सरकार अड़ियल, कर्मचारी बेमियादी हड़ताल की तैयारी में
रक्षा सामग्री व हथियार बनाने वाली सरकारी क्षेत्र की ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) के निजीकरण के विरोध में देश के सभी डिफेंस-कर्मचारी आज (19 जून को) देशभर में सरकार का पुतला फूँक रहे हैं। कल रविवार को ओएफबी से जुड़ी ट्रेड यूनियनों की बैठक होगी। जिसमें विरोध की नई रणनीति बनाने के साथ अनिश्चितकालीन हड़ताल का फैसला हो सकता है।
ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड यानि ओएफबी की तीन कर्मचारी यूनियन ने गुरूवार को एक साझा प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहा कि रविवार की मीटिंग में अनिश्चिकालीन हड़ताल का फैसला भी लिया जा सकता है। इससे पहले सभी कर्मचारी अपनी-अपनी फैक्ट्री में काली रिबन पहनकर काम करेंगे और अपनी फैक्ट्रियों के गेट पर ही धरना-प्रदर्शन करेंगे।

दरअसल मोदी सरकार के सबकुछ बेचो अभियान के तहत रक्षा क्षेत्र की सरकारी उपक्रम, ऑर्डेनेंस फैक्ट्री बोर्ड यानि ओएफबी के ‘कॉर्पोरेटाइजेशन’ यानि निजीकरण को हरी झंडी दे दी है। बुधवार को कैबिनेट बैठक में हुए फैसले में ओएफबी के अंतर्गत आने वाले गोला-बारूद, हथियार और दूसरे सैन्य साजो-सामान की सभी 41 फैक्ट्रियों को 7 अलग-अलग कॉर्पोरेट कंपनियों में ट्रांसफर होगा।
जानकारी के मुताबिक, सभी 41 फैक्ट्रियों को जो सात कंपनियों में बांटा जाएगा, वे होंगी, गोला-बारूद, हथियार (राइफल, मशीनगन, तोप इत्यादि), व्हीकल्स (टैंक, बीएमपी, ट्रक), ट्रूप कम्फर्ट आइटम ग्रुप, ओप्टो-इलेक्ट्रोनिक, पैराशूट ग्रुप और एनसेलेरी-ग्रुप।
ऑर्डनेंस फ़ैक्ट्री बोर्ड (ओएफ़बी) अंग्रेज़ों के राज में 1775 में बना था। अभी देश में कुल 41 आर्डनेंस फ़ैक्ट्रियां हैं जो बम गोला बारूद, हथियार, टैंक, तोप और मिसाइलें बनाती हैं। ये सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां हैं और इन पर सरकार का 100 प्रतिशत मालिकाना हक़ है।
यूनियनों का कहना है कि देश में क़रीब 220 साल पुरानी आर्डनेंस फ़ैक्ट्री बोर्ड को मोदी सरकार ने ख़त्म कर दिया है। बीते कई महीनों से प्रदर्शन कर रही यूनियनों और कर्मचारियों ने सरकार के इस कदम के ख़िलाफ़ दो बार हड़ताल के बावजूद सरकार की हठधर्मिता कायम है।
कॉर्पोरेटाइजेशन को मंजूरी देते हुए मोदी सरकार की कैबिनेट ने कठदलीली दी है कि ओएफबी के सभी 54 हजार कर्मचारियों में से किसी की भी छटनी नहीं की जाएगी। लेकिन योजना से साफ है कि धीरे-धीरे कई कर्मचारियों की छँटनी होगी, कई कर्मचारी रिटायर होंगे और नई भर्तियाँ नहीं होंगी।
सरकार खुद जो योजना पेश कर रही है उससे भी यही स्पष्ट होता है। सरकार के अनुसार सभी 41 फैक्ट्रियों में काम करने वाले ए,बी और सी ग्रुप के कर्माचरियों को दो साल के लिए इन कॉर्पोरेट कंपनियों में डेप्यूटेशन पर भेज दिया जाएगा और उनकी केंद्र सरकार के कर्मचारी नियमों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
ट्रेड यूनियनों इसे मोदी सरकार की मनमानी बताते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है।

उल्लेखनीय है कि दो साल पहले सरकार ने जब कॉर्पोरेटाइजेशन की प्रक्रिया शुरू की थी तो ओएफबी की सभी फैक्ट्रियां हड़ताल पर चली गई थी। लेकिन सरकार के भरोसा दिलाने पर वापस काम पर लौट आई थीं।
इस बीच सरकार कॉर्पोरेटाइकरण/निजीकरण की दिशा में आगे बढ़ती रही। कोरोना महामारी ने उसे मनमानी करने का अवसर दे दिया। सरकार ने ओएफबी के कॉर्पोरेटाइजेशन के क्रियान्वन के लिए रक्षा मंत्री के नेतृत्व में एक एम्पावर्ड ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स भी बनाया है।