देशव्यापी हड़ताल में 25 करोड़ श्रमिकों की भागीदारी

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26 नवम्बर : ठप्प रहा कामकाजपढ़ें सचित्र कवरेज

भाजपा नीत एनडीए सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ मजदूर संगठनों के आह्वान पर गुरुवार को एक दिवसीय देशव्यापी हड़ताल का देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक असर रहा। बैंक, बीमा, डाक, आयकर आदि में बंदी सफल रही तो कुछ राज्यों में परिवहन सेवा ठप्प रही। निजी क्षेत्र में भी हड़तालें हुईं। राष्ट्रव्यापी हड़ताल में करीब 25 करोड़ श्रमिकों के शामिल होने का अनुमान है।

कई राज्यों में पूर्णत तो कई में आंशिक बंदी रही। केरल, पुदुचेरी, ओडिशा, असम और तेलंगाना में हड़ताल के दौरान पूर्ण बंद रहा. तमिलनाडु के 13 जिलों में पूर्ण बंद की स्थिति रही, जबकि अन्य जिलों में औद्योगिक हड़ताल जारी रही। पंजाब एवं हरियाणा में राज्य परिवहन निगम की बसों का भी चक्का जाम रहा।

भुवनेश्वर व लखनऊ में दमन

उड़ीसा में TUCI संबद्ध औद्योगिक श्रमिक संघों द्वारा संग्रामी श्रमिक संघर्ष में दमन और गिरफ्तारियां हुईं। लखनऊ में ट्रेड यूनियनों की दारुलशफा से जिलाधिकारी कार्यालय तक शांतिपूर्ण मार्च को पुलिस ने रोक लिया और प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करके इको गार्डन भेज दिया।

व्यापक रही हड़ताल

बैंकों, एलआईसी, जीआईसी, डाक, आयकर विभाग में भी सेवाएं गंभीर रूप से प्रभावित रहीं। झारखंड और छत्तीसगढ़ में बाल्को समेत अन्य जगहों पर पूर्ण हड़ताल रही। पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में आम जनजीवन प्रभावित रहा। पश्चिम बंगाल में छिटपुट झड़पों की खबर है।

बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों ने सरकार के वितरण कंपनियों के निजीकरण के निर्णय के विरोध में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया।

घरेलू सहायक, निर्माण श्रमिक, बीड़ी मजदूर, रेहड़ी-पटरी वालों, कृषि मजदूर, ग्रामीण और शहरी इलाकों में स्वरोजगार करने वाले भी हड़ताल में शामिल हुए। कई राज्यों में ऑटोरिक्शा और टैक्सी ड्राइवर भी हड़ताल में शामिल हुए।

Prayagraj: Employees of GPO shout slogans during the nationwide strike by ten central trade unions against various policies of the NDA government, in Prayagraj, Thursday, Nov. 26, 2020. (PTI Photo)(PTI26-11-2020 000108B)

रेलवे, कोयला श्रमिकों समेत अन्य निजी क्षेत्र के श्रमिक संगठनों का भी इस हड़ताल को समर्थन मिला है। किसान संगठनों के संयुक्त मंच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने भी इस आम हड़ताल को अपना समर्थन देने की घोषणा की थी।

मज़दूर संगठनों ने भी हाल ही में पास किए गए किसान विरोधी कानूनों के ख़िलाफ़ उनके प्रतिरोध के प्रति एकजुटता और समर्थन व्यक्त किया है। किसानों के दमन पर विरोध जताया है।

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केन्द्रीय यूनियनों ने किया था आह्वान

हड़ताल का आह्वान 10 केंद्रीय श्रमिक संगठन इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर ऑफ इंडिया ट्रेड यूनियंस (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एम्प्लॉयड वीमेंस एसोसिएशंस (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और युनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) ने की थी।

मासा का समर्थन

मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान मासा सहित देश की ज्यादातर यूनियनों ने इस हड़ताल का समर्थन किया। संघ-भाजपा से सम्बद्ध बीएमएस इस हड़ताल से अलग रहा।

इस दौरान मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) के घटक संगठनों ने कहा कि मोदी सरकार ने इस भयंकर आर्थिक मंदी के दौर में श्रम कानूनों को इस तरह से बदल दिया है कि अब मालिक/नियोक्ताओं के हाथ में ही मजदूर वर्ग का निर्मम शोषण करने की सारी शक्तियां दे दी हैं। मजदूर कर्मचारियों को कभी भी पूँजीपति हायर फायर कर सकते है। कोरोना काल मे जनविरोधी मजदूर विरोधी 4  लेबर कोड व तीन काले कृषि कानून थौपने की भर्त्सना हुई।

https://mehnatkash.in/2020/11/25/26-november-strike-massas-constituent-organizations-expedite-campaign/

कहा कि आन्दोलन कर रहे किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए हरियाणा की खट्टर सरकार व मोदी सरकार किसानों की गिरफ्तारी, वाटरकैनन ,झूठे केस आदि बना कर तानाशाही व दमन की नीति अपना रही है जो अत्यंत निन्दनीय है।

मासा का मानना है कि हड़ताल को रस्मादयागी बना दिया गया है। हड़ताल को मज़दूर वर्ग के निरंतर, जुझारू और निर्णायक आन्दोलन में तब्दील करना होगा। सतत मजदूर आन्दोलन  से ही मजदूर वर्ग की मुक्ति सम्भव है। मासा द्वारा जारी दो माह (18 अक्टूबर-18 नवम्बर,2020) का मज़दूर संघर्ष अभियान इसी दिशा में आगे बढ़ा क़दम है।

हड़ताल-प्रदर्शन की कुछ झलक

उत्तराखंड

रुद्रपुर। देशव्यापी आम हड़ताल के तहत श्रमिक संयुक्त मोर्चा उधम सिंह नगर के बैनर तले सुमेर शुक्ला पार्क में सभा हुई और शहर के मुख्य बाजार में जुलूस निकाला गया। जिसमे मासा और उसके घटक संगठन मज़दूर सहयोग केंद्र व इन्क़लाबी मज़दूर केंद्र के साथ विभिन्न यूनियने शामिल रहीं। सिडकुल की दो कंपनियों करोलिया लाइटिंग व सांसेरा में हड़ताल रही जबकि महिंद्रा & महिंद्रा में प्रबन्धन ने छुट्टी घोषित कर दी थी।

हरिद्वार। भेल बचाओ संयुक्त संघर्ष मोर्चा की ट्रेड यूनियनों द्वारा 26 नवंबर की हड़ताल को सफल बनाने के लिए सीएफपीपी गेट फाउंड्री गेट बीएचईएल पर मजदूरों का आह्वान करते हुए मोर्चे पर डटे रहे। हरिद्वार में पुतला दहन एवं विरोध प्रदर्शन। भेल बचाओ संघर्ष मोर्चा (BMTU, CITU, BUKM, BKKMS) व इंकलाबी मजदूर केंद्र (घटक मासा) के नेतृत्व में प्रदर्शन हुआ।

पंतनगर। इन्क़लाबी मज़दूर केंद्र (घटक मासा) व ठेका मज़दूर कल्याण समिति पंतनगर की ओर से विरोध प्रदर्शन-

रामनगर। समाजवादी लोक मंच के तत्वाधान में प्रशासनिक मुख्यालय पर धरने-प्रदर्शन का आयोजन किया गया। मंच कार्यकर्ताओं ने एसडीएम के माध्यम से एक ज्ञापन राष्ट्रपति को भेजकर अपनी मांगे पूरी करने की माँग भी की।

हरियाणा

गुडगाँव। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की ओर से बुलाई गई आम हड़ताल के दौरान गुड़गांव, मानेसर की ट्रेड यूनियनों के नेतृत्व में गुड़गांव मेंजुलूस निकाला गया। मासा के घटक संगठन मज़दूर सहयोग केंद्र व इन्क़लाबी मज़दूर केंद्र शामिल रहे।

मारुति सुजुकी मजदूर संघ व इस के सभी घटक दलों ने भी भाग लिया और अपना विरोध प्रदर्शन करते हुए सिविल हॉस्पिटल से लेकर सदर बाजार और गौशाला मैदान तक रैली निकाली।

कैथल। जन संघर्ष मंच हरियाणा (घटक मासा), मनरेगा मजदूर यूनियन,आगंनबाडी वर्कर एण्ड हैल्पर यूनियन कैथल,निर्माण कार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन,ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन के कार्यकर्ताओं ने जवाहर पार्क कैथल मे जनसभा की व जवाहर पार्क से डी सी आफिस कैथल तक रोष प्रदर्शन किया। वहां सी टी एम को आंगनबाड़ी वर्कर हैल्पर यूनियन की 13 सूत्री मांग पत्र सौंपा गया।

चीका जिला कैथल में मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान के घटक संगठन जन संघर्ष मंच हरियाणा और उसके सहयोगी संगठन मनरेगा मजदूर यूनियन ने प्रदर्शन किया।

कुरुक्षेत्र। जन संघर्ष मंच हरियाणा (घटक मासा), मनरेगा मजदूर यूनियन व निर्माण कार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन ने नया बस स्टैण्ड कुरुक्षेत्र पर प्रदर्शन व सभा की।

गोहाना। गोहाना शहर में जन संघर्ष मंच (घटक मासा) और उसके सहयोगी संगठनों ने आम सभा की और जुलूस निकाला।

नरवानाजींद मे सँयुक्त विरोध प्रदर्शन मे जन संघर्ष मंच हरियाणा , (घटक मासा) व सहयोगी यूनियनों ने मिलकर किया विरोध प्रदर्शन।

फरीदाबाद में आम हड़ताल व प्रदर्शन में इन्क़लाबी मजदूर केंद्र (घटक मासा), औद्योगिक ठेका मज़दूर यूनियन, फरीदाबाद, सर्व कर्मचारी संघ व अन्य यूनियने शामिल रहीं।

पंजाब

लुधियाना। लुधियाना के मज़दूर-नौजवान संगठनों ने समराला चौक पर मोदी सरकार की देशी-विदेशी पूँजीपतियों की दलाली और मज़दूर-मेहनतकश विरोधी नीतियों के खिलाफ़ रोष-प्रदर्शन किया।

रोष प्रदर्शन के जरिए संगठनों ने मज़दूरों का न्यूनतम वेतन 25 हज़ार करने, कोरोना के बहाने वेतन में नाजायज कटौती रद्द करने, श्रम क़ानूनों में संशोधन रद्द करने, मज़दूर-मेहनतकश विरोधी नये कृषि क़ानून रद्द करने, सरकारी संस्थानों-सुविधाओं का निजीकरण बंद करने, बेरोजगारों को रोजगार देने, सभी को मुफ़्त खुराक, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सुविधाएं उपलब्ध कराने, उदारीकरण-निजीकरण-संसारीकरण की समूची नीति रद्द करने की माँग की गई।

नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ़ जारी आंदोलन को कुचलने के लिए मोदी सरकार और हरियाणा की खट्टर सरकार द्वारा की गई नाकाबंदी और गिरफ्तारियों की सख्त शब्दों में निंदा करते हुए माँग की गई है कि सरकार अपनी दमनकारी नीति छोड़े। कृषि कानूनों के खिलाफ़ जारी संघर्ष को दबाने के लिए की गई पंजाब की आर्थिक नाकाबंदी बंद करने, राज्यों के हक बहाल करने, राष्ट्रों का दमन बंद करने, खुदमुख्त्यारी देने की मांग की गई। सी.ए.ए., एन.पी.आर., एन.आर.सी. रद्द करने, जनवादी अधिकारों के लिए जूझने वाले कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों की रिहाई के लिए ज़ोरदार अवाज बुलंद की गई।

रोष प्रदर्शन में कारखाना मज़दूर यूनियन, पंजाब; इंकलाबी मज़दूर केंद्र (घटक मासा); मोल्डर एंड स्टील वर्कर्ज यूनियन; नौजवान भारत सभा; टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन; लोक एकता संगठन; जमहूरी अधिकार सभा व अन्य जननेता शामिल रहे।

दिल्ली

दिल्ली के जंतर मंतर पर केंद्रीय श्रम संघों इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एक्टू, सेवा, एलपीएफ आदि विभिन्न यूनियनों ने प्रतिरोध दर्ज कराया।

workers protest

दिल्ली के द्वारिका सेक्टर-15 जिला पार्क (भारत बिहार) में इफ्टू सर्वहारा (घटक मासा) द्वारा मीटिंग-

पश्चिम बंगाल

कोलकाता में विभिन्न यूनियनों के साथ SWCC (घटक मासा) का प्रदर्शन- आईटी यूनियनों का दस्ता-

बिहार

रोहतास जिले के विभिन्न क्षेत्रों में देशव्यापी आम हड़ताल में शामिल ग्रामीण मजदूर यूनियन, बिहार (घटक मासा) के कार्यकर्त्ता-

पटना असंगठित भवन व निर्माण मज़दूर यूनियन (मज़दूर समन्वय केंद्र, घटक मासा) का संयुक्त प्रदर्शन-

पटना के विभिन्न इलाकों में IFTU सर्वहारा (घटक मासा) की सभा-

इफ्टू (सर्वहारा) द्वारा पिछले एक सप्ताह से किये जा रहे प्रचार कार्य का समापन एक जुलूस के साथ हुआ जिसमें पटना के विभिन्न मजदूर बस्तियों, झुग्गी-झोपड़ियों, मजदूर चौकों और पटना से सटे गांवों के मजदूरों और महिलाओं ने हिस्सा लिया।

उत्तर प्रदेश

मऊ। इंकलाबी मज़दूर केंद्र विभिन्न ट्रेड यूनियनों के साथ साझा करके जिला श्रमिक समन्वय समिति के बैनर से श्रम कानूनों में मज़दूर विरोधी संशोधनों को रद्द करने की मांग करते हुए मऊ कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया।

उड़ीसा

भुवनेश्वर में TUCI संबद्ध औद्योगिक श्रमिक संघों द्वारा संग्रामी श्रमिक संघर्ष में दमन का सामना करना पड़ा। TUCI केंद्रीय समिति के सदस्य / औद्योगिक कर्मचारी संघ के महासचिव, ओडिशा कामरेड सुबल साहू को जबरन गिरफ्तार किया गया।

सीपीआई-एमएल रेड स्टार खोरधा जिला समिति के कार्यवाहक सचिव / तुकी राज्य उपाध्यक्ष कामरेड राजेंद्र प्रसाद को ओडिशा पुलिस ने दमाना चौक पर जबरन गिरफ्तार कर लिया।

सिन्धु के ओरस में प्रदर्शन-

तेलंगाना

येल्लांदु में IFTU के नेतृत्व में प्रदर्शन-

गोदावरी खानी के खानों ने IFTU का प्रदर्शन-

हड़ताल में टाइल्स मज़दूर- IFTU-

कोलमाईनस के ठेका मज़दूर- IFTU

मंगूर में कोल मज़दूर- IFTU-

कोल खदान के ओपन कास्ट में IFTU कि सभा-

गोद्वारिखानी कोल मज़दूरों का प्रदर्शन-

IFTU से सम्बद्ध बीडी कामगारों का प्रदर्शन-

कर्नाटक

कर्नाटका श्रमिक शक्ति (KSS) द्वारा विभिन्न हिस्सों में आम हड़ताल, मार्च व प्रदर्शन-

महाराष्ट्र

TUCI (घटक मासा) व अन्य ट्रेड यूनियनों द्वारा विभिन्न प्रदर्शन-

संयुक्त कामगार संगठन व श्रमिक एकता महासंघ के नेतृत्व में मानव श्रृंखला बनाई गई-

BUCTU, शिक्षक भारती, अनुदानित शिक्षक बचाई समिति और कामगार एकता समिति द्वारा कलिना परिसर में रैली-

तमिलनाडु

TUCI (घटक मासा) व अन्य ट्रेड यूनियनों द्वारा विभिन्न प्रदर्शन-

आंध्र प्रदेश

आंध्र प्रदेश में IFTU (घटक मासा) विभिन्न केन्द्रीय यूनियनों के साथ प्रदर्शन करते हुए-

मासा का आह्वान

  • नए श्रम कोड तथा मज़दूर कानूनों में मज़दूर-विरोधी प्रावधान वापस लो!
  • नए कॉर्पोरेट-पक्षीय किसान-विरोधी कृषि बिल वापस लो!
  • सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (पीएसयू) को बेचने के कदम वापस लो!
  • ठेका प्रथा पर रोक लगाओ!
  • महामारी में मज़दूरों के लिए संकट व तमाम मुश्किलें पैदा करना बंद करो!

श्रम कानूनों के बदले श्रम कोड, कृषि बिल, छंटनी-बेरोज़गारी, निजीकरण, प्रवासी व असंगठित मज़दूरों के जीवन-आजीविका का संकट, बिगड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था और सामाजिक सुरक्षा, बढ़ती महंगाई, जातिगत हिंसा व धार्मिक नफ़रत, जनवादी अधिकारों पर हमला – नहीं सहेंगे!

रस्मअदायगी नहीं, मजदूर आंदोलन को मजदूर वर्ग के निरंतर, जुझारू और निर्णायक संघर्ष में तब्दील करो!

18 अक्टूबर से 18 दिसंबर, 2020 के ‘मज़दूर संघर्ष अभियान’ में शामिल हो!

https://mehnatkash.in/2020/10/19/make-the-nationwide-strike-of-26-november-successful/