बक्सर: मुआवज़ा की मांग पर चौसा थर्मल पावर प्लांट के सामने धरना दे रहे किसानों का बर्बर दमन

सतलुज जल विद्युत परियोजना हेतु करीब 20 गांव के सैकड़ों किसानों की जमीन जा रही है। भूमि अधिग्रहण के मुआवजे की मांग को लेकर 17 अक्टूबर 2022 से किसान संघर्षरत हैं।
बिहार और यूपी की सीमाओं को जोड़ने वाले बक्सर जिला में एक बार प्रशासन और किसान आमने सामने आ गए. बिहार के बक्सर मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर चौसा में निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट के मुख्य गेट पर उचित मुआवजे की मांग को लेकर किसान धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं बुधवार को दोपहर के बाद जब प्रशासन भारी पुलिस बल के साथ किसानों को जबरन धरना स्थल हटाने की प्रयास करने लगी. उसके बाद गुस्साए किसानों के द्वारा पुलिस पर हमला कर दिया गया. इसमें पुलिस और किसान दोनों ही तरफ से कई लोग घायल हुए हैं. वहीं ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस द्वारा किसानों के घर में घुसकर महिलाओं के साथ मारपीट की गई और घर के सामानों को भी तोड़ा गया . जिसके बाद से पूरे इलाके में काफी तनाव है. तनाव को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है.
घर में रखें सामनों को भी तोड़ा गया
यह पूरा मामला जमीन अधिग्रहण से जुड़ा हुआ है. दरसल वर्तमान समय के बाजार मूल्य पर किसान मुआवजे की मांग को लेकर 17 अक्टूबर 2022 से चौसा थर्मल पावर प्लांट के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. यह पूरा मामला SJVN (सतलुज जल विद्युत निगम) कंपनी के निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट के लिए करीब 225 एकड़ जमीन अधिग्रहण से जुड़ा हुआ है. इस परियोजना में करीब 20 गांव के लगभग 309 के आसपास किसानों की जमीन जा रही है. लेकिन, सरकार के द्वारा 2022 में मुआवजे की रकम 2013 के न्यूनतम मूल्य रजिस्टर (एमवियार) के सर्किल रेट से दी जा रही है. जिसके विरोध में किसान आन्दोलन कर रहे है. इससे पहले 10 जनवरी 2023 को चौसा के बानरपुर गांव में पुलिस द्वारा देर रात किसानों के घर में घुसकर लाठीचार्ज किया गया था. उस समय भी काफी सियासी ड्रामा देखने को मिला था और काफी बवाल हुआ था.
बुधवार को दोपहर बाद शुरू हुआ बवाल
1320 मेगावाट के चौसा पावर प्लांट में भूमि अधिग्रहण के विरोध में 17 महीने से किसान जमीन के उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं. बीते कुछ महीनों से किसान अपनी 11 सूत्री मांगों के समर्थन में निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट के मुख्य गेट पर ही धरना दे रहे थे. वही प्रशासन के द्वारा मुख्य गेट से किसानों को हटाने के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया था. लेकिन जब किसान गेट से नहीं हटे. उसके बाद बुधवार को दोपहर के बाद प्रशासन भारी पुलिस बल के साथ धरना स्थल पर पहुंची और धरना दे रहे किसानों को बलपूर्वक हटाने का प्रयास किया. वहीं गुस्साए किसानों ने पुलिस पर हमला कर दिया. उसके बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. इस दौरान दोनों तरफ से जमकर बवाल हुआ और दोनों ओर से भारी पत्थरबाजी हुई, जिसमें कई किसान बुरी तरह घायल हुए. वहीं बताया जा रहा है कि पुलिस को भी चोट लगी है. ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस के द्वारा बानरपुर,मोहनपुरावा,कोचाढ़ी गांव में किसानों के घर घुसकर महिलाओं को पीटा गया है. इसके साथ ही घर में रखें सामनों के साथ तोड़ फोड़ की गई है.
किसान संगठनों ने घटना का किया विरोध
चुनावी माहौल के बीच चौसा में हुए बवाल से सियासी पारा चढ़ गया है. वहीं बिहार राज्य किसान सभा के महासचिव अशोक प्रसाद सिंह ने कहा कि 23 मार्च को शहीद भगत सिंह की शहादत दिवस के अवसर पर चौसा में किसानों पर हुए जुल्म के विरोध में सरदार भगत सिंह के स्मारक पर फूल माला चढ़ाकर किसान अपने आक्रोश को व्यक्त करेंगे और किसान आंदोलन को तेज करने का संकल्प लेंगे. आगे उन्होंने कहा कि मोदी एवं नीतीश की डबल इंजन की सरकार से मांग करते है कि किसानों के ऊपर आंसू गैस का गोला बरसाने, एवं अंधाधुंध लाठीचार्ज कर बेवजह दर्जनों किसानों,महिलाओं एवं बच्चों को बुरी तरह से घायल करने वाले पुलिस पदाधिकारी पर अविलंब कठोर कार्रवाई की जाए. घायलों को इलाज के लिए पर्याप्त मुआवजा तथा किसानों को जमीन का वाजिब मुआवजा का अविलंब भुगतान किया जाए.वरना किसानों बच्चों एवं महिलाओं के शरीर से गिरे खून के हर कतरे का हिसाब लिया जाएगा.