दिल्ली-एनसीआर में औद्योगिक व असंगठित मजदूरों; सरकारी कर्मियों ने की एक दिनी हड़ताल

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चारों लेबर कोड रद्द करने, 26 हज़ार रुपये न्यूनतम वेतन, ठेका प्रथा बंद करने, दिल्ली एनसीआर में एक समान न्यूनतम वेतन समेत विभिन्न माँगों को लेकर आवाज़ बुलंद हुई।

देश की राजधानी दिल्ली सहित एनसीआर में आज (25 नवंबर को) औद्योगिक मज़दूरों, सरकारी कर्मचारियों और असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों ने हड़ताल की। वहीं दिल्ली के जंतर-मंतर में प्रदर्शन हुआ।

इसमें नगर निगम, दिल्ली जल बोर्ड और साथ ही औद्योगिक मज़दूर, घरेलू कामगार महिलाएं और विश्विद्यालय के छात्र, शिक्षक, शामिल हुए और दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में जुलूस भी निकाले।हड़ताल का आह्वान सेंट्रल ट्रेड यूनियनों, स्वंतत्र फ़ेडरेशनों एवं कर्मचारी संगठनों ने की थी।

औद्योगिक क्षेत्रों में हड़ताल

सुबह से ही मज़दूर नेताओं और यूनियनों ने औद्योगिक क्षेत्र में जाकर मज़दूरों से काम का बहिष्कार करने की अपील की और उसके बाद मज़दूरों ने एकत्रित होकर औद्योगिक क्षेत्रों में रैली भी की।

पटपड़गंज और झिलमिल, ओखला, उत्तरी दिल्ली के राजधानी उद्योग नगर, बादली ,वजीरपुर, साहिबाबाद, गाजियाबाद, नोएडा औद्योगिक क्षेत्र में राज्यव्यापी हड़ताल को लेकर जुलूस निकालते हुए, चार लेबर कोड रद्द करने, श्रमिकों को 26 हज़ार रुपये न्यूनतम वेतन, ठेका प्रथा बंद करने समेत अन्य कई मांगों को लेकर मज़दूरों ने हड़ताल की।

साहिबाद के साईट चार आद्यौगिक क्षेत्र में होली फेथ इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के मज़दूरों ने हड़ताल की और फैक्ट्री के समाने रास्ता रोकर बैठ गए थे। जबकि होली फेथ में कर्मचारियों ने पूर्ण हड़ताल किया था।

एसएफएस सोलयूशन साहिबाद में भी कर्मचारियों ने पूर्ण हड़ताल किया था। वहां पर सभी कर्मचारी यूनियन के लोगों और अन्य कर्मचारी भी गेट के बाहर ही धरना लगाकर बैठे थे।

पूर्वी दिल्ली के झिलमिल और पटपड़गंज औद्यौगिक क्षेत्र में भी हड़ताल का असर हुआ। यहां ट्रेड यूनियन ने संयुक्त रूप से हड़ताल कर जुलूस निकला। सरकार से चारों लेबर कोड वापस लेने और महंगाई पर रोक लगाने की माँग की।

मज़दूर नेताओं ने कहा कि ये सरकार गरीबी हटाने के बदले गरीबों को ही हटाने में लगी है। इसके लिए वो लगतार मज़दूर किसानों पर हमले कर रही है। एक तरफ जहां वो किसानों के हक़ को छीनने का प्रयास कर, उन्हें रास्ते पर लाना चाहती है। वहीं दूसरी तरफ, वो मज़दूरों के हक़ में बने कानून को समाप्त कर उन्हें भी पूंजीपतियों का गुलाम बना रही है।

कहा कि गाज़िबाद में दिल्ली के बराबर ही महंगाई है। फिर भी यहां दिल्ली से आधी न्यूनतम वेतन है। इसलिए पूरे दिल्ली एनसीआर में एक समान ही न्यूनतम वेतन होना चाहिए।”

जंतर मंतर पर रोष प्रदर्शन

दिल्ली भर में जहां औद्दोगिक क्षेत्रों में मज़दूरों की हड़ताल हुई, वहीं सरकारी कर्मचारी और रेहड़ी-पटरी वालों ने संसद भवन के पास जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में दिल्ली जल बोर्ड, डीबीसी, नगर निगम, रेहड़ी पटरी के साथ ही घरेलू कामगार यूनियन के कर्मचारी, सदस्यों ने सैकडों की तादाद में शिरकत की। वहीं एनडीएमसी में स्कूलों में सफ़ाई कर्मचारी, चौकीदार, चपरासी और बल सेविका के तहत काम करने वाले मज़दूर भी इसमें शामिल हुए। 

श्रमिक नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार और दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने अपने पूरे शासनकाल के दौरान मज़दूरों की मांगों के प्रति कठोर चुप्पी साध रखी है। कहा कि यह हड़ताल चेतावनी है, अगर सरकारों ने हमारी मांगे नही मानी तो देश भर का मज़दूर आगामी फरवरी माह में देशव्यापी हड़ताल करने जा रहा है। जिसकी घोषणा सेंट्रल ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच ने कर दिया है।

मज़दूरों की प्रमुख माँगें-

प्रमुख मांगों में मज़दूर विरोधी श्रम संहिताओं पर रोक लगाना, आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाना, नई और अच्छी नौकरियों को पैदा करना, 7500 आर्थिक सहायता देने, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचने, विभिन्न तरीकों से शेयरों को बेचना और निजीकरण पर रोक लगाना, सभी के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा कवरेज, ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करना आदि मांगें शामिल हैं।

हड़ताल में 12 केंद्रीय श्रमिक संगठनों- इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर ऑफ इंडिया ट्रेड यूनियंस (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एंप्यॉलयड वीमेंस एसोसिएशंस (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ), युनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) एमईसी और इंडियन सेंट्रल ट्रेड यूनियन (आईसीटीयू) शामिल रहे।