एमएमटीसी-पैम्‍प इंडिया में यूनियन बनाना जुर्म; बर्खास्तगी के खिलाफ मज़दूरों का विरोध जारी

भारत सरकार के इस संयुक्त उद्यम में दो अगुआ श्रमिकों का पुलिस उत्पीड़न, बर्खास्तगी और यूनियन पंजीकरण रद्द करने से आक्रोशित मज़दूरों ने विरोध कार्यक्रम शुरू कर दिया है।

मेवात (हरियाणा)। एमएमटीसी-पैम्‍प इंडिया (Mmtc Pamp India) प्राइवेट लि, रोजका मेओ इंडस्ट्रियल एरिया, नूह, मेवात में मज़दूरों ने जैसे ही यूनियन बनाई, दमन का चक्र शुरू हो गया। प्रबंधन ने यूनियन प्रधान व कोषाध्यक्ष को फर्जी मामले में पुलिस के हवाले किया और निलंबित फिर बर्खास्त कर दिया। इससे आक्रोशित मज़दूरों ने विरोध शुरू कर दिया है।

दरअसल प्रबंधन के शोषण से तंग मज़दूरों ने अपने को संगठित कर यूनियन का गठन किया और जुलाई में यूनियन पंजीकरण के लिए आवेदन दाखिल किया। इसकी भनक मिलते ही प्रबंधन दमन पर उतारू हो गया।

बीते 27 जुलाई को मज़दूरों ने बदबूदार नाश्ता (पोहा) को नहीं खाया और इसकी शिकायत प्रबंधन से की। प्रबंधन मौके की तलाश में था। उसने योजनाबद्ध तरीके से 18 अगस्त को प्लांट में पुलिस बुलाकर यूनियन प्रधान मनीष शर्मा व कैशियर सोमनाथ को धारा 107/151 के तहत गिरफ्तार करवाया, जिन्हें थाने में बंद रखा गया।

दूसरी ओर दोनों श्रमिक नेताओं को प्रबंधन ने फर्जी आरोपों में पहले निलंबित किया, कथित घरेलू जांच के बहाने उत्पीड़ित किया और अंततः 25 अक्टूबर, 2023 को दोनों को बर्खास्त कर दिया। इसी के साथ प्रबंधन ने श्रम विभाग के साथ मिलकार यूनियन पंजीयन फाइल को भी रद्द करवा दिया।

दमन के खिलाफ मज़दूर आंदोलित

एमएमटीसी-पैम्‍प प्रबंधन की मनमानी, श्रम विभाग की मिलीभगत, यूनियन नेताओं की बर्खास्तगी और यूनियन पंजीयन रद्द होने से मज़दूरों में भारी रोष व्याप्त हो गया और उन्हों ने इसका विरोध करने का निर्णय लिया।

आज 6 नवंबर से मज़दूरों का विरोध कार्यक्रम शुरू हो गया। मज़दूरों ने सुबह ए शिफ्ट और बी शिफ्ट में खाने और नाश्ते का बहिष्कार किया, जो लगातार जारी रहेगा। मज़दूरों ने यह भी तय किया है कि वे इस बार कंपनी से दिवाली गिफ्ट नहीं लेंगे और कंपनी द्वारा आयोजित पार्टी का भी बहिष्कार करेंगे।

मज़दूरों ने कहा कि कंपनी के तानाशाही रवैया से परेशान होकर उन्होंने एकजुट होकर यूनियन बनाने की प्रक्रिया शुरू की। इससे नाराज प्रबंधन ने हमारे दो साथी कर्मचारियों को झूठे और बेबुनियाद तरीके से पुलिस केस में फंसाया। पुलिस द्वारा मारपीट करवाई और उन्हें सस्पेंड कर दिया गया और थोड़े दिन बाद साथी कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया।

कंपनी का यह रवैया तानाशाहीपूर्ण और निर्मम है। कंपनी प्रबंधन ने श्रम विभाग के साथ मिलकार यूनियन की फाइल को रद्द करवा दिया है। इसके विरोध में हमने आज यह कदम उठाया है। हम अपने साथियों को बहाल कराएंगे और अन्याय नहीं सहेंगे।

MMTC PAMP INDIA भारत सरकार का संयुक्त उद्यम

ज्ञात हो कि एमएमटीसी लिमिटेड, भारत सरकार के एक उपक्रम तथा पैम्‍प एसए स्‍विजरलैंड की एक संयुक्‍त उद्यम कंपनी है। इसमें गोल्‍ड तथा सिल्‍वर आदि बहुमूल्‍य धातु की प्रोसेसिंग होती है।  यह भारत का सबसे पहला तथा एकमात्र एलबीएमए गुड डिलीवरी (गोल्‍ड तथा सिल्‍वर) रिफाइनरी है। 

यह स्थिति भारत सरकार के संयुक्त उद्यम की है, जहाँ क़ानूनी व संवैधानिक रूप से यूनियन बनाना भी अपराध बन गया, मज़दूर नेता पुलिसिया दमन और बर्खास्तगी के शिकार हो गए। तो फिर पूर्णतः निजी स्वामित्व वाली कंपनियों में मज़दूरों के हालत कितने बुरे होंगे, समझा जा सकता है।

यह भी गौर तलब है कि कारखाना उसी नूह, मेवत में स्थित है, जहाँ पिछले दिनों कथित हिन्दू नेताओं की खुली दबंगाई, भयावह सांप्रदायिक दंगे व हिंसा हुई थी। लेकिन धर्म के ये ठेकेदार मज़दूरों के साथ हो रही नाइंसाफ़ी पर खामोश हैं। मज़दूर साथियों को इससे भी सबक लेनी चाहिए।

समाज में धर्म और जातियाँ दो ही हैं- एक मुट्ठीभर मालिकों की और दूसरी व्यापक मेहनतकश मज़दूरों की। इसलिए मज़दूर साथियों को सभी विभाजनों को छोड़कर एकजुट और एकमुठ होकर अपने हक़ के संघर्ष में जुटना होगा।

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