नील मेटल जेबीएम ठेका श्रमिक के हाथ कटने से आक्रोश प्रदर्शन, स्थाईकरण व मुआवजा का समझौता

स्थाई-ठेका श्रमिकों ने काम किया बंद। चार घंटे प्रदर्शन और यूनियन के दबाव के बाद पीड़ित श्रमिक को स्थाई करने, मुआवजा देने और उच्च स्तरीय संपूर्ण इलाज का हुआ समझौता।

पंतनगर (उत्तराखंड) जेबीएम ग्रुप की नील मेटल प्रोडक्ट्स लिमिटेड सिडकुल पंतनगर में बीती रात्रि पाली में काम के दौरान एक ठेका श्रमिक देवेश कुमार का दाहिना हाथ बुरी तरीके से क्षतिग्रस्त हो गया, जिससे मजदूर आक्रोशित हो उठे।

इस घटना की खबर मिलने के बाद आज 25 अक्टूबर को रात्रि पाली और सुबह की पाली के सभी स्थाई व ठेका मजदूर काम बन्द करके बैठ गए। 4 घंटे तक प्लांट में काम बंद रहा। इस दौरान भारी पुलिस भी मौके पर पहुँच गई।

आंदोलित मज़दूरों का कहना था कि कंपनी में अकुशल ठेका श्रमिकों को खतरनाक मशीनों पर काम करने के लिए जबरन लगाया जा रहा है जिससे श्रमिकों का जीवन खतरे में है। इससे पहले भी कंपनी में हादसे हो चुके हैं, जिसमे कई मजदूर अंग-भंग के शिकार हुए हैं।

इस दौरान प्रबंधन के साथ यूनियन की और पीड़ित श्रमिक के परिजनों के साथ लगातार वार्ता हुई। अंत में पांच बिंदुओं पर सहमति बनी।

समझौते के बिंदु-

प्रबंधन ने अपने आधिकारिक पत्र पर समझौते का व्योरा लिखा है, जिसके तहत पीड़ित श्रमिक देवेश कुमार पुत्र श्री दीनानाथ, निवासी परेखा, बहादुरगंज, बरेली उत्तर प्रदेश के जीजा चेतन स्वरूप के मध्य दिनांक 25/10.2023 को समझौता हुआ है।

1- देवेश कुमार के इलाज का संपूर्ण खर्चा कंपनी वहन करेगी तथा इलाज ठीक से कराया जाएगा;

2- उसका कृत्रिम अच्छी क्वालिटी का हाथ लगवाया जाएगा;

3- कर्मचारी राज्य बीमा निगम से उसकी जो भी पेंशन बनेगी दिलवाई जाएगी;

4- कंपनी में देवेश कुमार को परमानेंट कर्मकार की नौकरी दी जाएगी;

5- कंपनी द्वारा मुआवजा आपसी समझौते के अनुसार दिया जाएगा।

नील मेटल कामगार संगठन (सीटू) के प्रतिनिधियों ने बताया कि प्रबंधन के साथ उक्त समझौते के बाद कंपनी में कार्य फिर से शुरू कर दिया गया है। समझौते के सभी बिंदुओं पर प्रबंधन द्वारा अनुपालन का आश्वासन दिया गया है जिसे यूनियन देखेगी और लागू करवाएगी। साथ ही उचित मुआवजा दिलाने का प्रयास जारी रखेगी।

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