बांग्लादेश: गारमेंट्स मज़दूर आंदोलन की राह पर; विरोध प्रदर्शनों के बाद दर्जनों फैक्ट्रियाँ बंद

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बांग्लादेश के रेडीमेड गारमेंट्स (RMG) उद्योग में पिछले कुछ दिनों से मज़दूरों के असतोष ने गहरी चिंता पैदा कर दी है।

मज़दूरों के बढ़ते विरोध के चलते सोमवार को अशुलिया क्षेत्र की 30 से अधिक फैक्ट्रियाँ अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी गईं।

सरकार ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कदम उठाए हैं। गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जाहंगीर आलम चौधरी ने सेना, पुलिस और औद्योगिक पुलिस के संयुक्त बलों को तैनात करने का आदेश दिया है।

यह संयुक्त बल सावर, अशुलिया और गाज़ीपुर के प्रमुख औद्योगिक केंद्रों में सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।

यह निर्णय सोमवार दोपहर को गृह मामलों के सलाहकार और बांग्लादेश गारमेंट मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (BGMEA) और बांग्लादेश निटवियर मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (BKMEA) के प्रतिनिधियों के बीच हुई एक बैठक के बाद लिया गया।

BGMEA के अध्यक्ष खंदकर रफीकुल इस्लाम ने बैठक के बाद बताया कि यदि आवश्यक हुआ, तो रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) भी इस ऑपरेशन में शामिल हो सकते हैं।

उधर गृह मामलों के सलाहकार ने यह स्पष्ट किया कि फैक्ट्रियों में कोई भी बाहरी तत्व उपद्रव करेगा, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने फैक्ट्री मालिकों से मंगलवार से सभी फैक्ट्रियों को खोलने का आग्रह किया, ताकि अर्थव्यवस्था प्रभावित न हो और श्रमिकों की शिकायतों का समाधान हो सके।

RMG उद्योग में पिछले कुछ दिनों से मज़दूरों के विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। अशुलिया और आसपास के क्षेत्रों में 50 से अधिक फैक्ट्रियों को बंद कर दिया गया है।

मज़दूर सड़कों पर उतरकर अपने अधिकारों और लाभों की माँग कर रहे हैं। इनमें से कुछ माँगें वेतन वृद्धि, उपस्थिति बोनस और रोजगार की गारंटी से संबंधित हैं।

सोमवार को गिल्डन बांग्लादेश और पेरल बांग्लादेश जैसी फैक्ट्रियों के मज़दूरों ने सड़कों को अवरुद्ध कर विरोध प्रदर्शन किया।

अशुलिया क्षेत्र की नवीनगर-चंद्रा रोड और अब्दुल्लापुर-बाईपाइल रोड पर यातायात बाधित कर दिया गया। प्रदर्शनकारी मज़दूर फैक्ट्रियों में छंटनी बंद करने, उपस्थिति बोनस और स्थायी रोजगार की माँग कर रहे हैं।

मज़दूरों का कहना है कि वे पिछले कई महीनों से वेतन और अन्य लाभों की समय पर प्राप्ति की समस्या का सामना कर रहे हैं।

उनका आरोप है कि फैक्ट्रियाँ समय पर बोनस और वेतन नहीं देतीं और साथ ही छंटनी और अनुशासनात्मक कार्रवाइयाँ भी बढ़ गई हैं।

कई मज़दूरों का कहना है कि फैक्ट्रियों के मालिक उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, जिससे उनकी स्थिति और खराब हो गई है।

वही BKMEA के अध्यक्ष मोहम्मद हातेम ने मज़दूरों की कई माँगों को “अव्यवहारिक” बताया।

उनका कहना है कि मज़दूर 25% वेतन वृद्धि की माँग कर रहे हैं, जबकि श्रम कानून के अनुसार यह सिर्फ 5% है।

उन्होंने यह भी कहा कि उपस्थिति बोनस और पुरुष-महिला अनुपात की माँगें भी अव्यवहारिक हैं।

हातेम ने इस बात पर भी जोर दिया कि जो लोग फैक्ट्रियाँ बंद करके प्रदर्शन कर रहे हैं, वे असली श्रमिक नहीं हैं, बल्कि बाहरी तत्व हैं जो उद्योग में अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।

गुरुवार से चल रहे विरोध प्रदर्शनों के कारण सावर, अशुलिया और गाज़ीपुर में 115 फैक्ट्रियों में उत्पादन बंद कर दिया गया।

BGMEA ने बताया कि इनमें से 75 फैक्ट्रियाँ “नो वर्क, नो पे” नियम के तहत बंद की गईं, जिसमें मज़दूरों को हड़ताल के दौरान वेतन नहीं दिया जाएगा। वहीं, कुछ फैक्ट्रियाँ सामान्य छुट्टी के रूप में बंद की गईं।

BGMEA के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अब्दुल्ला हिल रकीब ने बताया कि फैक्ट्री मालिकों ने पहले समस्या को बातचीत के जरिए हल करने की कोशिश की, लेकिन जब इससे बात नहीं बनी, तो कानून का सहारा लेना पड़ा।

अब, Section 13 (1) के तहत, गैरकानूनी हड़ताल करने वाले मज़दूरों को कोई वेतन नहीं दिया जाएगा।

मज़दूरों के वेतन के लिए नए ऋण की सुविधा

मज़दूरों के वेतन के भुगतान को सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश बैंक ने सभी बैंकों को निर्यातकों को सरल शर्तों पर नए ऋण देने के निर्देश दिए हैं।

यह सुविधा उन उद्योगों को दी जाएगी जो कुल उत्पादन का 80% निर्यात करते हैं। इस कदम का उद्देश्य मज़दूरों की वेतन संबंधी समस्याओं को दूर करना है और विरोध प्रदर्शनों को शांत करना है।

वर्कर्स यूनिटी से साभार

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