लुधियाणा: अमर शहीद सुखदेव की याद में इंकलाबी समागम का आयोजन। शहीद सुखदेव के सपनों का समाजवादी समाज बनाने के लिए जद्दोजहद जारी रखने का संकल्प लिया! लुधियाणा। 15 मई को शाम शहीद सुखदेव के जन्म स्थान नौघरा मोहल्ला पर विभिन्न क्रांतिकारी संगठनों द्वारा संयुक्त तौर पर शहीद सुखदेव का जन्मदिन मनाया गया। घण्टा घर चौक के नज़दीक नगर निगम कार्यालय से लेकर नौघरा मोहल्ला तक पैदल मार्च किया गया। शहीद सुखदेव की यादगार पर लोगों ने फूल भेंट किए। संगठनों ने शहीद सुखदेव के सपनों की जनपक्षधर सामाजिक व्यवस्था के निर्माण के लिए मौजूदा शोषणकारी व्यवस्था, जनता की देशी-विदेशी लूट के खिलाफ मजदूरों और किसानों समेत छोटे काम धंधे करने वाले सभी मेहनतकशों का जनांदोलन आगे बढ़ाने का आह्वान किया। समागम को आयोजक क्रांतिकारी संगठनों अदारा ‘ललकार’ के राजविंदर सिंह, इंकलाबी केन्द्र पंजाब के कंवलजीत खन्ना, लोक मोर्चा पंजाब के सुरजीत सिंह ने संबोधित किया। समागम को जमहूरी अधिकार सभा के अध्यक्ष और शहीद भगत सिंह के भानजे प्रो. जगमोहन सिंह ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर विभिन्न साथियों ने क्रातिंकारी गीत भी पेश किए। मंच संचालन मुक्ति संग्राम मज़दूर मंच के लखविंदर ने किया। वक्ताओं ने कहा कि सुखदेव ने लिखा था- ''हिन्दुस्तानी सोशियलिस्ट रिपब्लिकन पार्टी के नाम से ही पता साफ पता चलता है कि क्रान्तिवादियों का आदर्श समाज-सत्तावादी प्रजातंत्र की स्थापना करना है।'' लेकिन उनका मकसद पूरा नहीं हुआ है। इसलिए शहीद सुखदेव को याद करना कोई रस्मपूर्ति नहीं है बल्कि उनके सपनों का समाज बनाने के लिए जारी जद्दोजहद का एक हिस्सा है। वक्ताओं ने कहा कि सुखदेव का यह स्पष्ट मानना था कि सिर्फ अंग्रेजी गुलामी से मुक्ति से ही मेहनतकशों की जिन्दगी बेहतर नहीं हो जाएगी, कि जब तक समाज के समूचे स्रोत-संसाधनों पर मेहनतकश लोगों का कब्जा नहीं हो जाता तब तक जनता बदहाल ही रहेगी। वे समाज के स्रोत-साधनों पर चंद धन्नाढ्यों का कब्जा नहीं चाहते थे बल्कि उनकी लड़ाई तो समाजवादी व्यवस्था कायम करने के लिए थी। उन्होंने कहा कि शहीद सुखदेव को धर्म, जाति, बिरादरी, क्षेत्र आदि से जोड़कर उनकी कुर्बानी के महत्व को घटाने व उनके विचारों पर्दा डालने की जाने-अनजाने में कोशिशें पहले भी होती रही हैं और आज भी हो रही हैं। लेकिन उनकी लड़ाई तो समूची मानवता को हर तरह की आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक गुलामी, लूट, दमन, अन्याय से मुक्त करने की थी। इसलिए जाने-अनजाने में की जा रही ऐसी कोशिशों का डटकर विरोध करना चाहिए। मेहतनकश लोगों का गरीबी-बदहाली, बेरोज़गारी से छुटकारा धर्मों, जातियों, क्षेत्रों आदि के भेद मिटाकर एकजुट होकर लुटेरे अमीर वर्गों के खिलाफ क्रान्तिकारी वर्ग संघर्ष के जरिए ही हो सकता है।