वित्तीय क्षेत्र सहित निजी क्षेत्र की तमाम कंपनियाँ श्रमिकों को क्यों नहीं दे रही बोनस?

सभी श्रमिकों को बोनस मिलना लंबे संघर्षों से हासिल एक अहम क़ानूनी अधिकार है। इसके अलावा त्योहार पर कंपनी से मिलने वाले गिफ्ट और बोनस से श्रमिकों का भावनात्मक जुड़ाव भी है।
केंद्र समेत कई राज्य सरकारों ने दीपावली से पहले अपने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (डीए) में 4 फीसद की वृद्धि कर दी। मगर, निजी क्षेत्र की तमाम कंपनियों के श्रमिक अभी भी निराश हैं। वे दीवाली बोनस की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन, अभी तक ज्यादातर कंपनियों ने इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया है।
गिफ्ट-मिठाई से टरकाने की कोशिश
एक सर्वे के मुताबिक, निजी क्षेत्र के 43 फीसद श्रमिकों को कंपनी की तरफ से त्योहारों का कोई लाभ नहीं दिया गया है। कॉरपोरेट श्रमिक अभी भी आस लगाए बैठे हैं कि कंपनी नगद बोनस का एलान कर उन्हें हर्षोल्लास से त्योहार मनाने का मौका देगी।
तमाम कंपनी के श्रमिकों को लग रहा है कि उन्हें मिठाई के डिब्बे, गिफ्ट कार्ड या गैजेट देकर टरका दिया जाएगा। दीवाली के मौके पर कंपनियां अपने कर्मचारियों को बोनस और उपहार देती रही हैं।
सर्वे में हुआ खुलासा
एबीपी न्यूज के अनुसार एक सर्वे में बीपीओ, आईटी और फाइनेंसियल सेक्टर से जुड़े कर्मचारियों से बातचीत की गई।
इस सर्वे में लगभग 2100 कर्मचारियों से सवाल किए गए। उन्होंने बताया कि 66 फीसद कर्मचारी चाहते हैं कि उनकी कंपनी दीवाली पर कैश बोनस और गिफ्ट का एलान करे। इसके बावजूद 43 फीसद कर्मचारियों के हाथ अभी तक खाली हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक कंपनी के दीवाली प्लांस की कोई जानकारी नहीं मिली है।
दीवाली के मौके पर कुछ कंपनियों ने मिठाई और ड्राई फ्रूट के डिब्बे बांटे हैं। कहीं पर गिफ्ट कार्ड तो कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने महंगे गैजेट और हॉलिडे पैकेज दिए हैं।
बोनस कानूनी अधिकार है
कुछ कंपनियों ने ऐसे दीवाली गिफ्ट दिए जो सुर्खियों में आ गए। तमिलनाडु की एक चाय बागान कंपनी ने श्रमिकों को 2 लाख रुपये की मोटरसाइकिल और एलसीडी टीवी बांटे। मगर, ज्यादातर लोग कैश को इन सभी चीजों से ज्यादा प्राथमिकता देते हैं।
दरअसल सभी श्रमिकों को बोनस मिलना एक कानूनी प्रावधान है और लंबे संघर्षों से हासिल एक अहम अधिकार है। इसके अलावा त्योहार पर कंपनी से मिलने वाले गिफ्ट और बोनस के संदर्भ में लगभग 63 फीसद श्रमिक मानते हैं कि इनका भावनात्मक असर पड़ता है।
बोनस भुगतान अधिनियम, 1965 उन निश्चित प्रतिष्ठानों में श्रमिकों को बोनस भुगतान मुहैया कराता है जहां 20 या उससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं, और यह बोनस लाभ के आधार पर अथवा उत्पादन या उत्पादकता तथा संबंधित मामलों के आधार पर होता है।
इस अधिनियम की धारा 10 के अंतर्गत प्रत्येक उद्योग एवं संस्थानों द्वारा न्यूनतम 8.33% बोनस देय है, भले ही संसाठन घाटे में हो।
किसी वित्तीय वर्ष में भुगतान किया जाने वाला अधिकतम बोनस जिसमें उत्पादकता से जुडा बोनस भी शामिल होता है, वह इस अधिनियम की धारा 31ए के अंतर्गत किसी कर्मचारी के वेतन/पारिश्रमिक के 20% से अधिक नहीं होगा।