कहीं आंसू गैस के गोले, कहीं लाठी चार्ज, कहीं धारा 144
किसान नेताओं के साथ सरकार के अड़ियल रुख के कारण 4 जनवरी की बैठक भी बेनतीजा खत्म हो गई। अगली बैठक 8 जनवरी को होगी। दूसरी ओर हरियाणा में किसानों पर आंसू गैस व मिर्च का पाउडर छोड़ने, पंजाब के संगरूर में लाठी चार्ज आदि दमनकारी कार्यवाहियाँ भी जारी हैं। किसान काले क़ानून रद्द कराने पर दृढ़ हैं।
चार घंटे तक चली बैठक में तीन कृषि क़ानूनों पर चर्चा हुई। एमएसपी पर बात नहीं हो सकी। बैठक में किसान यूनियनों ने कृषि क़ानून वापस लेने की मांग दोहराई, वहीं सरकार ने उसके फायदे गिनाए।

बैठक के बाद किसान नेताओं और कृषि मंत्री के बयान
बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में राकेश टिकैत ने कहा, “सरकार ने प्वाइंट वाइज बात करने को कहा। हमने कहा नहीं चाहिए हमें क़ानून फिर क्या बात करें प्वाइंट वाइज। जब हम क़ानून मानते ही नहीं तो उस पर प्वाइंट वाइज क्या बात करें। इसी पर गतिरोध बना रहा।” टिकैत ने कहा कि हमारा आंदोलन जारी रहेगा।
डॉ. दर्शन पाल ने बताया, “एमएसपी पर क़ानून को लेकर गतिरोध रहा। हमने क़ानून रिपील करने की बात की वो संशोधन पर बात करते रहे। फिर सरकार ने कहा कि पहले एमएसपी पर बात कर लें। हमने कहा, तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की प्रक्रिया पर पहले बात कीजिए। इस के बाद सरकार ने कहा, अब 8 जनवरी को बात करेंगे।”
किसान नेताओं ने मीडिया से कहा, “सरकार घबड़ाई हुई है, लेकिन वो संशोधन से आगे नहीं बढ़ रही है। सरकार जब तक क़ानून वापस नहीं लेती, और एमएसपी पर खरीद की गारंटी का क़ानून बनाने की गारंटी नहीं देती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए बताया, “सरकार प्वाइंट टू प्वाइंट बात करना चाहती थी, ताकि रास्ता निकल सके। एमएसपी पर थोड़ी बात हुई। माहौल अच्छा था, लेकिन किसान नेताओं के कृषि कानूनों को रिपील करने के मुद्दे पर अड़े रहने के चलते नतीजा नहीं निकल सका। अगली बैठक में उम्मीद करते हैं कि कोई नतीजा निकले। सरकार और किसानों के बीच रजामंदी के चलते ही 8 जनवरी की बैठक तय हुई है। इससे जाहिर है कि किसान यूनियनों को सरकार पर भरोसा है।
भारतीय किसान यूनियन के नेता युधवीर सिंह ने कहा, ‘मंत्री चाहते हैं कि हम कानून पर बिंदुवार चर्चा करें। हमने ऐसा करने से इनकार कर दिया और कहा कि कानूनों पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं बनता, क्योंकि हम चाहते हैं कि कानून पूरी तरह से वापस हों। सरकार हमें संशोधनों की ओर ले जाना चाहती है, लेकिन हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे।’
दमन जारी, किसान संगठनों ने किया विरोध
कल जो किसान शाहजहापुर से शांतिपूर्वक ढंग से दिल्ली की ओर आ रहे थे उन्हें आगे बढ़ने से रेवाड़ी में रोका गया, उन पर आंसू गैस के गोले दागे गये और मिर्च का पाउडर छिड़का गया। इससे कई किसानों की आंखों व चमड़े में जलन की शिकायत बन गयी है।

पंजाब में संगरूर जिले में भाजपा सांसद का विरोध कर रहे केकेयू कार्यकर्ताओं पर बर्बर ढंग से लाठी चार्ज कर दिया, जिसमें एक कार्यकर्ता गम्भीर रूप से घायल हो गया। मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश में लोगों की विरोध सभाओं को रोकने के लिए राज्य सरकारें कोरोना प्रसार के बहाने से धारा 144 का आलोकतांत्रिक व गैरकानूनी इस्तेमाल कर रही हैं, जबकि सरकार तथा आरएसएस-भाजपा की सभी जनकार्यवाहियां चलने दिये जा रही हैं।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के वर्किंग ग्रुप ने विरोध कर रहे किसानों पर दमन तेज करने की कड़ी निन्दा की है। एआईकेएससीसी ने कहा है कि इससे लोगों में गुस्सा तेजी से भड़क रहा है और अगर यह नहीं रुका तो आन्दोलन और तेज कर दिया जाएगा।