राज्य स्तर पर शुरू यह आंदोलन स्वास्थ्य कर्मियों की केंद्रीय वेतनमान, वेतन विसंगति, महंगाई भत्ता, आवास भत्ता, पदनाम, नियमितिकरण, कोरोना भत्ता सहित 28 सूत्रीय मांग को लेकर है। रायगढ़. 28 सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार से जिले के सभी स्वास्थ्य कर्मचारी तीन दिन के लिए हड़ताल पर चले गए हैं। ऐसे में अब अस्पतालों में जूनियर कर्मचारियों की सहायता ली जा रही है। साथ ही तीन दिन के लिए आपात कालीन सेवा को जारी रखा गया है, ऐसे में कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से पहले ही मेकाहारा के वार्डों में भर्ती ज्यादातर मरीजों को छुट्टी कर दी गई है। जिससे जिन वार्डों में मरीजों को रखने के लिए जगह नहीं मिलती थी, उस वार्डों में दर्जनों बेड खाली पड़े हुए हैं। गौरतलब हो कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा लंबे समय से २८ सूत्रीय जायज मांगे की जा रही है, लेकिन सरकार द्वारा इनकी मांगों को अनसुना किया जा रहा है, जिले के सभी स्वास्थ्य कर्मचारी सोमवार से तीन दिन के सामूहिक अवकाश पर चले गए हैं। ऐसे में ११ से १३ अप्रैल तक कोई भी कर्मचारी काम नहीं करेगा। जिससे स्वास्थ्य विभाग की समस्याएं बढ़ गई है। इस संंबंध में कर्मचारियों ने बताया कि इनकी मांग लंबे समय से चल रही है, लेकिन सरकार द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है, ऐसे में राज्य स्तर पर यह आंदोलन शुरू किया गया है। इस दौरान इनका मांग है कि केंद्रीय वेतनमान, वेतन विसंगति, महंगाई भत्ता, आवास भत्ता, पदनाम, नियमितिकरण, कोरोना भत्ता सहित २८ सूत्रीय मांग है। साथ ही इनका कहना है कि राज्य सरकार अपने चुनावी घोषणापत्र में वादा किया था कि उनकी सरकार बनने के बाद इनकी मांगों को पूरी की जाएगी, लेकिन अभी तक किसी भी तरह के विचार नहीं किया गया है। साथ ही कई बार पत्र के माध्यम से मांग की गई, लेकिन सुनवाई नहीं होने पर अब आंदोलन किया जा रहा है। ऐसे में सभी कर्मचारी सामूहिक अवकाश लेकर घर बैठ गए हैं। साथ ही उनका कहना है कि अगर इनकी मांगों को पूरी नहीं की जाती है तो यह आंदोलन और तेज की जाएगी। स्वास्थ्य कर्मचारियों के तीन दिन के सामूहिक अवकाश पर जाने की सूचना मिलते ही अस्पताल के सभी वार्ड खाली हो गए हैं, इस दौरान जो मरीज ज्यादा गंभीर है उन्हीं को अस्पताल में रखा गया है, बाकी मरीजों को छट्टी दे दी गई। ऐसे में अस्पताल की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। साथ ही कर्मचारियों की कमी होने के कारण फिलहाल आपातकाल सेवा को चालू रखा गया है, ताकि आमजनों को परेशानी का सामना न करना पड़े। सोमवार को मरीजों की देखभाल के लिए अस्पताल के अधिकारियों ने मेडिकल कालेज में पढऩे वाले स्टाप नर्स सहित अन्य विभाग के छात्रों का सहारा लिया जा रहा है। साथ दवा वितरण से लेकर वार्ड में भर्ती मरीजों को इंजेक्शन से लेकर बोतल चढ़ाने का काम रहे हैं। ऐसे में तीन दिन के लिए मेडिकल कालेज अस्पताल की बागडोर जूनियरों के भरोसे चल रहा है। इस दौरान अगर कोई गंभीर मरीज आता है तो भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। मेडिकल कालेज अस्पताल में ड्यूटी करने वाले कर्मचारी सहित नर्सों के अवकाश पर जाते ही गायनिक वार्ड लगभग पूरी तरह से खाली हो गया है। हालांकि आम दिनों में गायनिक वार्ड में मरीजों को भर्ती करने के लिए जगह नहीं मिलता है, जिससे एक बेड पर दो-दो मरीज तो कभी-कभार जमीन पर सुलाकर इलाज किया जाता है, लेकिन इनके हडताल पर जाने से आधे से अधिक बेड खाली पड़ा है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है इनकी अनुपस्थिति में मरीजों का किस तरह से उपचार होता होगा। पत्रिका से साभार