इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोविड 19 की दूसरी लहर के दौरान चुनाव करवाने पर यूपी चुनाव आयोग को फटकार लगाई थी और प्रभावित परिवारों को 1 करोड़ रुपये मुआवजा देने का सुझाव दिया था।
उत्तर प्रदेश में हाल ही में संपन्न हुए पंचायत और जिला निकाय चुनावों के दौरान कोविड 19 से मारे गए कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि होने के बाद योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार किया है कि चुनावी ड्यूटी के दौरान मारे गए सरकारी कर्मचारियों के शुरुआती आंकड़ें 74 से ज्यादा है। प्रभावितों की संख्या 2,000 से अधिक है। सरकार ने मृत कर्मचारियों के परिवारों के लिए 30 लाख रुपए के मुआवजे की घोषणा की है।
मारे गए सरकारी कर्मचारियों में आधी से ज़्यादा संख्या शिक्षकों की है। इससे पहले सरकार ने केवल तीन शिक्षकों की मौतें स्वीकार की थी, लेकिन राज्य भर में शिक्षकों के यूनियनों द्वारा व्यापक विरोध के बाद, चुनाव की वजह से हुई कोविड 19 मौतों की गिनती के लिए मापदंड बदले गए थे, जिस वजह से बाद में वास्तविक मृतकों की संख्या बदली और बढ़ गई । एक राज्य अधिकारी ने बताया कि पंचायत चुनावों में, 11 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी पर तैनात किया गया था और उनमें से 65 फीसदी यानि 6.5 लाख से अधिक लोग शिक्षक थे।
उत्तर प्रदेश प्रथमिक शिक्षक संघ ने 1,621 प्राथमिक स्कूली और अन्य कर्मचारियों की सूची इस दावे के साथ पेश की कि वे 15 अप्रैल और मई के बीच चुनाव ड्यूटी के दौरान कोविड-19 से संक्रमित होने की वजह से मारे गए।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया कि मुआवजे का भुगतान के लिए स्वीकृत 600 करोड़ रुपये की राशि में से पंचायती राज विभाग ने 300 करोड़ रुपये राज्य चुनाव आयोग को मुआवजा वितरित करने के लिए जारी किया है।
मुख्य सचिव (पंचायती राज) मनोज कुमार सिंह ने पीटीआई को बताया कि हमें मुआवजे के लिए 3,078 आवेदन प्राप्त हुए। उनमें से, 2,020 आवेदन पात्रता के अनुसार पाए जाने पर उन्हें मुआवजे के लिए विभाग में भेजा गया। मुआवजे के लिए स्वीकृत 2,020 आवेदनों में 50 प्रतिशत संख्या शिक्षकों की है।
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोविड 19 की दूसरी लहर की चरम सीमा के दौरान चुनाव करवाने पर यूपी चुनाव आयोग को फटकार लगाई थी और प्रभावित परिवारों को राज्य सरकार की तरफ से 1 करोड़ रुपये मुआवजा देने का सुझाव दिया था।
पिछले मानदंडों के अनुसार, केवल उन कर्मचारियों के के परिवारों को मुआवजे के लिए पात्र माना गया था जिनकी मृत्यु चुनाव ड्यूटी के दौरान या ड्यूटी के स्थान से आने जाने में कर्मचारी द्वारा की गई यात्रा, जो 1 दिन या अधिकतम 2 दिन की हो सकती है, के दौरान हुई हो। जब विभिन्न संगठनों ने मानदंडों और सरकार के आंकड़े पर सवाल उठाए तब जाकर मानदंडों में बदलाव किया गया और इसमें उन लोगों को भी शामिल किया गया जिनकी मृत्यु चुनाव ड्यूटी के 30 दिनों के भीतर कोरोना वायरस की वज़ह से हुई हो।
चुनाव ड्यूटी के दौरान अपने परिजनों को खोने वाले कई परिवारों ने कहा कि अन्य प्रभावित परिवारों की मदद करने के हिसाब से ये मानदंड अभी भी कठोर हैं।