छत्तीसगढ़ : नियमितीकरण के लिए वन से लेकर मनरेगा, सफाईकर्मी तक आंदोलित

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एक तरफ वन विभाग कर्मी तीन सप्ताह से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। वहीं मनरेगा अधिकारी-कर्मचारी, स्कूल सफाई कर्मी और मितानिन भी हड़ताल पर हैं। सभी की मुख्य मांग नियमितीकरण है।

बालोद. इन दिनों जिले में हड़ताल से विभागीय कार्य ठप हो गए हैं। प्रमुख विभागों में कामकाज बंद होने से सभी परेशान हैं। एक तरफ वन विभाग तीन सप्ताह से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। मनरेगा अधिकारी-कर्मचारी, स्कूल सफाई कर्मी और मितानिन भी हड़ताल पर हैं। सभी की मुख्य मांग नियमितीकरण है। सरकार ने इनकी मांग को लेकर ठोस कदम नहीं उठाया है। जिम्मेदार विभागों की भी आंदोलन को लेकर मौन सहमति है। यह जरूर कह रहे हैं कि हड़ताल से परेशानी हो रही है। इन संगठनों के हड़ताल से करोड़ों का नुकसान शासन व जनता को हो रहा है।

जिले के लगभग 200 से अधिक वन कर्मचारी 12सूत्रीय मांगों को लेकर 19 दिन से हड़ताल पर हैं। अब वन विभाग के रेंजर भी हड़ताल पर बैठ गए हैं। हड़ताल से जिले के जंगल में लगी आग पर अब तक काबू नहीं पाया जा सका है। आग से छोटे पौधे भी नष्ट हो रहे हैं। जंगल एवं पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। सिर्फ वन समिति के भरोसे आग बुझाई जा रही है। आंदोलन को लेकर शासन से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं जिले में हाथियों पर निगरानी वृद्ध वन कर्मचारियों व वन समितियों के भरोसे की जा रही है।

जिले के मनरेगा अधिकारी-कर्मचारी भी पांच दिन से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। इससे लगभग 80 हजार से अधिक मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। मनरेगा के काम की स्वीकृति मिल चुकी है। जिनको काम कराना है, वही हड़ताल पर हैं। इससे मनरेगा के कई कार्य बंद हो गए हैं। जिले के लगभग 600 से अधिक मनरेगा अधिकारी कर्मचारी हड़ताल पर हैं।

जिले के लगभग 1200 से अधिक स्कूल सफाई कर्मी मे 7 मार्च से हड़ताल पर हैं। एक माह जैसे तैसे निकल गए। अब अधिक परेशानी हो रही है। बच्चे ही स्कूल की सफाई करने को मजबूर हैं। सुबह बच्चे स्कूल आते हैं और सफाई भी करते दिखाई देते हैं।

गर्मी तेज होने के कारण जिला प्रशासन ने स्कूल का समय बदल दिया है। सुबह स्कूल लग रहे हैं, लेकिन कई गांवों में स्कूल समय में खुल नहीं रहे हैं। घर से स्कूल में लगे ताले की चाबी लाने का इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं स्कूल बंद होने का भी कोई समय नहीं है।

वन, सफाई व मनरेगा कर्मचारियों व अधिकारियों ने कहा कि हमारी मांगें जायज है। सरकार ने नियमितीकरण कीघोषणा की थी, लेकिन कोई रुचि नहीं दिखा रही है। हमारी मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा। पत्रिका से साभार