जी-20 की प्रतिष्ठा में गरीब-मेहनतकश हुआ बेघर

दिल्ली में है जी-20 शिखर सम्मेलन, देश की “खूबसूरत” तस्वीर दिखाने का मोदी सरकार के करिश्मे ने झुग्गी-झोपड़ी वासियों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है। एक साल से गरीब मजदूर बस्तियों को तोड़ने की बाढ़ सी आ गई है…

  • आमर्त्य

9-10 सितंबर को दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन में देश की “खूबसूरत” तस्वीर दिखाने का मोदी सरकार के करिश्मे ने झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है। सौंदर्यीकरण के बहाने एक साल से गरीब मजदूर बस्तियों को तोड़ने की बाढ़ सी आ गई है।

जबरन विस्थापन और विध्वंस से करीब 2.6 लाख निवासियों सहित 1,600 परिवार बेघर हो चुके हैं, उनकी सम्पत्ति और आजीविका तबाह हुई है। तुगलकाबाद, महरौली, यमुना बाढ़ के मैदानों, मयूर विहार, धौलाकुआँ, कश्मीरी गेट जैसे क्षेत्रों के पास स्थित दिल्ली की झुग्गियों के हजारों निवासी बेदखल हो चुके है। लेकिन पुनर्वास के लिए कोई योजना नहीं है।

स्थति यह है कि महरौली पुरातत्व पार्क में भूमि और स्मारकों के स्वामित्व के संबंध में स्पष्टता की कमी के बावजूद, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने अपना विध्वंस अभियान जारी रखा। जबकि पुरातात्विक पार्क में एक जी20 बैठक भी निर्धारित थी।

डीडीए ने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के आदेश के हवाले से, यमुना बाढ़ मैदान क्षेत्र में मुस्लिम बहुल इलाके जामिया नगर में 50 संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया। लगभग 300 लोगों, जिनमें अधिकतर निर्माण श्रमिक, रिक्शा चालक और घरेलू मजदूर थे, ने अपने घर खो दिए। इस क्षेत्र में स्थित आठ आश्रयों को ध्वस्त कर दिया गया, जिससे बेघर लोग सड़कों पर आ गए। डीडीए बाढ़ के मैदानों में पार्क और पैदल मार्ग स्थापित करने जैसा काम कर रहा है, क्योंकि उपराज्यपाल ने कहा कि प्रदूषण के कारण पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र पर अतिक्रमण को माफ नहीं किया जा सकता है।

सौन्दर्य और पर्यावरण को बहाना बनाकर दिल्ली सरकार और प्रशासन द्वारा असल में मेहनतकश जनता को उजाड़ देने का प्रयास जारी है। इस दौरान पूरे देश में 200 जी-20 बैठकों के बहाने देशव्यापी बुलडोजर कार्रवाई से भारी गरीब आबादी विस्थापित हो चुकी है।

पिछले दो माह में केवल दिल्ली में लगभग 2 लाख से ज्यादा लोग बेघर कर दिए गए, जो मलबे के ढेर पर रात गुज़ार रहे हैं। ऐसे जबरन तोडफोड़ का आंकड़ा जी-20 के चलते 5 लाख से ऊपर जाने की आशंका है।

संघर्षरत मेहनतकश’ पत्रिका अंक-50 (सितंबर, 2023) में प्रकाशित

%d bloggers like this: