रुद्रपुर: डॉल्फिन मज़दूरों का 10 अक्टूबर को मज़दूर-किसान पंचायत; महिलाएं करेंगी सामूहिक आमरण अनशन

पीड़ित महिलाओं ने कहा- श्रम विभाग, जिला प्रशासन और उत्तराखंड सरकार ने आमरण अनशन के लिए विवश किया है। हम एलान करते हैं कि- देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है।
रुद्रपुर (उत्तराखंड)। श्रम विभाग, जिला प्रशासन और उत्तराखंड सरकार द्वारा सारे नियम कानूनों, भारतीय संविधान और सर्वोच्च और उच्च न्यायालय के आदेशों को ठेंगे में रखकर जारी शोषण के खिलाफ डॉल्फिन कम्पनी के मज़दूरों की पहल पर 10 अक्टूबर को स्थानीय गाँधी पार्क में मजदूर-किसान पंचायत का आयोजन होगा। उसी समय डॉल्फिन की महिला मज़दूरों द्वारा अन्य मजदूरों और परिजनों संग मिलकर सामूहिक आमरण अनशन प्रारम्भ किया जायेगा।
इस दौरान जारी विज्ञप्ति में डॉल्फिन कम्पनी की पीड़ित मजदूर महिलाओं ने कहा कि आपको बहुत ही दुखी और ब्यथित मन से और नम आँखों से अवगत करा रहीं हैं कि श्रम विभाग, जिला प्रशासन और शासन सत्ता के हर दरवाजे से दुत्कारे जाने के कारण ही हम डॉल्फिन कंपनी में बुनियादी श्रम कानूनों, भारतीय संविधान और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को लागू कराने की मांग को लेकर 3 अक्टूबर 2024 से गाँधी पार्क रुद्रपुर में क्रमिक अनशन पर बैठने को विवश हुईं हैं।
कम्पनी मालिक द्वारा हम महिलाओं सहित कम्पनी में विगत आठ-दस साल से नौकरी कर रहे करीब 4000 परमानेंट मजदूरों को जबरजस्ती व अविधिक रूप से ठेकेदार की नौकरी में धकेलकर हमारा भविष्य बर्बाद कर दिया है और महिला पुरुष सहित 48 स्थाई मजदूरों को नोटिस और आरोप पत्र दिए बिना अवैध रूप से नौकरी से निकाल दिया है। हमें नियमानुसार न्यूनतम वेतनमान और बोनस भी नहीं दिया गया। श्रम विभाग, जिला प्रशासन और सरकार द्वारा डॉल्फिन कंपनी मालिक प्रिंस धवन के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने के स्थान पर हम मजदूरों का ही दमन करके कम्पनी मालिक प्रिंस धवन को खुला संरक्षण दिया जा रहा है।
डॉल्फिन मजदूर संगठन की उपाध्यक्ष सुनीता ने कहा कि हम मजदूरों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई में सरकार के वकील की दलीलों को स्वीकार करते हुए माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा हमारी याचिका का निबटारा किया गया जिसमें दिनांक 07/8/2024 को ALC से लिखित में पूर्ण अपेक्षा की गई थी कि वो अग्रिम वार्ता में ही डॉल्फिन कंपनी में बुनियादी श्रम कानूनों के उक्त उल्लंघन पर रोक लगाने हेतु विधिनुसार कानूनी कार्यवाही अमल में लाएंगे।
इसके पश्चात् अनगिनत वार्ताएं हुईं और अब ALC महोदय द्वारा वार्ता भी बंद कर दी गईं, किन्तु ALC महोदय द्वारा उक्त सम्बन्ध में कोई भी कार्यवाही नहीं की गई और कम्पनी मालिक प्रिंस धवन के उक्त काले कारनामों पर पर्दा डालने के लिए माननीय उच्च न्यायालय की ही घोर अवमानना कर दी, जो कि अत्यंत संदिग्ध आचरण है। क्योंकि सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी श्रम मंत्री भी हैं और उत्तराखंड का श्रम विभाग और श्रम भवन रुद्रपुर भी इन्हीं के अधीन आता है इसलिए यह मामला और अधिक सोचनीय और चिंताजनक बन जाता है।
उन्होंने बताया कि विगत कुछ दिन पहले श्रम भवन रुद्रपुर में अधिकारियों के चैम्बर में एक संदिग्ध ब्यक्ति और नोटों की गड्डियों का वीडियो श्रम भवन के कर्मचारियों ने स्वयं ही वायरल करके वहां चल रहे भ्रष्टाचार को आम जनता के मध्य उजागर किया था। इससे हम महिलाओं की समझ में भी भलीभांति आ गया है कि डॉल्फिन कम्पनी में बुनियादी श्रम कानूनों, भारतीय संविधान, माननीय सर्वोच्च न्यायालय आदेशों के उपरोक्त घोर उल्लंघन और चल रहे काले कारनामों पर रोक लगाने के स्थान पर हम मजदूरों को ही दबाकर डॉल्फिन कम्पनी मालिक को क्यों खुला संरक्षण दिया जा रहा है और हमारी उपरोक्त याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा ALC महोदय को डॉल्फिन कम्पनी में चल रहे उक्त काले कारनामों पर रोक लगाने हेतु जो जिम्मेदारी दी गईं थी उसे उन्होंने बेखौफ होकर क्यों नजरअंदाज कर दिया?
शासन-सत्ता के कम्पनी मालिकों के संग क़ायम उपरोक्त गठजोड़ और उक्त कारणों से ही डॉल्फिन, लुकास, इंटरार्क और करोलिया सहित अन्य मजदूरों की समस्याओं का समाधान कराने और जिला प्रशासन द्वारा कराये गए समझौते को भी लागू कराने को शासन सत्ता बिल्कुल भी तैयार नहीं है और पीड़ित मजदूरों का ही दमन करने पर आमादा है।
डॉल्फिन मजदूर संगठन ने कहा कि ऐसे में सामूहिक संघर्ष ही मजदूर विरोधी इन काली ताकतों पर नकेल कस सकता है।
इसी उद्देश्य के तहत दिनांक 10/10/2024 को गाँधी पार्क रुद्रपुर में प्रातः 11बजे से मजदूर किसान पंचायत का आयोजन किया जा रहा है और उसी समय पीड़ित महिलाओं द्वारा अन्य मजदूरों और परिजनों संग मिलकर सामूहिक आमरण अनशन प्रारम्भ किया जायेगा।

पीड़ित महिलाओं ने कहा कि आज श्रम विभाग, जिला प्रशासन और उत्तराखंड सरकार द्वारा सारे नियम कानूनों, भारतीय संविधान और माननीय सर्वोच्च और उच्च न्यायालय के आदेशों को ठेंगे में रखकर हम महिलाओं को आमरण अनशन पर बैठकर अपनी जान जोखिम में डालने को विवश कर दिया है। हम इनके आमत्रंण को स्वीकार कर रहे हैं और एलान करते हैं कि -देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है।
डॉल्फिन मज़दूर संगठन और पीड़ित महिलाओं ने समस्त मज़दूरों और मज़दूर पक्षधर ताकतों का मजदूर-किसान पंचायत को सफल बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि पीड़ित मजदूर महिलाएं बड़ी आशा भरी निगाहों से मेहनतकश जन की उपस्थिति की पूर्ण उम्मीद करती हैं।