ज्योतिबा का जीवन एक मिशन था, जिसका उद्देश्य था छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति, महिलाओं, दलितों को शिक्षित करना, विधवा विवाह करवाना, बाल विवाह पर रोक लगवाना। कुरुक्षेत्र (हरियाणा)। महात्मा ज्योतिबा फुले की 195 वीं जयंती के मौके पर जिला कुरूक्षेत्र के गांव बारना की कश्यप राजपूत धर्मशाला में जन संघर्ष मंच हरियाणा द्वारा 11 अप्रैल को उनकी जन्म जयंती मनाई गई। उनके संघर्ष को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि पेश की गई। इस अवसर पर जन संघर्ष मंच हरियाणा की प्रान्तीय महासचिव सुदेश कुमारी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले 19 वीं शताब्दी के महान समाज सुधारक थे। उनका जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे के एक गांव में हुआ था। इतिहास बताता है कि भारत में पहले जाति व्यवस्था का बोलबाला था। हिन्दू धर्म के जातिवाद के पक्षधर ग्रंथ मनुस्मृति को ही कानून माना जाता था। शूद्रों, महिलाओं और दलितों को शिक्षा देना पाप माना जाता था। ऐसे समय में ज्योतिबा फुले ने इस वर्ण व्यवस्था, जाति व्यवस्था के खात्मे के लिए कठोर संघर्ष किया। भारतीय समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने के लिए सतत संघर्ष किया और नारी शिक्षा, विधवा विवाह, किसानों व मजदूरों के हित में कई उल्लेखनीय कार्य किये। उन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर 1848 में पुणे में प्रथम कन्या स्कूल की स्थापना की, जिसका उस समय के रूढ़िवादी उच्च जाति के लोगों ने विरोध किया था। जब वे स्कूल में पढ़ाने के लिए जाते थे तो उनके ऊपर पत्थर कंकड़ कीचड़ गोबर फेंका जाता था। इतना ही नहीं रूढ़िवादी लोगों ने उनके पिता पर दबाव डालकर पति पत्नी को घर से निकलवा दिया था। जब फुले दंपत्ति को उनकी जाति, परिवार, आसपास के सभी लोगों द्वारा त्याग दिया गया तो वे आश्रय की खोज में एक मुस्लिम व्यक्ति उस्मान शेख के पास आए तो उसने फुले दंपत्ति को अपने घर में आश्रय दिया और घर के परिसर में ही स्कूल चलाने की सहमति दी। उस्मान शेख की बहन फातिमा शेख भी उस स्कूल में शिक्षिका बनी। उन्होंने अपने जीवन को एक मिशन की तरह जिया जिसका उद्देश्य था छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति। महिलाओं, दलितों को शिक्षित करना व विधवा विवाह करवाना, बाल विवाह पर रोक लगवाना। परंतु बड़े दुख की बात है कि ज्योतिबा फुले ने जिन मनुवादी, रुढ़िवादी ताकतों के खिलाफ संघर्ष किया आज वही ताकतें सत्ता में मौजूद हैं और धर्म के आधार पर हिन्दू राष्ट्र बनाने की बात करती हैं और देश के संविधान के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को खत्म कर हिंदू राष्ट्र की ओर देश को ले जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आज ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले, उस्मान शेख, फातिमा शेख सरीखे समाज सुधारकों की शिक्षाओं को पुनः याद करने की जरूरत है। https://mehnatkash.in/2020/04/11/jyotirao-phule-has-been-the-creator-of-the-anti-caste-movement/ सभा को कामरेड सोमनाथ व कामरेड करनैल सिंह ने भी संबोधित किया। अपने वक्तव्य में उन्होंने महात्मा जोतिराव फुले जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज देश की मेहनतकश जनता को जाति धर्म के झगड़े छोड़कर एकता बनाने की जरूरत है। सभा में उपस्थित समूह ने जनता को बांटने वाली ताकतों के खिलाफ लड़ने का संकल्प लिया। महात्मा ज्योतिबा फुले अमर रहें, सावित्री बाई फुले अमर रहें व बीबी फातिमा शेख अमर रहें के नारे लगाते हुए सभा का समापन किया गया। इस मौके पर रतन कौर, सुमन, सुषमा, रीना, बीरबल, रामपाल, जयकुमार, बबली कश्यप, अनिल, सुनील, नितिन, रवि, बबली, छैलू राम, संतोष, अनुराधा सहित सैकड़ों महिला पुरुष उपस्थित रहे।