बैंकों के निजीकरण और बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 के विरोध में दो दिवसीय हड़ताल

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सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के आठ लाख से ज्यादा अधिकारियों-कर्मचारियों ने दो दिन की हड़ताल शुरू की जिसमें सफाई कर्मचारी से लेकर वरिष्ठ अधिकारी तक हड़ताल में हिस्सा ले रहे हैं।

सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों के निजीकरण और शीतकालीन सत्र में पेश हो रहे बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 के विरोध में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के आठ लाख से ज्यादा अधिकारियों व कर्मचारियों ने गुरुवार को दो दिन की हड़ताल शुरू कर दी जिससे देश भर में बैंकों का कामकाज प्रभावित रहा।

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक्स यूनियन (यूएफबीयू) के नेतृत्व में ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफेडरेशन (एआईबीओसी), ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) और नेशनल ऑर्गेनाईजेशन ऑफ़ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) समेत नौ अन्य बैंक यूनियनों ने दो दिन (16 और 17 दिसंबर) की हड़ताल का आह्वान किया था।

सफाई कर्मचारी से लेकर वरिष्ठ अधिकारी तक सभी वर्ग के अधिकारी हड़ताल में हिस्सा ले रहे हैं। इस हड़ताल के कारण देश भर भारतीय स्टेट बैंक सहित अन्य सरकारी की बैंक शाखाओं में जमा और निकासी, चेक निकासी और ऋण मंजूरी जैसी सेवाएं प्रभावित रहीं।

निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और कोटक महिंद्रा जैसे अगली पीढ़ी के बैंक हमेशा की तरह सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। लेकिन यहाँ भी अंतर-बैंक चेक समाशोधन प्रभावित हुआ।

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राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन हुआ। महाराष्ट्र में यूएफबीयू के राज्य समन्वयक देवीदास तुलजापुरकर ने कहा कि मुंबई के आजाद मैदान में 5,000 बैंक कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया।

चेन्नई में बैंक कर्मचारियों के एक वर्ग ने काला बैज पहनकर विरोध प्रदर्शन किया और केंद्र के कदम के फैसले के खिलाफ नारे लगाए। वहीं राजस्थान की राजधानी जयपुर में बैंक कर्मचारियों ने अंबेडकर सर्किल के पास एसबीआई कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।

दो दिवसीय बैंक हड़ताल से पहले राज्यों की राजधानियों और अन्य स्थानों पर धरना, हस्ताक्षर अभियान, बैज-पहनने, मुखौटा-पहनने, ट्विटर अभियान, प्रेस कॉन्फ्रेंस जैसे विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा हड़ताल के मुद्दों और कारणों को हमारे ग्राहकों सहित आम लोगों तक ले जाया गया था।

न्यूज़क्लिक की खबर के अनुसार एआईबीईए के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने फोन पर बताया कि यदि केंद्र सरकार संसद में विवादास्पद विधेयक पेश करती है और इसे पारित कराने में सफल होती है तो बैंक अधिकारी और कर्मचारी “अनिश्चितकालीन हड़ताल” का आह्वान करने पर “विचार करने के लिए मजबूर” होंगे।

10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने भी इससे पहले केंद्र सरकार से अपने सुधार-उन्मुख बैंकिंग विधेयक को स्थगित करने का आग्रह किया था।

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गौरतलब है कि फरवरी में पेश केंद्रीय बजट में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्र की विनिवेश योजना के तहत दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी। निजीकरण की सुविधा के लिए, सरकार ने बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 को संसद के मौजूदा सत्र के दौरान पेश करने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया है।

सरकार ने इससे पहले 2019 में आईडीबीआई में अपनी अधिकांश हिस्सेदारी एलआईसी को बेचकर बैंक का निजीकरण किया था और साथ ही पिछले चार वर्षों में 14 सरकारी बैंकों का विलय किया है।

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