वाहन निर्माता टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट में 18 नवंबर को प्रबंधन और यूनियन के बीच हुए एक समझौते के अनुसार आर्थिक मंदी और ऑटोमोबाइल सेक्टर में बाजार में मांग ना होने के बहाने ब्लॉक क्लोजर की अवधि 39 दिनों से बढ़ाकर 54 दिन कर दी गई है। इससे पहले 19 अगस्त को यूनियन और प्रबंधन के बीच जो समझौता हुआ था उसके अनुसार 39 दिनों का ब्लॉक क्लोजर लेने पर सहमति बनी थी जिसमें अब 15 दिन और बढ़ा दिए गए हैं। जमशेदपुर प्लांट में अप्रैल से अब तक 39 दिनों का ब्लॉक क्लोजर हो चुका है। जमशेदपुर प्लांट में यूनियन और प्रबंधन के बीच अब तक समझौता हुआ है उसके अनुसार 17 जून 1998 में 18 दिनों का ब्लॉक क्लोजर का निर्णय हुआ था। 2 अगस्त 2017 को ग्रेड रिवीजन समझौते के बाद 24 दिनों के ब्लॉक क्लोजर पर सहमति बनी। उसके बाद वर्तमान आर्थिक मंदी के दौरान 19 अगस्त 2019 को 39 दिनों के ब्लॉक क्लोजर पर सहमति बनी और अब 18 नवंबर को 54 दिनों का ब्लॉक क्लोजर लेने पर सहमति बनी है। टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट में कर्मचारियों को 30 दिनों का पीएल मिलता है। ब्लॉक क्लोजर के दौरान कर्मचारियों की आधी छुट्टी कटती है। इस प्रकार 54 दिनों का ब्लॉक क्लोजर होने पर कर्मचारियों की 27 छुट्टियां कट जाएंगी और उनके पास सिर्फ तीन छुट्टियां बचेगी। ब्लॉक क्लोजर प्लांट के अंदर उत्पादन बंद करने को कहते हैं मांगना होने पर प्लांट के अंदर उत्पादन बंद कर दिया जाता है। ब्लॉक क्लोजर के बहाने कंपनियां धीरे-धीरे मजदूरों को निकालने के लिए छंटनी की राह बनाती हैं। अगस्त माह में मंदी के दौरान जमशेदपुर में 700 कंपनियों में जिसमें टाटा मोटर्स की सहयोगी कंपनियां तथा अन्य कंपनियां शामिल है में 30000 मजदूरों की नौकरी चली गई थी। अक्टूबर के आंकड़ों के अनुसार इस बार भी कंपनी की वाहन बिक्री पिछले साल के मुकाबले 36% कम हुई है। देशभर में ऑटोमोबाइल सेक्टर 50 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है। उद्यमियों ने मांग की थी कि सरकार आर्थिक सुधार के कदम उठाए ताकि कम से कम 10 लाख लोगों का रोजगार बचाया जा सके। उसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और मोदी सरकार के अन्य मंत्रियों ने बेतुके बयान देते हुए मंदी और आर्थिक संकट को नकार दिया था।