपक्ष के साथी सेमिनार में मौजूद होने पर भी अपनी बात नहीं रख सके।

अध्यक्ष मण्डल में अर्जुन प्रसाद, सुदेश कुमारी, पंकज बिष्ट, हेमलता, नरभिंदर सिंह, संजय मौर्या, महेन्द्र कुमार शामिल थे। संचालन इमके के महासचिव खीमानंद ने किया। फरीदाबाद से आई इमके की सांस्कृतिक टीम द्वारा क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत किया गया।