सरकार 51 प्रतिशत से कम करना चाहती है अपना शेयर, विरोध में कर्मचारी व अधिकारी https://youtu.be/po2lOP0nu7k एनटीपीसी के कर्मचारी, अधिकारी व मजदूरों के यूनियनों का कहना है कि मोदी सरकार कंपनी में शेयर का कम करके इसे प्राइवेट हाथों में बेच देना चाहती है। इसलिए, दूसरी सार्वजनिक उपक्रमों के यूनियनों के साथ बातचीत कर संयुक्त कार्रवाई की रणनीति तैयार की जा रही है। एनटीपीसी एग्जीक्यूटिव फेडरेशन के अध्यक्ष वी के शर्मा का कहना है कि अगर मोदी सरकार एनटीपीसी में इक्विटी को 51 फीसदी से कम कर देती है, तो कंपनी की सभी यूनियने जिसमें कर्मचारी व अधिकारियों की यूनियनें भी शामिल हैं, दिसंबर मध्य में हड़ताल पर जा सकती हैं। इससे 40,000 मेगावाट बिजली उत्पादन प्रभावित होगा। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की वेबसाइट के अनुसार अक्टूबर में भारत की कुल बिजली उत्पादित क्षमता 3.63 लाख मेगावाट है। इसका मतलब है कि अगर एक दिन के लिए हड़ताल की गई तो देश में 10 फीसदी बिजली उत्पादन पर असर होगा। शर्मा ने कहना है कि सबसे पहले दिसंबर के मध्य में एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल किया जाएगा, इसके बावजूद भी अगर मोदी सरकार अपने कदम वापस नहीं लेती है तो आगे अनिश्चितकालीन हड़ताल की रूपरेखा तैयार की जाएगी। हड़ताल संसद के शीतकालीन सत्र के प्रारंभ में होगी, जो 18 नवंबर को शुरू होने की उम्मीद है। वर्तमान में कंपनी में केंद्र सरकार का 54 प्रतिशत शेयर है। सार्वजनिक उपक्रमों में यूनियनों और अधिकारियों के साथ एक संयुक्त कार्रवाई रणनीति तैयार करने के लिए बातचीत चल रही है। हड़ताल में भाग लेने के लिए बैंकों और रेल यूनियनों के साथ भी बातचीत की जा रही है। में यूनियनों और अधिकारियों के साथ एक संयुक्त कार्रवाई रणनीति तैयार करने के लिए बातचीत चल रही है। हड़ताल में भाग लेने के लिए बैंकों और रेल यूनियनों के साथ भी बातचीत की जा रही है।