गरीबों की उजड़ेंगी बस्तियां, मुनाफाखोरों के बनेंगे मॉल
मोदी सरकार ने सभी सरकारी संपत्तियों को मुनाफाखोरों के हवाले करने कि गति तेज कर दी है। इसी क्रम में सरकार रेलवे की बेशकीमती ज़मीनें अब निजी कंपनियों को सौंपने का प्रबंध पूरा कर चुकी है। गरीबों की तमाम बस्तियों को अवैध बताकर इस जमीन पर पीपीपी मॉडल के तहत कॉलोनी से लेकर मॉल और दुकानें बनेंगीं। दिल्ली, लखनऊ, देहरादून समेत कई शहरों में यह खेल होगा।
दिल्ली में तीस हजारी मेट्रो और कश्मीरी गेट से लगी रेलवे कॉलोनी की बेशकीमती जमीन को केंद्र सरकार ने अब प्राइवेट कंपनियों को लीज पर देने की तैयारी पूरी कर ली है। सरकार ने इसके लिए ऑनलाइन बिड जारी किया है। जिसकी अंतिम तारीख 27 जनवरी है। ये जमीन करीब 21800 स्क्वायर मीटर है जो मध्य दिल्ली की सबसे बेशकीमती जमीन मानी जा रही है। फिलहाल 393 करोड़ इसकी रिजर्व प्राइज रखी गई है।
मोदी सरकार का मंसूबा, सुप्रीम कोर्ट का साथ
उल्लेखनीय है कि रेलवे के किनारे गरीब मेहनतकशों की बस्तियां हैं, जो उनका आशियाना है। इन जमीनों पर अडानी, अम्बानी जैसे तमाम मुनाफाखोरो की लार लगातार टपकती रही है। मोदी सरकार ने उनके अरमानो को पूरा करने के लिए इन बस्तियों को अवैध घोषित करवाया, जिसमे देश कि सर्वोच्च अदालत ने अहम भूमिका अदा की है। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें खाली करवाने का फरमान भी जारी कर दिया है।
कोरोना महामारी के बीच बीते सितम्बर माह में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक जनविरोधी आदेश में दिल्ली में लगभग 140 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक के आसपास में फैलीं करीब 48,000 झुग्गी-झोपड़ियों को 3 माह के भीतर हटाने का फरमान सुना चुकी है। ये भी निर्देश दिया है कि झुग्गियां हटाने को लेकर कोई भी कोर्ट स्टे नहीं लगाएगा।
रेल भूमि विकास प्राधिकरण तेजी से है सक्रीय
रेलवे की जबरिया खाली कराई जा रही व खाली पड़ी जमीन को मुनाफे के हित में विकसित करने के लिए रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) बनाई गई थी जो पूरे देश के 84 रेलवे कॉलोनियों को इसी तर्ज पर विकसित करने पर तेजी से काम कर रहा है।
आरएलडीए के उपाध्यक्ष वेदप्रकाश डुडेजा ने बताया कि नई दिल्ली, गोमती नगर, देहरादून समेत कई शहरों की रेलवे की जमीनों को विकसित करने का काम चल रहा है। इन ज़मीनों पर पीपीपी मॉडल के तहत पांच साल में कॉलोनी से लेकर मॉल और दुकानें बनानी हैं।
पिछले महीने रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) ने वाराणसी में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत वसुंधरा लोको रेलवे कॉलोनी के पुनर्विकास के लिए ऑनलाइन बिड आमंत्रित किया था। इस योजना के तहत कुल भूमि 2.5 हेक्टेयर रखी गई है, जहाँ 1.5 हेक्टेयर में रेलवे कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स विकसित करने की योजना है।
आरएलडीए ने इस परियोजना के लिए लीज अवधि 45 साल निर्धारित की थी और रिजर्व प्राइस मात्र 24 करोड़ रुपये रखी थी।
रेलवे सहित कई विभागों कि ज़मीनें बेचने की तैयारी
केंद्र सरकार रेलवे के आलावा टेलिकम्युनिकेशनस (बीएसएनएल) और रक्षा मंत्रालय आदि की ज़मीनें भी बेचने की तैयारी कर चुकी है। केंद्र सरकार ने इन जमीनों पर कमर्शियल डेवलपमेंट और इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने की योजना को मंजूरी भी दे दी है, ताकि इनसे निजी कम्पनियों की मोटी कमाई का रास्ता खुल सके।