निजीकरण के ख़िलाफ़ बैंकों में हड़ताल की तैयारी

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यूनियनों ने कृषि व श्रम कानूनों की प्रतियां जलाईं

बैंकों के निजीकरण की घोषणा पर कर्मचारियों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यवक्त की है। इसके विरोध में राष्ट्रीय स्तर पर बड़े आंदोलन की तैयारी की गई है। इसकी शुरुआत बृहस्पतिवार को धरना-प्रदर्शन से होने जा रही है। युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस की नौ फरवरी को होने वाली बैठक में हड़ताल की घोषणा संभावित है। बैठक में आंदोलन के आगे की रणनीति भी बनेगी।

एक फरवरी को पेश बजट में बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव भी शामिल है। दो बैंकों में एफडीआई की बात कही जा रही है। इसके अलावा एलआईसी में भी एफडीआई की सीमा बढ़ाने की घोषणा की गई है। इसके विरोध में अफसर और कर्मचारी आंदोलन की राह पर हैं। आल इंडिया बैंक इंप्लाइज  एसोसिएशन की ओर से एक पत्र जारी करके बजट में शामिल इन प्रावधानों की निंदा की गई है। पदाधिकारियों ने कर्मचारियों से धरना-प्रदर्शन तथा हड़ताल के लिए तैयार रहने की अपील की है।

इसी क्रम में युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस की ओर से बृहस्पतिवार को धरना की घोषणा की गई है। यूपी बैंक इंप्लाइज यूनियन के जिलाध्यक्ष मदनजी उपाध्याय ने बताया कि इसके तहत भोजनावकाश तथा काम खत्म होने के बाद शाखा परिसर में सभा की जाएगी। उन्होंने बताया कि इसी सिलसिले में फोरम की नौ फरवरी को बैठक होगी। इसमें आंदोलन की रणनीति बनेगी। 

कृषि एवं श्रम कानूनों के विरोध में ट्रेड यूनियनों की ओर से बुधवार को पत्थर गिरजा स्थित धरना स्थल पर प्रदर्शन किया गया। इस दौरान उन्होंने इन कानूनों की प्रतियां भी जलाईं और केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध किया। सदस्यों ने बजट को भी जनविरोधी बताया और तीनों मुद्दों पर ज्ञापन सौंपा। उन्होंने निजीकरण, एलआईसी में एफडीआई की सीमा बढ़ाने, महंगाई समेत अन्य मुद्दों को लेकर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी। आंदोलन में पूर्व सांसद धर्मराज पटेल, शिव सेवक सिंह, सीटू, एटक, एक्टू, इंटक आदि संगठनों के अविनाश मिश्र, रवि मिश्रा, त्रम अंसारी, माता प्रसाद, सुनील मौर्या आदि शामिल रहे।

अमर उजाला से साभार