13 अप्रैल को 1919 में जलियांवाला बाग में हुए शहीदों एवं 1978 में पंतनगर गोलीकांड में हुए शहीदों की याद में आईएमके ने कार्यक्रम आयोजित की। वहीं यूनियनों द्वारा भी श्रद्धांजलि दी गई। पंतनगर (उत्तराखंड)। 13 अप्रैल को इंकलाबी मजदूर केन्द्र, ठेका मजदूर कल्याण समिति पंतनगर तथा प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा आजादी के आंदोलन में जलियांवाला बाग में हुए शहीदों एवं 1978 में पंतनगर में काले अंग्रेजों द्वारा रचे गए गोलीकांड में शहीद हुए शहीदों की याद में प्राइमरी स्कूल टा कालोनी मैदान से झा कालोनी मजदूर बस्तियों से होते हुए प्रभातफेरी निकाली गई और शहीद स्मारक पर सभा की गई। सभा में दो मिनट का मौन रखकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। दूसरी ओर पंतनगर की विभिन्न यूनियनों के साझा मोर्चा द्वारा 13 अप्रैल 1978 को पंतनगर विश्वविद्यालय में हुए भीषण कांड गोली कांड जिसमें 14 मजदूर मारे गए तथा इसी दिन वर्ष 1919 को जलियांवाला बाग में लगभग 1000 लोग शहीदों हुए की बरसी पर पंतनगर शहीद चौराहे पर श्रद्धांजलि सभा कर शहीदों को पुष्प अर्पित किया गया। शहीदों से प्रेरणा लेकर संघर्ष तेज करना होगा इंकलाबी मजदूर केन्द्र, ठेका मजदूर कल्याण समिति पंतनगर तथा प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की ओर से सभा में वक्ताओं ने कहा कि 13 अप्रैल 1919 को आजादी के आंदोलन में अंग्रेजी शासकों के क्रूर हत्यारे जनरल डायर द्वारा शांतिपूर्ण सभा में गोलीकांड से निहत्थी जनता की हत्याएं कर अंग्रेजी सरकार द्वारा दमन से आजादी की आवाज दबाने की कोशिश की गई। इसी तरह आजाद भारत में काले अंग्रेजों द्वारा पंतनगर में संगठन बनाकर कानूनन बोनस बीमा ग्रेच्युटी चिकित्सा मूलभूत सुविधाएं, नियमितीकरण के लिए चलाए जा रहे शांतिपूर्ण आंदोलन पर शासन प्रशासन द्वारा पीएसी-पुलिस प्रशासन द्वारा निहत्थे मजदूरों पर गोलियां काण्ड रचा गया। जिसमें 14 मजदूरों की हत्या, शहीद कर सैकड़ों मजदूरों को घायल करके मजदूरों की आवाज दबाने की कोशिश की। पंतनगर में काले अंग्रेजों ने यह सिद्ध किया कि आजाद भारत के शासक वर्ग मजदूर वर्ग के शोषण उत्पीड़न और दमन में अंग्रेजी शासकों से पीछे नहीं हैं। पहले गोरे फिर काले अंग्रेजों द्वारा तमाम दमन के वाद आंदोलन और तेजी से आगे बढ़ा। और आंदोलन से पैदा हुए शहीद भगत सिंह, उधम सिंह जैसे क्रांतिकारियों, मजदूरों ने संघर्षों से गोरों से अपनी आजादी और पंतनगर के मजदूरों ने शासन प्रशासन से बोनस, बीमा, ग्रेच्युटी, चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाओं सहित नियमितीकरण जैसी मांगें शासकों से छीनी। https://mehnatkash.in/2020/04/13/april-13-symbol-day-of-conflict-and-oppression/ आज मजदूरों में वर्गीय चेतना के अभाव के कारण मजदूर आंदोलन टूट फूट विखराव होकर कमजोर हो गया। जिससे पूंजीपति वर्ग की सरकारें मजदूर वर्ग पर हमलावर हैं। मजदूरों ने अपने तमाम त्याग, वलिदान, आंदोलनों से अंग्रेजी सरकार से हासिल किए 44 श्रम कानूनों को मोदी सरकार द्वारा खत्म कर मजदूर विरोधी 4 लेबर कोड में तब्दील कर दिया गया है। मजदूरों को डेढ़ सौ साल पीछे गुलामी में जीने को मजबूर किया जा रहा है। आसमान छूती हुई मंहगाई में आजादी के बाद सबसे ज्यादा भंयकर बेरोजगारी है। जनवादी अधिकारों को हासिल करने के शांतिपूर्ण आंदोलनों का दमन किया जा रहा है। इसके बावजूद मजदूरों के संघर्ष जारी है। पूरे देश में तमाम दमन के बाद एक वर्ष तक चले लम्बे एतिहासिक किसान आंदोलन ने हिंदू फासिस्ट मोदी सरकार को पीछे धकेलकर जीत हासिल की है। इधर पंतनगर विश्व विद्यालय में पिछले 18-- 20 वर्षों से लगातार कार्यरत ठेका मजदूरों को कानूनन बोनस, बीमा, ग्रेच्युटी, नियमितीकरण, वर्ष में 20 दिनों का सवैतानिक अवकाश जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा गया है। समय से वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। 20 वर्षों से लगातार कार्यरत लेखा कर्मियों ठेका मजदूरों को काम से हटाकर बेरोजगार कर दिया गया है। तमाम विरोध प्रदर्शन के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ठेका मजदूर कल्याण समिति पंतनगर द्वारा सड़क और न्यायालय में चले लम्बे संघर्ष के बाद भारत सरकार द्वारा जारी शासनादेश को वर्ष 2016 से नहीं लागू किया गया। अप्रैल 2021 से लागू किया गया। एक साल बीत जाने पर भी ईएसआई कार्ड निर्गत नहीं किए गए हैं। जिससे मजदूरों को चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही है। वर्ष अप्रैल 2020 से अक्टूबर 2020 तक का वेतन बढ़ोतरी का लम्बित एरियर भुगतान नहीं किया गया है। सभी वक्ताओं ने कहा कि अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए जलियांवाला बाग के शहीदों एवं पंतनगर के 1978 के शहीदों के क्रांतिकारी विरासत को आगे बढ़ाना होगा। किसान आंदोलन से प्रेरणा लेकर संगठित जुझारू क्रांतिकारी आंदोलन को आगे बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया गया। कार्यक्रम में बिंदू गुप्ता, मीना, सोना, मीनू, मनोज कुमार, अभिलाख सिंह, राशिद, रमेश कुमार, सुभाष, रमेश चंद्र, अर्जुन सिंह, विकास, श्रवण कुमार, माधव प्रसाद, भरत यादव, सुरेश, पृथ्वी राज गौतम, रंजन शाह, राजेन्द्र, तेजराम, शहादत बेग आदि दर्जनों लोग शामिल रहे।