झारखंड: बीसीसीएल कोयला क्षेत्र में जमीन धंसने से तीन महिलाओं की दर्दनाक मौत

घटना बीसीसीएल द्वारा संचालित गोंदुडीह खास कुसुंडा कोलियरी के पास हुई। आक्रोशित ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया, घटना का कारण आउटसोर्सिंग कंपनी द्वारा की गई भारी ब्लास्टिंग को बताया।
धनबाद। झारखंड के धनबाद जिले के झरिया में कोयला क्षेत्र के आसपास की जमीन धंसने से तीन महिलाओं की दबकर मौत हो गई। जिला प्रशासन ने कहा कि शवों को बरामद करने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल के अधिकारियों को बुलाया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, घटना रविवार शाम को धनबाद के झरिया में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनी भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) द्वारा संचालित गोंदुडीह खास कुसुंडा कोलियरी के पास हुई। यह स्पष्ट नहीं है कि महिलाओं की मौत किन परिस्थितियों में हुई।
इसके बाद जल्द ही हजारों लोग महिलाओं को बचाने की मांग करते हुए इलाके में जमा हो गए। उन्होंने दावा किया कि यह घटना आउटसोर्सिंग कंपनी द्वारा की गई भारी ब्लास्टिंग के कारण हुई।
आक्रोशित ग्रामीणों ने मौके पर आए कुछ कोलियरी अधिकारियों के साथ मारपीट भी की। झामुमो विधायक को भी ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ा।
रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीणों ने कहा कि तीन महिलाएं – परली देवी, मंडवा देवी और ठंडी देवी – जो पास के छोटकी बौआ गांव की निवासी हैं, भूमि धंसने के दौरान इलाके में थीं। रविवार को लगभग 12.30 बजे वे गड्ढे में फंस गईं।
अर्थमूवर्स को काम पर लगाया गया और रविवार देर रात तक परली देवी के शरीर को बाहर निकाला गया। दूसरा शव मंडावा देवी का बताया जा रहा है, जिसे सोमवार दोपहर करीब 1.30 बजे बाहर निकाला गया।
धनबाद के उपायुक्त वरुण रंजन ने कहा, ‘घटना कल हुई और पुलिस और प्रशासन मौके पर पहुंचे। हमने एक शव बरामद कर लिया है। हालांकि, दोनों शवों के कुछ हिस्सों को बाहर निकाल लिया गया है और एनडीआरएफ बाकी हिस्सों को निकालने के लिए मौके पर है।’
यह पूछे जाने पर कि क्या घटना के समय महिलाएं शौचालय की कमी के कारण शौच के लिए गई थीं, रंजन ने कहा, ‘हमें इसकी जानकारी नहीं है।’
रंजन ने कहा, ‘झरिया मास्टर प्लान के अनुसार निवासियों को स्थानांतरित किया जाना है और उस मोर्चे पर काम प्रगति पर है।’
रविवार की शाम मौके पर पहुंचे टुंडी के झामुमो विधायक मथुरा महतो को ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ा और कहा कि कागजी सत्यापन के बावजूद बीसीसीएल प्रबंधन उन्हें सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करने में देरी कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि यह घटना आउटसोर्सिंग कंपनी द्वारा की गई भारी ब्लास्टिंग के कारण हुई।
मथुरा महतो ने बीसीसीएल पर लापरवाही का आरोप लगाया और कहा कि वह जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की सिफारिश करेंगे और मृतक के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा सुनिश्चित करेंगे।
बीसीसीएल के एरिया सेफ्टी मैनेजर आरपी गुप्ता का कहना है कि कोलियरी प्रबंधन ने घटना को गंभीरता से लिया है और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए समयबद्ध तरीके से उचित कदम उठाए जाएंगे।
एक प्रश्न का उत्तर देते हुए गुप्ता ने स्पष्ट किया कि यह क्षेत्र आग से प्रभावित नहीं है, लेकिन बरसात के मौसम के दौरान धंसाव हो सकता है क्योंकि जिस स्थान पर घटना हुई थी, वहां एक पुरानी खदान थी।
उन्होंने कहा, ‘हम खुली खदान में बाड़ लगा सकते हैं, लेकिन उस पूरे क्षेत्र की घेराबंदी नहीं कर सकते, जहां ग्रामीण घूमते रहते हैं।’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कोयला मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, झरिया कोयला क्षेत्रों में धंसाव की समस्या है, जिसके लिए ‘राष्ट्रीयकरण से पहले 200 से अधिक वर्षों के संचालन के दौरान तत्कालीन खदान मालिकों द्वारा किए गए अवैज्ञानिक खनन’ को जिम्मेदार ठहराया गया है।
स्थानीय प्रशासन ने क्षेत्रों को रहने के लिए असुरक्षित घोषित कर दिया था, जिसके बाद 1996 में एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया गया था। इसकी सिफारिशों के आधार पर एक मास्टर प्लान विकसित किया गया था जिसमें ईसीएल (ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड) और बीसीसीएल के लीजहोल्ड क्षेत्रों के भीतर आग, धंसाव और पुनर्वास और ‘सतही बुनियादी ढांचे के विचलन’ से निपटने की योजना शामिल थी। लेकिन पुनर्वास की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है।
साभार : द वायर