दार्जिलिंग: एक माह से जारी है लॉन्गव्यू चाय बगान मज़दूरों का संघर्ष; यूनियन नेता पर गुंडों का हमला

HPEU_protest

दार्जिलिंग। विभिन्न बुनियादी मांगों को लेकर लॉन्गव्यू चाय बगान के श्रमिक आंदोलन की राह पर हैं। संग्रामी यूनियन हिल प्लांटेशन्स एम्प्लॉइज यूनियन (HPEU) के नेतृत्व में श्रमिक पिछले 1 महीने से संघर्ष कर रहे हैं। इस दौरान मालिक की बेअदबी, श्रम अधिकारी और प्रशासन की टालमटोल और सत्ताधारी पार्टी के गुंडों का हमला भी जारी है। फिलहाल 6 सितंबर को श्रम अधिकारी की मध्यस्थता में त्रिपक्षीय वार्ता है।

ताजा घटना में आज 5 सितंबर को आंदोलन को बिखराने की दृष्टि से लॉन्गव्यू चाय बागान की कार्यकर्ता और जारी संघर्ष की नेता संगीता छेत्री पर सत्ताधारी पार्टी के गुंडों द्वारा हमला किया गया। लेकिन मज़दूरों का एकजुट जुझारू संघर्ष जारी है। घटना के बाद बागान मज़दूर पुलिस स्टेशन पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

यूनियन का कहना है कि पिछले दो वर्षों के बोनस का बकाया, पिछले दो बार हाजिरा वृद्धि का एरियर और पिछले 6 महीनों का श्रमिकों का दैनिक मजदूरी और कर्मचारियों के वेतन सहित पीएफ आदि मिलाकर करीब 17 करोड़ रुपये बकाया है। इन मांगों को लेकर ही हमारा यह आंदोलन जारी है।

संग्रामी यूनियनों का मिला समर्थन

पश्चिम बंगाल की संघर्षरत ट्रेड यूनियनों और श्रमिक संगठनों की ने लॉन्गव्यू टी एस्टेट के श्रमिकों के संघर्ष को सलाम पेश करते हुए इस लड़ाई में एकजुटता प्रदर्शित की है और लॉन्गव्यू चाय बागान श्रमिकों के उचित बकाये का तुरंत भुगतान करने और चाय श्रमिकों की समग्र समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रभावी कदम उठाए जाने की माँग की है।

समर्थन में बयान जारी करने वालों में IFTU, NTUI, SWCC, WI(SSC), LJMU(SS), TUCI, IFTU(S), ECLTSAU, AWBSRU, HWUC शामिल हैं।

आंदोलन की पृष्ठभूमि

दार्जिलिंग जिले के कर्शियांग के पास 145 साल पुराना चाय बागान है लॉन्गव्यू टी एस्टेट। गारीधुरा और पंखाबारी के बीच दार्जिलिंग पहाड़ियों में स्थित, लॉन्गव्यू टी एस्टेट कभी दार्जिलिंग के सबसे बड़े चाय बागानों में से एक था। बागान की उत्पादकता भी अधिक थी, जो 60 से 70 हजार किलोग्राम प्रति दिन थी।

लॉन्गव्यू टी गार्डन (1879 में स्थापित) का कुल क्षेत्रफल 1020 हेक्टेयर है, लेकिन अब चाय बागान का कुल क्षेत्रफल केवल 502 हेक्टेयर रह गया है। इसका आधा हिस्सा पहले से ही जंगल से घिरा हुआ है। यहां 5 फीट से भी ऊंचे चाय के पेड़ दिखते हैं। पहले यहां 1,244 मजदूर काम करते थे, लेकिन आज केवल 300 से 350 मजदूर ही बचे हैं।

मज़दूरों की बढ़ती दुर्दशा

लॉन्गव्यू चाय बागान आज अनेक उतार-चढ़ावों का साक्षी बनता जा रहा है। एक समय 1244 मजदूर काम करने वाले इस बागान में आज केवल 300 श्रमिक बचे हैं। इस बागान के कई लोग कार्सियांग के आसपास के अन्य चाय बागानों में आकस्मिक मजदूर, सुखा (बिना किसी सुविधा के) बीघा (आकस्मिक) मजदूरी के रूप में काम करते हैं।

उन मजदूरों पर भी वर्तमान मालिक गोविंदा गर्ग द्वारा लगातार अत्याचार चल रहा है। मजदूरों के लिए मात्र 250 रुपये की दिहाड़ी पर अपना जीवन-यापन करना लगभग असंभव है, इसके अलावा मालिक का क्रूर शोषण, असमान कानून, जमीन और घर का स्वामित्व न होना इसे आधुनिक समय की मजदूरी गुलामी की व्यवस्था बना देता है।

आज वे मजदूर उस अत्याचार के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं। बकाया वेतन, बोनस और मजदूरी मे पिछले दिनों मे हुई बढोत्तरी के बकाया एरियर को लेकर बगान के सभी मजदूर-कर्मचारी एकजुट होकर सड़कों पर उतर आये हैं।

संकटग्रस्त हैं दार्जिलिंग पहाड़-तराई-डुवर्स चाय बागान श्रमिक

आज दार्जिलिंग पहाड़-तराई-डुवर्स सहित पूरे क्षेत्र के चाय बागानों के मजदूरों की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। 2015 में चाय उद्योग के त्रिपक्षीय समझौते में न्यूनतम मजदूरी लागू करने के फैसले और हाइकोर्ट के बारंबार आदेश के बावजूद आज तक इसे लागू नहीं किया गया है। अंतिम हाजिरा वृद्धि में दैनिक वेतन 232 से बढ़कर केवल 250 रुपए हुआ है।

बागानों को बचाने के बारे में मालिक और सरकार दोनों उदासीन हैं। मालिकों का एकमात्र उद्देश्य इससे अधिकतम मुनाफा कमाना है। यह केवल श्रमिकों को वंचित करके ही संभव है और वे यही कर रहे हैं। हालांकि मजदूर बागान इलाकों में रहते हैं, फिर भी उन्हें सरकार की ओर से घर-जमीन का पट्टा नहीं दिया गया है।

श्रमिकों को वैधानिक सहुलियत न देना, पीएफ जमा न करना, ग्रेच्युटी का भुगतान न करना, रिटायरमेंट की उम्र पार होने पर भी काम कराना, ठेका प्रणाली का प्रसार – ये सभी बहुत से बागानों में सामान्य रीति बन गए हैं।

बिना मज़दूरी कैसे काम करें मज़दूर?

लॉन्गव्यू चाय बगान के श्रमिकों ने वैसी ही विविध समस्याएं के साथ-साथ पिछले दो वर्षों के बोनस का बकाया, पिछले दो बार हाजिरा वृद्धि का एरियर और पिछले 6 महीनों का श्रमिकों का दैनिक मजदूरी और कर्मचारियों के वेतन सहित पीएफ आदि मिलाकर करीब 17 करोड़ रुपये बकाया है।

संघर्ष में उतरना हुई मजबूरी

इन मांगों को लेकर ही संग्रामी यूनियन हिल प्लांटेशन्स एम्प्लॉइज यूनियन (HPEU) के नेतृत्व में लॉन्गव्यू चाय बागान के श्रमिक पिछले 1 महीने से संघर्ष कर रहे हैं। पहले वे प्रबंधन के साथ द्विपक्षीय वार्ता के जरिए मांगों का निपटारा करना चाहते थे। लेकिन मालिक की उदासीनता के कारण वैसा नहीं हुआ। उन्हें आंदोलन का रास्ता चुनने को मजबूर होना पड़ा।

धरना सहित द्विपक्षीय वार्ता चलते हुए अगस्त के मध्य में प्रबंधन के गायब होने से श्रमिकों का धैर्य टूट गया। उन्होंने बगीचे की देखभाल का काम जारी रखा, लेकिन चाय की पत्तियां तोड़ना बंद कर दिया। वे जुलुस निकालकर थाने गए और गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके बाद कर्शियांग एएलसी में शिकायत और सिलीगुड़ी श्रम विभाग में विवाद दर्ज कराया। सरकारी उदासीनता के अलावा, मालिक श्रमिकों पर पुलिस का दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे।

डराने-धमकाने-फर्जी मुक़दमें

मालिक, जो लंबे समय से बगान को खतम कर रहा है, उन्होने यूनियन उपाध्यक्ष छेवांग योञ्जन और सह-सचिव सुमेंद्र तामांग के खिलाफ स्थानीय पुलिस आउटपोस्ट में श्रमिकों को उकसाने के झूठी शिकायत दर्ज कराई। मालिक के दलालों ने मजदूरों को डराने-धमकाने की कोशिश की। 5 सितंबर को संगीता छेत्री पर सत्ताधारी पार्टी के गुंडों द्वारा हमला उसी कड़ी का हिस्सा है।

संघर्ष जारी

28 अगस्त को त्रिपक्षीय वार्ता में आंदोलनकारी श्रमिक बड़ी संख्या में श्रम कार्यालय परिसर में एकत्रित हुए, लेकिन मालिक बैठक में नहीं आया। मालिकों के प्रतिनिधियों ने नुकसान की कहानियां सुनाते हुए मजदूरों पर काम का बोझ बढ़ाने की बात कही। बैठक विफल रही, श्रम विभाग ने मालिक को लेकर एक और बैठक आयोजित करने का वादा किया। श्रम विभाग ने 6 सितंबर को फिर त्रिपक्षीय बैठक बुलाई है।

इस दौरान लॉन्गव्यू बगान के मजदूर हर सुबह 1 घंटे के लिए धरना और काम बन्द रखने का आंदोलन कर रहे हैं, और संघर्ष व श्रमिक-एकता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

लॉन्गव्यू चाय बागान मजदूरों की इस सक्रियता और अभूतपूर्व संघर्ष को देखकर पहाड़ समेत विभिन्न चाय बागानों के मजदूर इस न्यायसंगत संघर्ष में साथ दे रहे हैं, उनकी उम्मीद भी बढ़ती जा रही है।

पश्चिम बंगाल की संघर्षरत ट्रेड यूनियनों और श्रमिक संगठनों ने संघर्ष में संग्रामी एकजुटता प्रदर्शित करते हुए दार्जिलिंग पहाड में लॉन्गव्यू चाय बगान के मजदूरों के न्यायिक अधिकारों के लिए संघर्ष में साथ देने का आह्वान किया है। इससे संघर्षरत बागान मज़दूरों उत्साह का संचार हुआ है।

लॉन्गव्यू चाय बगान श्रमिकों का संघर्ष ज़िन्दाबाद! पश्चिम बंगाल सरकार को लॉन्गव्यू चाय बागान श्रमिकों के उचित बकाये का तुरंत भुगतान करने और चाय श्रमिकों की समग्र समस्या के समाधान के लिए प्रभावी कदम उठाना होगा।

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