केंद्र का अड़ियल रुख, किसान नेताओं के बीच वार्ता बेनतीजा
नए कृषि क़ानूनों पर मोदी सरकार का अड़ियल रुख कायम रहा। दिल्ली में कृषि मंत्री और रेल मंत्री के साथ 13 नवम्बर को पंजाब के किसान नेताओं और संगठनों की 7 घंटे तक चली बैठक बेनतीजा रही। किसान नेता 18 नवंबर को चंडीगढ़ में एक महत्वपूर्ण बैठक कर आगे की रणनीति तय करेंगे। किसान संगठन 26 और 27 नवंबर को दिल्ली में विरोध प्रदर्शन के अपने फैसले पर कायम हैं।
ज्ञात हो कि मोदी सरकार की मज़दूर विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ 26 नवम्बर को देशव्यापी आम हड़ताल है। देश किसान संगठनों ने भी 26 व 27 नवम्बर को राजधानी दिल्ली कूच और बड़े प्रदर्शन का अहवान किया है।

गौरतलब है कि पंजाब राज्य के किसान यूनियन के नेताओं ने शुक्रवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेलवे मंत्री पीयूष गोयल के समक्ष कृषि सुधार से जुड़े तीनों कानूनों को तत्काल वापस लेने व बिजली निजीकरण बिल निरस्त करने की माँग रखी थी। लेकिन केंद्र सरकार की हठधर्मिता कायम रही और कोई परिणाम नहीं निकला।
पंजाब के किसान नेताओं ने कहा कि हमने कृषि मंत्री और रेल मंत्री के सामने मांग रखी है कि कृषि सुधार से जुड़े तीनों कानूनों को तत्काल वापस लिया जाए क्योंकि इसके जरिए कॉर्पोरेट की पकड़ कृषि क्षेत्र पर काफी मजबूत हो जाएगी। इसके अलावा हमने यह भी मांग रखी है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2020 को वापस किया जाए।

नेताओं ने कहा कि हमने माँग की है कि पराली जलाने के लिए जो 5 साल तक की सजा और एक करोड़ तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है वह भी किसानों के खिलाफ है और इसे वापस लिया जाना चाहिए। इसके अलावा जेलों में बंद किसान नेताओं और जिन किसानों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं उन्हें वापस लेने की माँग भी केंद्र सरकार से की गई है।
अन्य माँगों में पंजाब की जो आर्थिक नाकेबंदी की गई है उसे तत्काल हटाया जाए और पंजाब में गुड्स ट्रेन को चलाने की मंजूरी भारत सरकार दे।
यूनियन नेताओं ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि जब तक भारत सरकार हमारी माँगों को नहीं मानती हमारा आंदोलन चलता रहेगा।